लुप्त हो रहे मेंढक, 90 प्रजातियों का हो चुका है सफाया
न्यूकै सल। दुनिया के सबसे भयानक पशु रोग से दुनियाभर में मेंढकों की मौत हो रही है। एक घातक कवक रोग से पिछले 40 वर्षों से मेंढकों की आबादी खत्म हो रही है। 90 प्रजातियों का तो सफाया हो गया है। यह बीमारी है 'काइट्रिड', जो दुनिया की सबसे खराब वन्यजीव बीमारी है। एक बहुराष्ट्रीय अध्ययन ने अब इस बीमारी के सभी ज्ञात स्वरूपों का पता लगाने के लिए एक विधि विकसित की है, जो ऐम्फिबियन काइट्रिड फंगस के कारण होता है। यह सफलता व्यापक रूप से उपलब्ध इलाज की क्षमता को आगे बढ़ाएगी।
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यह रोग करता है संक्रमित
काइट्रिड मेंढकों की त्वचा में प्रजनन करके उन्हें संक्रमित करता है। एक कोशिकीय कवक एक त्वचा कोशिका में प्रवेश करता है, और फिर जानवर की सतह पर वापस आ जाता है। त्वचा को यह नुकसान होने से मेंढक की पानी और नमक के स्तर को संतुलित करने की क्षमता प्रभावित होती है। काइट्रि ड की उत्पत्ति एशिया में हुई थी। ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका जैसे क्षेत्रों में मेंढकों के पहले काइट्रि ड से प्रभावित होने का कोई इतिहास नहीं था जिससे वह इसका प्रतिरोध कर सके।
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साल 1998 में पता चला
महामारी का काइट्रिडिओमाइकोसिस या 'काइट्रि ड' के कारण 500 से अधिक मेंढक प्रजातियों की संख्या में गिरावट आई है और ऑस्ट्रेलिया में सात प्रजातियों सहित 90 प्रजातियों के विलुप्त होने की आशंका है। 1980 के दशक में, जीवविज्ञानियों ने मेंढकों की जनसंख्या में तेजी से आई गिरावट पर ध्यान दिया। 1998 में इस बात की पुष्टि हुई कि इसकी वजह काइट्रि ड कवक था।