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PCPNDT ब्यूरो की हकीकत आई सामने, 10 साल में 1% को भी सजा नहीं दिलवाई, आंकड़े बताने से बच रहा...

भ्रूण हत्या और लिंग परीक्षण की प्रसव पूर्व जांच को रोकने के लिए बनाए गए प्रदेश के पीसीपीएनडीटी ब्यूरो (पीबीआई) की ही भ्रूण हत्या हो गई।
08:57 AM Jan 25, 2023 IST | Anil Prajapat
pcpndt ब्यूरो की हकीकत आई सामने  10 साल में 1  को भी सजा नहीं दिलवाई  आंकड़े बताने से बच रहा

जयपुर। भ्रूण हत्या और लिंग परीक्षण की प्रसव पूर्व जांच को रोकने के लिए बनाए गए प्रदेश के पीसीपीएनडीटी ब्यूरो (पीबीआई) की ही भ्रूण हत्या हो गई। 10 साल बाद भी यह ब्यूरो प्रदेश में अपने पैर नहीं पसार पाया हैं या यू कहें की यह कोख में ही रह गया। एसीबी की तर्ज पर ही 2013 में पीबीआई की भी स्थापना की गई थी और प्रदेश का एकमात्र पुलिस स्टेशन भी खोला गया। जिससे कोख में पलने वाली बेटियों की जन्म से पहले होने वाली हत्याओं को रोका जा सकें, लेकिन यह ब्यूरो अपने नाम के अनुसार काम नहीं कर सका और जयपुर तक ही सिमट कर रह गया।

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अब हालात ब्यूरो के थाने ने मुखबिर की सूचना पर कुल 167 डिकॉय ऑपरेशन कर कार्रवाई को अंजाम दिया, लेकिन साल दर साल होने वाली डिकॉय की संख्या लगातार घटती गई। वहीं डिकॉय में लिंग परीक्षण करते रंगे हाथ पकड़े एक प्रतिशत को भी सजा भी नहीं दिलवा पाई। इसका कारण जांच के दौरान तथ्यों का अभाव और अन्य कारण माने जा रहे हैं। विभाग सिर्फ डिकॉय के आंकड़े तो सार्वजनिक करता है, लेकिन पकड़े गए कितने लोगों को सजा दिलवा पाया यह बताने से बचता है।

एसीबी की तर्ज पर बना, लेकिन एक जिले तक सिमटा

रिश्वतखोरों को पकड़ने के लिए जिस तरह एसीबी का गठन किया था, उसी तरह कोख के हत्यारों को सजा दिलवाने के लिए पीबीआई की स्थापना हुई थी। डिकॉय करने के लिए एकमात्र थाना जयपुर में खुला हुआ है, जिसमें भी मुखिया का पद करीब एक साल से खाली है। वहीं, छह सीआई इस थाने में होने चाहिए, जिनमें से अभी 4 ही कार्यरत है। इनमें से 3 सीआई पदोन्नति के बाद डिप्टी बन गए गए है। एक सीआई का तबादला हो रखा है जो अभी रिलीव नहीं हुआ है। एक हेड कांस्टेबल, दो महिला और 4 पुरुष कांस्टेबल तैनात हैं, जिनके भरोसे पूरे राज्य का जिम्मा है। इसके अलावा सभी जिलों में एक-एक सीआई और एक एपीपी, एक स्नोसटे हित अन्य पद स्वीकृत हैं, लेकिन हालात यह है कि जयपुर के अलावा किसी भी जिले में अलग से यूनिट ही स्थापित नहीं की गई है। सिर्फ संविदा पर लगे डिस्ट्रिक्ट कॉर्डिनेटर ही अन्य जिलों में मुखिया बनकर बैठे हैं।

5 लाख बेटियों की कोख में हत्या

द स्टेट ऑफ वर्ल्ड पोपुलेशन की रिपोर्ट की मानें तो भारत में गत 10 वर्षों में कोख में 5 लाख से अधिक बेटियों की हत्या कर दी गई। इसने अनुमान लगाया है कि 2017 से 2030 तक कुल 68 लाख बेटियां जन्म लेने से पहले ही मार दी जाएंगी।

फैक्ट फाइल

प्रदेश में कुल लिंग परीक्षण
सेंटर्स 4466

ऐसे घटते गए डिकॉय

वर्ष 2013 से 2019 तक
कुल 155 डिकॉय
वर्ष 2020 0 डिकॉय
वर्ष 2021 6
वर्ष 2022 6

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