विधानसभा में उठा राजस्थानी भाषा को प्रतियोगी परीक्षा में शामिल करने का प्रश्न
विधानसभा के कार्यकाल में आज राजस्थानी भाषा को प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल करने की कार्य योजना का प्रश्न पूछा गया यह प्रश्न विधायक गुरदीप सिंह ने पूछा था जिसका शिक्षा मंत्री बीडी कल्ला ने जवाब भी दिया।
भारत सरकार ही करेगी शामिल
बीडी कल्ला ने कहा कि राजस्थानी भाषा को मान्यता देने, संविधान की 8वीं सूची में शामिल करने के संबंध में 25 अगस्त 2003 को संकल्प पारित किया गया था। भाषा को 8वीं अनुसूची में शामिल करने की कार्रवाई भारत सरकार के लिहाज से की जानी है, 16 फरवरी 2023 को भी मुख्यमंत्री गहलोत ने इस संबंध में पत्र लिखा है। इसके साथ ही बीडी कल्ला ने सदन में अब तक केंद्र सरकार को लिखे गए पत्रों की जानकारी दी जिसमें यूपीए की केंद्र की कांग्रेस सरकार भी शामिल है।
पिछली सरकारों में भी लिखे गए हैं कई बार पत्र
बीडी कल्ला ने कहा कि पिछली सरकार में वसुंधरा राजे ने भी नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था, राजेंद्र यादव ने भी राजनाथ सिंह को पत्र भेजा था, सीएस राजीव स्वरूप ने भी अजय भल्ला को पत्र लिखा था, मुख्यमंत्री गहलोत ने कुछ दिन पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है।
लंबे समय से उठाई जा रही है संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग
बता दें कि राजस्थानी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग काफी लंबे समय से उठाई जा रही है इसे लेकर लोकसभा के मानसून सत्र में राजसमंद सांसद दीया कुमारी ने भी इस मुद्दे को उठाया था। गौरतलब है कि साहित्य अकादमी और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग राजस्थानी भाषा को एक अलग भाषा के रूप में मान्यता देते हैं। राजस्थानी भाषा राजस्थान राज्य माध्यमिक शिक्षा बोर्ड में भी पढ़ाई जाती है। फिर भी, राजस्थानी भाषा को राष्ट्रीय मान्यता नहीं दी गई है।
संविधान की आठवीं अनुसूची में इस भाषा को शामिल करने की मांग की पीछे उनका तर्क है कि इससे राजस्थानी भाषा की पवित्रता की रक्षा, संवर्धन और परिरक्षण बना रहेगा साथ ही इस भाषा के बोलने वालों की संस्कृति और परंपराओं की रक्षा हो सकेगी।