जिसको मरा समझ भूल गए थे परिजन…वह 33 साल बाद घर कैसे लौटा
अलवर। राजस्थान के अलवर में अजीबोगरीब मामला सामने आया है। एक व्यक्ति करीब 42 साल की उम्र में घर से गायब हुआ था। 75 साल की उम्र में वह वापस घर लौटा है। परिजनों ने उसे मृत मान उसका मृत्यु प्रमाण पत्र बनवा लिया था। 33 साल बाद व्यक्ति को जिंदा देखकर अब परिवार में खुशी का माहौल है। यह मामला अलवर जिले के बानसूर का है।
जानकारी के अनुसार, साल 1989 में बानसूर के रहने वाले हनुमान सैनी घर से दिल्ली खारी बावली में काम करते समय अचानक गायब हो गए थे। परिजनों ने उनको काफी जगह तलाश किया था। करीब 32 साल इंतजार करने के बाद जब वह नहीं मिले तो परिजन ने पिछले साल ही उन्हें मृत समझकर उनका मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाया था। करीब 33 साल बाद व्यक्ति वापस अपने घर लौटा। परिवार के लोगों जब उस व्यक्ति को जिंदा देखा तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उनके जीवित रहने और वापस लौटने की जानकारी मिलने के बाद बड़ी संख्या में नाते-रिश्तेदार उनका हालचाल पूछने के लिए उनके घर पहुंच रहे हैं। बता दें कि 75 वर्षीय हनुमान सैनी के तीन लड़की समेत 5 संतानें हैं और सभी की शादी हो चुकी है।
हनुमान सैनी के बड़े बेटे रामचंद्र सैनी ने बताया कि साल 1989 में उनके पिता दिल्ली के खारी बावली की एक दुकान पर काम किया करते थे। उस समय उनके पिता की उम्र करीब 42 साल थी। उसी दौरान वो अचानक से हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में स्थित माता मंदिर पहुंच गए और जहां उन्होंने आराधना-तपस्या की। करीब 33 साल की तपस्या के बाद माता के आदेश पर उन्होंने घर वापसी की है। 29 मई को हनुमान सैनी ट्रेन से दिल्ली से खैरथल पहुंचे। जहां से बानसूर के लिए कोई वाहन नहीं मिलने पर रात में ही पैदल चलकर ततारपुर चौराहा तक पहुंचे। उसके पश्चात सुबह किसी वाहन से बानसूर के स्वास्तिया हनुमान मंदिर तक पहुंचे। यहां से वह अपने घर का रास्ता पूछ पूछकर अपने घर पहुंचे।
उस दौरान हनुमान सैनी ने जिस व्यक्ति से मदद मांगी उसने उसे पहचान लिया और उन्हें घर तक पहुंचा दिया। 33 साल बाद हनुमान सैनी को जीवित देखकर परिजन अचंभित हो गए और घर में खुशी का माहौल छा गया। हनुमान सैनी के जीवित होने की खबर जब उनकी बहन-बेटियों को पता चला तो वो भी ससुराल से आकर अपने पिता-भाई का हाल चाल जाना। हनुमान सैनी के रिश्तेदारों को जैसे पता चला कि वह जिंदा है, उसके बाद से ही रिश्तेदारों का घर आना-जाना लगा है।
बड़े बेटे रामचंद्र सैनी ने बताया कि 33 साल अपने पिता की याद में गुजर जाने के पश्चात पिता के जीवित होनी की आस छोड़ दी थी। फिर हमने साल 2022 में कोर्ट की मदद से अपने पिता का मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाया। क्योंकि उन्हें जमीन से संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था। जिसके कारण 2022 में पिताजी का कोर्ट के जरिए मृत्यु प्रमाण पत्र भी बनवाया था। हम लोग पिताजी के जीवित होने की आस छोड़ चुके थे, लेकिन पिताजी के घर वापस आने पर हमें बहुत खुशी है।