तिरुपति लड्डू विवाद: दूध-दही और गौमूत्र से प्रसाद बनने वाली रसोई को किया शुद्ध,4 घण्टे चला यज्ञ
तिरुपति लड्डू विवाद: आंध्र प्रदेश के श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर की शुद्धि के लिए 4 घंटे महाशांति यज्ञ किया गया है। इस यज्ञ में तिरुमला तिरुपति देवस्थानम बोर्ड के अधिकारी समेत 20 पुजारी शामिल हुए है। प्रसाद बनाने वाली रसोई को शुद्ध करने के किये दूध-दही और गोमूत्र से महाशांति यज्ञ कर शुद्धिकरण किया गया है।
राज्य सरकार ने तिरुपति मंदिर के लड्डू की जांच के लिए एसआईटी गठित कर दी है। मंदिर के मुख्य पुजारी में से एक कृष्ण शेषाचल दीक्षितुलु बताते हैं कि सरकार एक प्रस्ताव लेकर आई कि मंदिरों को शुद्ध करने के लिए क्या किया जाए। इसलिए हम शांति होम करने के प्रस्ताव के साथ प्रबंधन के पास गए। उन्होंने भक्तों से अनुरोध किया है कि अब उन्हें चिंता करने की जरूरत नहीं है भगवान बालाजी के दर्शन करें और प्रसाद घर ले जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि दूध दही और गोमूत्र से 4 घंटे महाशांति यज्ञ किया गया है।
आंध्र प्रदेश के डिप्टी सीएम पवन कल्याण ने कहां की जब हिंदू मंदिरों को अपवित्र किया जाता है तो हमें चुप नहीं रहना चाहिए। पवन कल्याण ने 22 सितंबर से 11 दिनों की प्रायश्चित दीक्षा की शुरुआत की है। इस दौरान वह उपवास करेंगे। उन्होंने सोशल मीडया X पर लिखा कि जिस पल मुझे पता चला कि लड्डू प्रसादम में जानवरों की चर्बी है, मैं हैरान रह गया। अब मैं खुद को दोषी महसूस कर रहा हूं क्योंकि मैं लोगों के कल्याण के लिए लड़ रहा हूं इसलिए मुझे दुख है कि मैं इसे पहचान क्यों नहीं पाया।
तिरुपति मंदिर दुनिया के सबसे लोकप्रिय और अमीर धर्मस्थलों में से एक हैं। यहां हर दिन करीब 70 से 80 हजार भक्त भगवान वेंकटेश्वर स्वामी के दर्शन करने के लिए आते हैं। इसका प्रशासन तिरुपति तिरुमला देवस्थानम संभालता है। मंदिर परिसर में बनी 300 साल पुराने किचन में शुद्ध देसी घी के रोज करीब साढे तीन लाख लड्डू बनते हैं। यह मंदिर का मुख्य प्रसाद है जिसे करीब 200 ब्राह्मण मिलकर बनाते है।