खेतों में मजदूरी, ABVP में सड़क पर संघर्ष से राजस्थान के डिप्टी CM तक का सफर, ऐसी है प्रेमचंद बैरवा की कहानी
Deputy CM Prem Chandra Bairwa: राजस्थान में आज शनिवार 15 दिसंबर सीएम भजन लाल शर्मा के साथ दिया कुमारी और प्रेम चंद बैरवा ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ली है। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के साथ बीजेपी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ कई केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे है। डिप्टी सीएम प्रेम चंद्र बैरवा की लोगों में अच्छी पकड़ है। प्रेमचंद बैरवा की सादगी से आम आदमी से लेकर भाजपा आलाकमान भी प्रभावित है।
खेतों में मजदूरी की
प्रेमचंद बैरवा का जन्म 1959 में एक किसान परिवार में हुआ था। उनके पिता के पास थोड़ी जमीन खेती करने के लिए थी, लेकिन इससे घर का गुजारा चला पाना मुश्किल था। इस वजह से कम उम्र में ही प्रेमचंद काम करने लगे। अपने खेतो के साथ-साथ दूसरों की खेतों में भी काम किया करते थे। वहीं, इस क्षेत्र का स्थापित व्यापारी बनने से पहले प्रेम चंद्र बैरवा तीन-चार साल तक LIC एजेंट के रूप में भी काम किया। जब घर की आर्थिक स्थिति मजबूत हुई तो फिर राजनीति में भी उतर गए।
AVBP से शुरु किया राजनीति का सफर
डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा ने अपने कॉलेज के समय बीजेपी की युवा विंग अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में सक्रिय होकर राजनीति की शुरुआत की, 24 साल की उम्र में भाजपा में चले गए। यहां भी उन्हें कामयाबी मिलती गई और 2013 में पहली बार विधायक बने। इस निर्वाचन विधानसभा चुनाव 2018 में निर्दलीय प्रत्याशी बाबूलाल नागर ने भाजपा प्रत्याशी डॉ. प्रेमचंद बैरवा को 14779 वोटों के अंतर से पराजित कर दूदू सीट जीती थी।
आज करोड़ो के मालिक है बैरवा
कड़ी मेहनत का परिणाम रहा कि प्रेम चंद बैरवा आज राजनीति में इस मुकाम पर पहुंचे है। आज के समय में प्रेमचंद बैरवा की कुल संपत्ति की बात करें तो उनके पास 3 करोड़ो रुपये की जमीन के साथ ही 55 लाख रुपये की गैर कृषि भूमि है। प्रेमचंद बैरवा के नौ बैंक खातों में तीन लाख 83 हजार 871 रुपये हैं। खुद के पास दो सौ ग्राम सोना (छह लाख 50 हजार रुपये कीमत) और पत्नी के पास 250 ग्राम सोना (सात लाख 50 हजार रुपये कीमत) है। वहीं, पत्नी के पास लाखों रुपये की गाड़ी है। वह एक पेट्रोल पंप (BPCL) के भी डीलर हैं।
बूथ लेबल तक बनाई पकड़
2018 की हार के बाद प्रेमचंद बैरवा ने विधानसभा में अपनी सक्रियता को और ज्यादा बढ़ा दिया। इसी का परिणाम रहा कि अपनी विधानसभा में बूथ लेवल तक मजबूत पकड़ के साथ चुनाव में जीत तय कर पाने में सफल रहे। प्रेम चंद्र बैरवा ने बाबूलाल नागर को हराने के लिए बूथ लेवल तक कार्यकर्ताओं की बड़ी टीम खड़ी की और हर गांव और ढाणी में पहुंचकर जनता को सुशासन लाने का विश्वास दिलाया। इसके बाद दूदू विधानसभा में बदलाव की एक लहर देखने को मिली। नतीजा यह हुआ कि बैरवा जीत की सीढ़ी चढ़ते गए।