सबसे प्राचीन पीठ की गद्दी पर बैठेंगे वृंदावन के प्रख्यात संत, जिनके मुख पर प्रकट है तेज आभा
जयपुर- राजस्थान के प्रख्यात संतो में पहचाने जाने वाले सीकर जिले के रैवासाधाम के पीठाधीश्वर डॉ. राघवाचार्य महाराज का आज सुबह दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। महाराज के निधन का समाचार सुनकर हर कोई स्तब्ध है। महाराज के पार्थिव देह को जानकिनाथ मंदिर में रखा हुआ है जहां उनको चाहने वालों को अंतिम दर्शन हो पा रहे है। सुबह से अनेक संतों व राजनीतिक पार्टीयों के नेताओं के आने का सिलसिला जारी है। सभी संतों की सहमती से अब रैवासा पीठ कि गद्दी पर वृंदावन के मूलक पीठाधीश्वर जगद्गुरू द्वाराचार्य स्वामी राजेंद्रदास महाराज बैठेंगे।
राघवाचार्य महाराज की पीठ पर अब बैठेंगे राजेंद्रदास महाराज
महाराज राघवाचार्य के निधन के बाद अब उनकी पीठ गद्दी पर वृंदावन के मूलक पीठाधीश्वर जगद्गुरूद्वाराचार्य स्वामी राजेंद्रदास महाराज बैठेंगे। यह निर्णय आज सभी संतों की सहमति से लिया गया। आज रात में राजेंद्रदास महाराज रैवासा धाम पंहुचे जहां उन्होंने महाराज के पार्थिव देह पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। बताया गया है कि जिस पीठ से महाराज राजेंद्रदास आते है वह मूलक पीठ है वह मूलक दास जी अखाड़ा के नाम से जाना जाता था।
मलूक पीठ एक भक्तियुक्त सनातन धर्म संगठन है
श्री मलूक दास जी लगभग 2500 संतों के साथ रहते थे, जो ठाकुर / भगवान सेवा, साधु / संत सेवा में अपना समय और ऊर्जा व्यय करते थे और भक्ति संगीत और भजन सीखते थे। श्री मलूक पीठ एक भक्तियुक्त सनातन धर्म संगठन है और वर्तमान में परम पूज्य मलूक पीठाधीश्वर श्री जगद्गुरु द्वाराचार्य स्वामी राजेंद्र दासजी महाराज के नेतृत्व में है।
स्वामी राजेंद्र दासजी महाराज के नेतृत्व में चल रहा गुरूकुल
उनके दिव्य नेतृत्व के अंतर्गत ठाकुर / भगवान सेवा, साधु / संत सेवा, गुरुकुल (छात्रों के सीखने का कार्यक्रम), गरीब लोगों के लिए भोजन और चिकित्सा उपचार करना, भक्तों और संतों का ध्यान रखा जा रहा है। छात्रों और भक्तों के लिए हारमोनियम, तबला, आदि जैसे भारतीय पारंपरिक संगीत वाद्ययंत्र सीखने और भक्ति गायन (भजन) सीखने के लिए एक संस्थान भी है।
राज्यसभा सांसद तिवाड़ी और हवामहल विधायक बालमुकंदाचार्य सुबह से धाम में
महाराज की निधन कि सूचना पर राज्यसभा सांसद घनश्याम तिवाड़ी और हवामहल विधायक और हाथोज धाम पीठाधीश्वर बालमुकंदाचार्य सुबह से रैवासा धाम में मौजूद है। घनश्याम तिवाड़ी ने महाराज के 2015 में लिखितवसियतनामा पढ़ा। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने महाराज के निधन पर शोक व्यक्त करने के लिए पत्र भेजा जिसको दांतारामगढ़ एसडीएम गोविंद सिंह भींचर ने पढ़कर सुनाया।