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गुलाब के फूल बिन अधुरी कवियों की रचना, शिव पुराण में भी मिलता है इसका वर्णन

11:03 AM Jan 10, 2023 IST | Supriya Sarkaar
गुलाब के फूल बिन अधुरी कवियों की रचना  शिव पुराण में भी मिलता है इसका वर्णन

गुलाब के फूल का हमारे जीवन में अहम रोल है। पूजा-अर्चना के समय भगवान को चढ़ाने में, भेंट करने में तथा सुगंधित इत्र बनाने में गुलाब का फूल काम आता है। वैवाहिक जीवन से लेकर दोस्ती जाहिर करने तक गुलाब का फूल अपनी भूमिका निभाता है। यूं तो सभी को लाल रंग का गुलाब ज्यादा भाता है। लेकिन इसके अलावा भी यह कई रंगों में मिलता है।

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गुलाब के पौधे के बारे में बात करें तो यह एक बहुवर्षीय पौधा है। इसे कहीं भी उगाया जा सकता हैं, यह वर्षभर उगने वाला पौधा है। गुलाब की सुंदरता को लेकर कई कवियों ने अपनी कविताओं में इसका बखान किया है। शेक्सपीयर जैसे महान कवि ने अपनी सबसे अधिक रचनाएं फूलों और दोस्ती पर ही की है। इससे पता चलता है कि कवियों से लेकर आम आदमी की जिंदगी तक गुलाब का कितना महत्व है। यह एक कटींला वृक्ष है, इसको लेकर कई लोग इसकी मिसाल भी देते हैं।

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गुलाब के बारे में 

गुलाब के पौधे को उगाने के लिए इसकी कलम यानी डाल ही लगाई जाती है। अलग-अलग रंग के गुलाब को भिन्न-भिन्न नामों से जाना जाता है। सफेद रंग के गुलाब को सेवती कहा जाता है। कहीं-कहीं तो हरे और काले रंग का गुलाब भी पाया जाता है। भारत में ऋतु के अनुसार दो तरह के गुलाब के पौधे होते हैं- सदागुलाब और चैती। सदागुलाब पूरे वर्ष उगता है जबकि चैती गुलाब केवल बसंत ऋतु में फलता है। चैती गुलाब में विशेष प्रकार की सुगंध होती है। इसी फूल को इत्र और दवा बनाने के काम में लिया जाता है।

भारत में कई स्थानों पर जंगली गुलाब भी पाया जाता है। कश्मीर तथा भूटान में पीले फूल के जंगली गुलाब बहुतायत में पाए जाते हैं। कई कवियों ने साहित्य में भी इसका वर्णन किया है। अलग-अलग भाषाओं में इसके विभिन्न नामों से जाना जाता है। फारसी में गुलाब, अंग्रेज़ी में रोज, बांग्ला में गोलाप, तामिल में इराशा और तेलुगु में गुलाबि कहा जाता है। इसका वर्णन शिव पुराण में भी मिलता है। यहां इसे देव पुष्प कहा गया है।

100 से अधिक जातियां

गुलाब के पौधे यूं तो सभी स्थानों पर मिलते हैं। कई शहरों में गुलाब के बाग भी बने हुए हैं, जहां कई प्रजातियों और रंगों के गुलाब के फूल मिलते हैं। राजस्थान का उदयपुर शहर भी इन्हीं में से एक है। 100 एकड़ जमीन पर फैले इस उद्यान में सैंकड़ों किस्म के गुलाब पाए जाते हैं। यह एक झाड़ीदार, कंटीला और पुष्पीय पौधा है।

इसमें लाल, गुलाबी, सफेद, पीले, हरे, नारंगी तथा नीले रंग के सुंदर और सुगंधित फूल लगते हैं। इस पौधे की 100 से अधिक जातियां हैं। इनमें से अधिकांश जातियां एशियाई मूल की है। इसके अलावा यूरोप, उत्तरी अमेरिका तथा उत्तरी पश्चिमी अफ्रीका में भी गुलाब के पौधे पाए जाते हैं।

गुलाब दिवस

गुलाब का फूल बहुत कोमल और सुंदर होता है। कई बार छोटे बच्चों की उपमा गुलाब के फूल के साथ दी जाती है। गुलाब की महत्ता को देखते हुए भारत सरकार ने 12 फरवरी को ‘गुलाब-दिवस’ के रूप में घोषित किया है। इसकी कोमलता और सुंदरता के लिए यह विश्वभर में प्रसिद्ध है।

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