पर्वतारोही अनुराग मालू का रेस्क्यू ऑपरेशन चलाने वाली कंपनी ने मांगे अब 70 लाख रुपए, केंद्र सरकार तक परिवार ने पहुंचाई व्यथा
अजमेर। तीन दिनों तक बर्फीले आगोश में खो जाने वाले पर्वतारोही अनुराग मालू को रेस्क्यू करने वाली कंपनी ने 70 लाख रुपए का बिल थमा दिया है। कंपनी ने अनुराग माल से उनकी जिंदगी बचाने के एवज में 70 लाख रुपए मांगे हैं। यह बिल देखकर अनुराग मालू और उनका परिवार खासा परेशान हो गया है। उनका कहना है कि वह इतनी बड़ी रकम कहां से अदा करेंगे।
केंद्र सरकार तक पहुंचा लेटर
इसे लेकर अनुराग मालू के परिवार ने अजमेर जिला कलेक्टर को पत्र लिखा है और मदद मांगी है। कलेक्टर ने यह लेटर राजस्थान सरकार और फिर केंद्र सरकार को भेज दिया है। अजमेर सांसद भागीरथ चौधरी ने इस मामले का संज्ञान लिया और मदद का भरोसा दिया।
पता न लगने पर रेस्क्यू कंपनी ने ऑपरेशन चलाने से ही मना कर दिया था
अनुराग मालू के परिवार ने बताया कि जब 17 अप्रैल को अनुराग नेपाल के काठमांडू की अन्नपूर्णा हिल्स में लापता हो गया। तब रेस्क्यू कंपनी ने सर्च ऑपरेशन चलाया। दिन रात ऑपरेशन चलाने के बाद जब अनुराग मालू का पता नहीं मिला तो उन्होंने ऑपरेशन जारी रखने से भी मना कर दिया। इसके बाद कोई भी कंपनी अनुराग को बचाने के लिए आगे नहीं आई।
जब इस बात का पता सांसद भागीरथ चौधरी को लगा तो उन्होंने दिल्ली में प्रधानमंत्री कार्यालय और विदेश मंत्री कार्यालय से संपर्क कर अनुराग मालू को बचाने के लिए रेस्क्यू टीम का बंदोबस्त किया। जिसके बाद अनुराग का रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया लगातार दो दिन रात सर्च ऑपरेशन चलाने के बाद आखिरकार अनुराग मालू को बर्फ की दरारों के बीच से ढूंढ निकाला गया।
20 अप्रैल को अनुराग को ढूंढ निकाला गया
बता दें कि बीती 20 अप्रैल को किशनगढ़ के रहने वाले जाबांज पर्वतारोही अनुराग मालू (Anurag Maloo) को ढूंढ। अपने बेटे के सुरक्षित मिलने की खबर से परिवार और पूरे किशनगढ़ में खुशी की लहर दौड़ गई।
चढ़ाई करते वक्त अन्नपूर्णा हिल्स से 6000 मीटर से नीचे गिरे
बता दें कि अनुराग मालू (Anurag Maloo) नेपाल स्थित दुनिया की 10 वीं सबसे ऊंची चोटी अन्नपूर्णा हिल्स से 6000 मीटर की चढ़ाई करने के बाद गिर गए थे और तभी से वह लापता हो गए थे। कंपनी के ग्रुप की ओर से बीते सोमवार दोपहर को अनुराग के छोटे भाई को उनके लापता होने का संदेश मिला था। जिसके बाद परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा।
अनुराग 24 मार्च को जयपुर से दिल्ली उसके बाद 25 मार्च को दिल्ली से नेपाल काठमांडू गए थे। उन्होंने बीते 6 अप्रैल को अपनी मां को अपने मिशन के बारे में भी बताया था। 8 तारीख को मां से फोन पर बात भी की थी। अनुराग ने अपनी मां और पिता से मिशन जल्द खत्म होने के बाद घर लौटने की बात कही थी।