For the best experience, open
https://m.sachbedhadak.com
on your mobile browser.

पिछले कृषि बजट की घोषणाएं पूरी, लेकिन धरती पुत्रों की आस रही अधूरी

चुनावी साल में सरकार हर वर्ग को साधने के लिए खास बजट लाने की तैयारी में है।
08:30 AM Jan 31, 2023 IST | Anil Prajapat
पिछले कृषि बजट की घोषणाएं पूरी  लेकिन धरती पुत्रों की आस रही अधूरी

जयपुर। चुनावी साल में सरकार हर वर्ग को साधने के लिए खास बजट लाने की तैयारी में है। प्रदेश के सबसे बड़े किसान वर्ग को साधने के लिए इस बार भी अलग से कृषि बजट पेश किया जाएगा। यह दूसरा कृषि बजट होगा। इसको लेकर किसानों को खासी उम्मीद है। गहलोत सरकार के पहला कृषि बजट 5.92 प्रतिशत यानी 78 हजार 938 करोड़ 68 लाख रुपए का मिला। जो बजट 2021-22 बजट अनुमानों से 11.68 प्रतिशत ज्यादा रहा। पूर्व बजट के सौ फीसदी इम्प्लीमेंट का दावा करने के बाद भी किसानों की आस अधूरी है।

Advertisement

किसानों को उम्मीद से ज्यादा मिलेगा

बजट को लेकर कृषि एवं पशुपालन मंत्री लालचंद कटारिया का कहना है कि राज्य सरकार अलग से बजट पेश कर किसानों को उनका हक दिया। बीते चार वर्षों में राज्य सरकार ने 20.77 लाख किसानों के करीब 8 हजार सहकारी बैंकों के ऋण माफ किए। कृषि कनेक्शनों पर अनुदान देकर बिजली बिल माफ किए। इसके अलावा एक साल में 5 लाख नए किसानों को शामिल कर 20 हजार करोड़ रुपए के कृषि ऋण देने की घोषणाएं की थी, जो लगभग पूरी की गई है। मंत्री लालचंद कटारिया ने बताया कि इस बार जो कृषि और पशुपालन के लिए बजट लाया जाएगा, वो बजट ऐतिहासिक होगा। किसानों और आमजन की जो उम्मीद है, उससे कहीं ज्यादा इस बजट में देखने को मिलेगा।

किसानों और विभिन्न किसान संगठनों से जुड़े लोगों ने कृषि बजट को लेकर रखे अपने-अपने विचार

ग्रीन वर्ल्ड फाउंडेशन के इंद्रराज जाट ने कहा बजट में किसानों की आय बढ़ाने के लिए फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाने पर सरकार को फोकस करना चाहिए। साथ ही मार्केटिंग पर जोर देना चाहिए। किसानों की सबसे बड़ी समस्या पानी और बिजली की समस्याओं के समाधान पर विशेष ध्यान दिए जाने की जरूरत है। घोषणाओं की क्रियान्विति के लिए सरकार को निगरानी करनी चाहिए। साथ ही एफपीओ को बढ़ावा देना चाहिए।

किसान नेता डॉ. सीबी यादव ने कहा कि राज्य में बाजरा-मक्के का सबसे ज्यादा उत्पादन है। इसके लिए राज्य सरकार को बाजरा खरीद के लिए बजट बढ़ाएं । किसानों को आर्थिक संबल देने के लिए 2 हजार रु.मासिक पेंशन शुरू करनी चाहिए। साथ ही पीएम फसल बीमा योजना को बंदकर चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा की तर्ज पर फसल बीमा योजना लानी चाहिए। हर पंचायत पर कृषि उत्पादों के अनुसार फ़ूड प्रोसेसिंग यूनिट लगानी चाहिए।

झालावाड़ के प्रगतिशील किसान बाल मुकुंद डांगी ने कहा कि किसानों को लाभ देने के लिए इकाई लागत में कमी करें। पोली हॉउस, प्याज भंडारण, कोल्ड स्टोरेज के लिए किसानों को अधिक से अधिक सब्सिडी दें। बागवानी फसलों को बढ़ावा देने पर जोर दें। आधुनिक कृषि के लिए कृषकों को अनुदान दिया जाना चाहिए। कृषि उत्पादन के साथ लागत में कमी करने पर ध्यान देना जरूरी।

जैविक कृषि वैज्ञानिक भंवर सिंह पीलीबंगा ने कहा कि किसानों को खेती के लिए संसाधनों को बढ़ाना चाहिए। जैविक कृषि को बढ़ावा देने के साथ जैविक उपभोक्ता जागरूकता अभियान शुरू करने चाहिए। जैविक बोर्ड बनना चाहिए। सरकार द्वारा बनाए गए जैविक खेती क्लस्टरों की मॉनिटरिंग के लिए यूनिट का गठन होना चाहिए। पंचायत स्तर पर जैविक खेती के समाधान केंद्र खोलने चाहिए।

भारतीय जैविक किसान उत्पादन संघ के चेयरमैन अतुल गुप्ता ने कहा कि प्रदेश में फूड पार्क बनाए जाने चाहिए। फूड पार्क के लिए 50 करोड़ तक की सब्सिडी और जागरूकता बढ़ाएं । योजनाओं की निगरानी के लिए बोर्डका गठन किया जाएग। फूड प्रोसेसिंग योजना किसानों के लिए हो, व्यापारियों के लिए नहीं। प्रोजेक्ट इम्प्लीमेंट को बढ़ावा देना चाहिए। योजनाएं किसानों के अनुसार बनाई जाए। किसानों की डीजल, पानी, बिजली संसाधनों पर लागत कम की जाए।

पशुपालक महेंद्र चौधरी ने बताया कि कृषि के साथ-साथ पशुपालन को बढ़ावा दिया जाए। पशुपालकों को आर्थिक संबल के लिए पेंशन दी जाए। पशुओं की खरीद पर सब्सिडी और सुलभ ऋण दिया जाना चाहिए। दूध पर सरकारी से साथ निजी डेयरियों द्वारा सब्सिडी देनी चाहिए। पशुओं के नश्ल सुधार पर काम करना चाहिए।

(लोकेश ओला)

.