चीन में भी है भगवान शिव का मंदिर, मध्यकाल में रहा हिंदू धर्म का अच्छा-खासा प्रभाव
देवाधिदेव महादेव के कई मंदिर भारत के बाहर भी स्थित हैं। देश और दुनिया में भगवान शिव को विभिन्न रूपों में पूजा जाता है। भारत के पड़ोसी देश चीन में भी भगवान शिव को एक अलग ही रूप में पूजा जाता है। चीन की जनसंख्या का एक छोटा भाग हिंदूधर्म का पालन करता है। वहां विशेष रूप से हिंदू धर्म के योग और अध्यात्म से जुड़े हुए स्वरूप का पालन किया जाता है, हालांकि आधुनिक चीन में हिंदूधर्म का पालन करने वालों की संख्या थोड़ी सीमित है।
ऐतिहासिक साक्ष्यों के मुताबिक मध्यकालीन चीन में हिंदूधर्म का अच्छा- खासा प्रभाव हुआ करता था। ज्यादातर लोगों का मानना रहा है कि भगवान शिव भारतवासियों के ही आराध्य हैं, लेकिन अब ऐसे साक्ष्य भी मिल रहे हैं, जिनसे साबित हो रहा है कि भगवान शिव की चीन, कोरिया समेत कई देशों में पूजा की जाती रही है। चीन में तो कई ऐसे मंदिर, गुफा मंदिर, शिवलिंग, प्रतिमाएं मिली हैं, जिनसे प्रतीत होता है कि इस पड़ोसी देश में भगवान शिव को मानने वालों की बड़ी तादाद रही है।
चोल सम्राट राजराजा ने एक हजार साल पहले भेजा था प्रतिनिधिमंडल
डेक्कन हेराल्ड की एक रिपोर्ट के मुताबिक चोल सम्राट राजराजा ने करीब एक हजार साल पहले चीन में व्यापार के लिए एक प्रतिनिधिमंडल भेजा था। आर्कियोलॉजिस्ट एस. रामचंद्रन के मुताबिक तमिलनाडु और चीन की भूमि के संबंध ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रहे हैं। रामचंद्रन के अनुसार चीन में 14वीं सदी में एक ऐसे शिव मंदिर के प्रमाण भी मिलते हैं, जिसका नाम मंगोल राजा सेगासाई खान के नाम पर इस मंदिर का नाम खानीश्वम रखा गया था। मंदिर को तमिल साधु थावा चक्रवर्ती ने बनवाया था। यह माना जाता है कि चीन में जैन- बौद्ध धर्म का प्रसार करने वाले बोधि धर्म भी कांचीपुरम से ही गए थे।
क्वांगझू में शिव से सम्बंधित लगभग 300 मूर्तियां व नक्काशियां
चीन के दुनहु आग में मगाओं गुफा में भगवान गणेश की छठी शताब्दी की गणेश प्रतिमा भी विराजित है। हेनान में लॉंगमेंन में ल्यूओयांग में अप्सरा की मूर्ति पाई गई है, जो काफी पुरानी है। क्वांगझू म्यूजियम में भी हिन्दू संस्कृति के प्रतीक रखे गए हैं। जो काफी प्राचीन हैं। चीन में फुजियान के क्वांगझू में विशाल शिवलिंग मिला है। क्वांगझू के शिवमंदिर के अवशेषों को वहां के म्यूजियम में रखा गया है। क्वांगझू में भगवान शिव पत्थर पर चित्रित पाए गए हैं।
13वीं शताब्दी में कैयूआन मन्दिर हिन्दू मंदिर था। क्वांगझू में लगभग 300 के आस-पास भगवान शिव से सम्बंधित मूर्तियां, नक्काशियां आदि पाए गए हैं, जो अब वहां के संग्रहालय में रखे गए हैं। क्वांगझू और उनके आस-पास में दक्षिण भारतीय शैली में देवाधिदेव महादेव की पूजा अर्चना और विश्वास से संबंधित कहानियों से संबंध रखते हुए अनेक चित्र, मूर्तियां, शैल चित्र और नक्काशियां प्राप्त हुई हैं। इनमें एक हाथी शिवलिंग की पूजा करते हुए भी प्राप्त हुआ है। चीन के क्वांगझू के शिनमेन क्षेत्र में स्थित फुजियान में प्राचीन शिव मंदिर के अवशेष हैं, जहां 5 फीट लंबा शिवलिंग वर्तमान में भी देखा जा सकता है।
यह शिवलिंग जिस मंदिर में है, वह पूरी तरह ध्वस्त है, लेकिन फिर भी इसके अवशेषों और शहर की दीवारों पर वैदिक धर्म से संबंधित नक्काशी मिलती है। इस मंदिर पत्थर को 1011 ई.पू. में काटा गया था, लेकिन फिर 1400 ईस्वी में इसे दोबारा निर्मित किया गया। ऐसा माना जाता है कि वर्ष 1950 तक संतानहीन चीनी महिलाएं इस मंदिर में शिव का आशीर्वाद लेने आती थीं।
तमिलों के जरिए चीन पहुंचा हिंदूधर्म
चीन में हिंदूधर्म का प्रभाव मध्यकालीन चीन में भारत के तमिल व्यापारियों के जरिए पहुंचा, तमिल व्यापारियों का प्रभाव मुख्य रूप से आज के दक्षिणपूर्वी चीन में रहा। तमिल प्रवासियों का एक छोटा हिस्सा हांगकांग में रहता है। चीन के फुजियान प्रांत के क्वांगजू शहर में भगवान शिव के मंदिरों के प्रमाण मिलते हैं। विशेष रूप से क्वांगझू का कैयूआन मंदिर इसे लेकर बेहद मशहूर है। कैयूआन का मंदिर चीन के उन कुछेक मंदिरों में से एक हैं, जहां हिंदूधर्म के प्रमाण मिलते हैं। वैसे तो यह मंदिर गौतम बुद्ध का है, लेकिन यहां पर कई हिंदू देवी-देवताओं की प्रतिमाएं भी मौजूद है।
चीन में भगवान विष्णु हैं दजीजेशन
कैयूआन मंदिर के दो स्तंभों पर भगवान विष्णु के गरुड़ पर विष्णु, लक्ष्मी जी के साथ विष्णु, नृसिंह रूप, कृष्ण रूप भी चित्रित पाए गए हैं। चीन में भगवान विष्णु को दजीजेशन के नाम से जाना जाता है। दक्षिण चीन के युंगनान प्रांत और आधुनिक चीन के दक्षिण-पश्चिम क्षेत्रों में भगवान शिव से जुड़े कई साक्ष्य मिलते हैं। इन क्षेत्रों में जियानशुन की गुफाओं में शिवलिंग और प्रतिमाएं भी मिली हैं। वहीं युंनन में दाली मंदिर की खुदाई में भी हिंदू देवी-देवताओं से जुड़े कई साक्ष्य मिले।
पुरातत्व अवशेषों में नंदी प्रतिमा भी मिली
चीन में मिले पुरातत्व अवशेषों में भगवान शिव के मंदिरों में पाई जाने वाली नंदी प्रतिमा भी प्राप्त हुई है। दतोंग में युगांग की गुफा 7 से लेकर 9 तक में भगवान शिव और विष्णु से जुड़े काफी साक्ष्य मिले हैं। कहा जाता है कि इस क्षेत्र में भगवान शिव के साथ ही भगवान विष्णु को मानने वालों की संख्या भी काफी थी। ह्वेन -वु -लो -यांग जिले में एक स्तम्भ है, जिसमें ऊपर से नीचे ओर दांये से बांये तक संस्कृत लेखन है। बौद्ध धर्म के अलावा युनान में शैववाद भी लोकप्रिय था, जैसा कि वहां महाकाल के पंथ के प्रचलन से प्रकट होता है।
महेश्वर स्वरूप में पूजे जाते हैं शिव
बौद्ध और हिंदूधर्म की मिली-जुली संस्कृति के मुताबिक चीन के बौद्ध अनुयायियों में भगवान शिव को महेश्वर के नाम से जाना जाता है अर्थात इन्हें तीनों लोकों का स्वामी माना जाता है। पाली साहित्य में उन्हें सबलोकाधिपति भी कहा गया है। बौद्ध धर्म में वर्तमान रूप में जिस महेश्वर की पूजा की जाती है, उनका पुनर्जन्म माना गया है। यह पुनर्जन्म एक देवता के रूप में हुआ। बौद्ध धर्म की संस्कृति के मुताबिक इन्हें लोगों की मदद करने वाला देवता माना जाता है।
किजिल की गुफाओं में हिंदू देवताओं के साक्ष्य
प्राचीन शुंगलिंग रूट यानी आज के कश्मीर रूट के जरिये ज्यादातर बौद्ध भिक्षु व यात्री चीन पहुंचते थे। कहा जाता है कि इसी मार्ग के जरिये चीन में बौद्ध धर्म पहुंचा और उसका प्रचार-प्रसार हुआ। यह भी कहा जाता है कि बौद्ध भिक्षु अपने ग्रंथों के साथ ही हिंदू धर्मग्रंथ, विचार व आदर्श भी लेकर चीन पहुंचे।
शिजियांग प्रांत में किजिल व लोपनुर गुफाओं से प्राचीन चीन में हिंदू मान्यताओं व देवी-देवताओं की मौजूदगी के काफी साक्ष्य मिले हैं। इन गुफाओं में भगवान गणेश, हनुमान जी और दूसरे हिंदू देवी-देवताओं की प्रतिमाएं व भित्ति चित्र मिले हैं। किजिल और लोपनुर की गुफाओं में मिले साक्ष्यों को चौथी और छठी शताब्दी का माना जा रहा है।
(कंटेंट- पंकज ओझा)
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