सीजन में पहली बार अलवर में पारा माइनस 0.5 डिग्री, फसलों पर बर्फ जमने से किसान चिंतिंत, चेतावनी-1 हफ्ते तक ठंड से राहत नहीं
अलवर। जिले में सर्दी का सितम बढ़ता जा रहा है। जिले का न्यूनतम तापमान माइनस 0.5 डिग्री तक पहुंच गया है और हालात ये हैं कि सुबह खेतों में बागों में बर्फ जम गई है। पूरे जिले में हालात यही हालात बने हुए हैं। शीतलहर ने जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया है। शाम होते ही बाजार सुन हो जाते हैं। अभी माना यह जा रहा है कि आने वाले दिनों में यह सर्दी कम नहीं होगी। हालांकि दोपहर में धूप निकलने से थोड़ी राहत तो मिलती है, लेकिन शीतलहर के कारण धूप की गर्मी भी बेअसर साबित हो रही है।
इस सर्दी का असर जहां बच्चों पर पड़ रहा हैं। वहीं, फसलों पर भी इसका असर दिखाई दे रहा है। पाले के चलते सरसों की फसल भी प्रभावित हो सकती है। इसके अलावा सब्जियों में टमाटर, मटर सहित अन्य फसलें को भी नुकसान होगा। लगातार बर्फबारी के चलते बाहर खड़े वाहनों तथा खेत खलियानों में जमी बर्फ ही बर्फ नजर आ रही है। वहीं, दिनभर चल रही शीतलहर का प्रकोप जारी है।
पाले के चलते फसलों को नुकसान
इस समय किसानों की फसलों को कोहरे के चलते बड़ा नुकसान हो सकता है। देखा जाए तो सरसों की फसल में 2 दिन पहले हुई बर्फबारी से रुपए में से 15 पैसे का नुकसान बताया जा रहा है। अगर इसी प्रकार बर्फ जमती रही तो किसानों को बड़ा नुकसान हो सकता है। बता दे सर्दी के सीजन की पहली जोरदार बर्फबारी देखी गई है। इन दिनों शीत लहर चलने के कारण खेतों में पाला जमा पड़ा है। पाला जमने से किसानों की सरसों तथा गेहूं की फसल में भी काफी नुकसान देखा जा रहा है। इससे किसानों की चिंताएं बढ़ चुकी हैं। किसानों ने बताया कि पाला पड़ने के साथ ही उनकी सरसों की फसल में काफी नुकसान हुआ है और अच्छी ठंड से गेहूं की फसल को फायदा है।
मौसम विभाग की चेतावनी-1 हफ्ते तक सर्दी से राहत नहीं
मौसम विभाग के अनुसार आगामी 1 हफ्ते तक मौसम ऐसा बना रहने की भी चेतावनी दी जा रही है। सरसों की फसल को खेतों के आस पास पाले से बचाने के लिए मशक्कत कर रहे हैं। खेतों में फसलों तथा घरों के बाहर खड़े वाहनों पर बर्फ की चादर देखी जा रही है ।जिससे लोगों का जनजीवन भी प्रभावित हो रहा है। हाड कंपकपाने वाली सर्दी से लोगों को किसी भी प्रकार की राहत नहीं मिल पा रही है। कृषि विज्ञान के वैज्ञानिकों ने बताया कि ऐसे ही अगर पाला पड़ता रहा तो किसानों को भारी नुकसान होने की भी संभावना है, जिससे किसान चिंतित नजर आ रहे हैं।