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कहां छूना 'गुड टच और कहां होता है बैड टच'…टीचर ने रोचक तरीके से बच्चों को सिखाया, लोगों ने की तारीफ

कहां छूना 'गुड टच और कहां होता है बैड टच'…टीचर ने रोचक तरीके से बच्चों को सिखाया, लोगों ने की तारीफ
01:57 PM Aug 10, 2023 IST | Sanjay Raiswal

जयपुर। देश में महिलाओं पर हो रहे अपराध बढ़ते ही जा रहे है। वहीं मासूम बच्चियों से अपराधों में बढ़ोत्तरी हो रही है। स्कूल में टीचर बच्चियों को अच्छी शिक्षा तो देते है, लेकिन उनकी सुरक्षा के बारे में ना कोई पढ़ाता है और ना ही बताता है। ऐसे में बहुत सी मासूम बच्चियां अपने साथ हुई दरिंदगी के बारे में कुछ समझ भी नहीं पाती है।

हाल ही में लड़कियों की सुरक्षा को लेकर एक महिला टीचर ने बेहतरीन पहल की है। महिला टीचर ने स्कूल में पढ़ने वाली मासूम बच्चियों से होने वाली गलत और सही हरकतों के बारे में बताया। सोशल मीडिया पर ये वीडियो 'बैड टच' और 'गुड टच' के नाम से तेजी से वायरल हो रहा है।

वीडियो में महिला टीचर बच्चियों से देखभाल करने वाले स्पर्श, जैसे सिर पर थपथपाना या गले लगाना, और एक हानिकारक स्पर्श जो शारीरिक या भावनात्मक रूप से चोट पहुंचा सकता है, के बीच अंतर समझाने के लिए सरल भाषा और संबंधित उदाहरणों का उपयोग कर रही है। उनका दृष्टिकोण न केवल जानकारीपूर्ण है, बल्कि सशक्त भी है, जो बच्चों को कभी भी अनुचित स्पर्श का अनुभव होने पर अपनी परेशानी जाहिर करने के लिए प्रोत्साहित करता है।

सोशल मीडिया प्लेटफार्म के ट्विटर पर इस वीडियो को @RoshanKrRaii यूजर्स ने पोस्ट किया गया है। वीडियो में एक महिला शिक्षक अपने छात्रों को 'अच्छे स्पर्श' (Good Touch) और 'बुरे स्पर्श' (Bad Touch) की महत्वपूर्ण अवधारणा के बारे में शिक्षित करती हुई दिखाई दे रही है। इस वीडियो के कैप्शन में लिखा है, 'यह टीचर प्रसिद्ध होने की हकदार है। इसे पूरे भारत के सभी स्कूलों में दोहराया जाना चाहिए। इसे जितना हो सके शेयर करें।'

इस वीडियो को 1.5 मिलियन से अधिक बार देखा गया है। इस वीडियो की सोशल मीडिया पर सराहना हो रही है। यूजर्स ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इस वीडियो का वायरल होना स्कूलों में ऐसी शिक्षा के महत्व को रेखांकित करता है, खासकर ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में जहां इस तरह के ज्ञान तक पहुंच अक्सर सीमित होती है।

वहीं कुछ यूजर्स ने यह भी सुझाव दिया है कि माता-पिता को अपने बच्चों को 'अच्छे स्पर्श' और 'बुरे स्पर्श' के बारे में सिखाने की पहल करनी चाहिए, जो हमारे बच्चों की सुरक्षा में समाज की सामूहिक जिम्मेदारी को उजागर करता है।

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