'प्रकृति, मानवता के खिलाफ है समलैंगिक विवाह'...स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा- ये हमारा मामला, बीच में न आए कोर्ट
जयपुर। समलैंगिकता पर शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने दो टूक कहा कि ये प्रकृति, मानवता के खिलाफ है, इससे समाज से व्यभिचार बढ़ेगा। ये मानवता के लिए एक कलंक के समान है। स्वामी निश्चलानंद ने मानसरोवर स्थित गोपेश्वर महादेव मंदिर गोष्ठी के बाद सच बेधड़क से खास बातचीत में समलैंगिकता पर बयान दिया।
फैसला देने वाले जज से पूछें ये सवाल
उन्होंने कहा समलैंगिकता का फैसला मानवता के लिए कलंक है। जिन न्यायाधीशों के पास ये फैसला आने वाला है, उनसे पूछना चाहिए कि क्या आप पुरुष हैं तो पुरुष से शादी कर चुके हैं क्या? आप स्त्री हैं तो स्त्री से शादी कर चुके हैं ? इससे व्यभिचार को बढ़ावा मिलेगा, प्रोत्साहन मिलेगा। सभी को पता है कि विवाह धार्मिक क्षेत्र में पहला स्थान रखता है। ये लोगों के क्षेत्र का विषय है कोई कोर्ट का मामला नहीं है। न्यायालय के क्षेत्र का विषय नहीं है अगर न्यायालय का कोई ऐसा फैसला होता है तो उसे मानने की आवश्यकता नहीं है। यह हमारा मामला है इसमें कोर्ट को नहीं पड़ना चाहिए। न्यायाधीशों को भी क्या कह देना चाहिए की प्रकृति आप को दंड दिए बिना नहीं रहेगी।
मैकाले पर बोले शंकराचार्य
स्वामी निश्चलानंद ने मैकाले ने 3c पर कहा कि भारत को अस्तित्व और आदर्श विहीन बनाने के लिए ये मैकाले ने दिया था। पहले सी का अर्थ है क्लास और को- एजुकेशन, दूसरे सी का अर्थ है क्लब, तीसरे सी का अर्थ है कोर्ट। मैकाले के द्वारा दिया हुआ यह षड्यंत्र है। उसी का अनुगमन करके देश का अस्तित्व और आदर्श विकृत करने का प्रकल्प चल रहा है। समलैंगिकता से पशुता की भावना आएगी यह प्रकृति के खिलाफ है, संविधान के खिलाफ है मानवता के खिलाफ है इससे पशुता की भावना आएगी विप्लव मचेगा भ्रष्टाचार मचेगा।
बता दें कि मानसरोवर स्थित गोपेश्वर महादेव मंदिर गोष्ठी प्रेस वार्ता एवं गुरु दीक्षा का कार्यक्रम संपन्न हुआ था। इस दौरान यहाँ साठ से अधिक दीक्षार्थियों ने शंकराचार्य से दीक्षा ग्रहण की। शंकराचार्य के दर्शन के लिए काफ़ी संख्या में यहाँ श्रद्धालु पहुँचे थे। जहां उनसे भक्तों ने दीक्षा एवं आशीर्वाद लिया। वहीं कल शुक्रवार को शंकराचार्य द्वारा सुबह साढ़े ग्यारह बजे पादुका पूजन गोष्ठी एवं गुरु दीक्षा का आयोजन किया जायेगा।
(रिपोर्ट- निरंजन चौधरी)