होमइंडिया
राज्य | राजस्थानमध्यप्रदेशदिल्लीउत्तराखंडउत्तरप्रदेश
मनोरंजनटेक्नोलॉजीस्पोर्ट्स
बिज़नेस | पर्सनल फाइनेंसक्रिप्टोकरेंसीबिज़नेस आईडियाशेयर मार्केट
लाइफस्टाइलहेल्थकरियरवायरलधर्मदुनियाshorts

भगवान देवनारायण का एक ऐसा मेला जिसमें देशभर से लाखो में आते है श्रद्धालु,550 किलोमीटर यात्रा तय कर राजस्थान पहुंचे श्रद्धालु

01:42 PM Sep 08, 2024 IST | Anand Kumar

भगवान देवनारायण के प्रति श्रद्धा रखने वाले श्रद्धालु में उस वक्त उत्साह और उमंग देखा गया जब यह श्रद्धालु दिल्ली के लाल किले से निकली पचरंगी ध्वज पदयात्रा राजस्थान में आने वाले देवधाम जोधपुरिया पहुंची. इस यात्रा की बात की जाए तो यह यात्रा इसलिए भी कुछ खास है

RAJASTHAN: भगवान देवनारायण के प्रति श्रद्धा रखने वाले श्रद्धालु में उस वक्त उत्साह और उमंग देखा गया जब यह श्रद्धालु दिल्ली के लाल किले से निकली पचरंगी ध्वज पदयात्रा राजस्थान में आने वाले देवधाम जोधपुरिया पहुंची. इस यात्रा की बात की जाए तो यह यात्रा इसलिए भी कुछ खास है क्योकि यह दिल्ली से झंडा लेकर पदयात्रा के रूप में निकली और जब देवधाम जोधपुरिया पहुंची तो डेढ हजार से भी अधिक झंडे हो जाते है. दिल्ली से 550 किलोमीटर की यात्रा तय करते हैं. 22 अगस्त को लाल किले के भैरवनाथ मंदिर से पदयात्रा की शुरुआत हुई थी.

प्रत्येक मंदिर होकर गुजरी यह पदयात्रा

रास्ते कई जिलों, कस्बों और गांवों से होकर पदयात्रा गुजरी. शनिवार को टोंक जिले के निवाई में पहुंची थी परंपरा ऐसी है कि पदयात्रा के रास्ते में जितनी भी पंचायतें आती हैं, प्रत्येक से भगवान देवनारायण के मंदिर का एक झंडा और दर्जनों पदयात्री साथ में जुडे रहते हैं.

ऐसे हजारो पदयात्री हो जाते है शामिल

इस यात्रा एक विशेष बात यह भी रहती है कि जोधपुरिया आते-आते लाखों की संख्या में पदयात्री हो जाते हैं. हजारों की संख्या में झंडे हो जाते हैं. देवनारायण जोधपुरिया धाम गुर्जर समाज की आस्था के प्रमुख केंद्र है. सोमवार को भगवान देवनारायण के घोड़े लीलाधर की 1113वीं जयंती पर भादवे की छठ पर भरने वाले लक्खी मेले में हजारों भक्तों की भीड़ उमड़ेगी. टोंक जिले के मासी बांध के तट पर जोधपुरिया देवनारायण मंदिर है, यहां घी के भंडार टैंकों में भरे हैं. वहां जलती अखंड ज्योति और यहां के घी को नेत्र ज्योति देने वाला बताया जाता है.

देश के हर कौने से पहुंचते है पदयात्री

तीन दिवसीय मेले का समापन सोमवार (9 सितंबर) को होगा. मंदिर में रोज तीन बार आरती होती है. सुबह 4 बजे फिर सुबह 11 बजे और शाम 7 बजे आरती होती है. देश के हर कोने से निकली पद यात्राएं जोधपुरिया पंहुचती हैं. भोपा जी नृत्य करते हुए कांसे की थाली पर कमल का फूल बनाते हैं, जो आकर्षक का केंद्र है.

यह है इस मेले की मान्यता

इस मेले की मान्यता की बात की जाए तो भंडार के घी को आंखों में लगाने से आंखों की रोशनी बढ़ती है. भगवान देवनारायण जी मंदिर के पुजारी, जिन्हें स्थानीय भाषा में भोपा जी कहा जाता है. वो नृत्य करते हुए एक थाली पर भगवान देवनारायण जी के जन्म और उनकी बहादुरी की कहानी सुनाते हुए कांसे की थाली पर कमल का फूल बनाते हैं. फूल बनते ही भगवान देवनारायण के जयकारों से मंदिर गूंज उठता है.

Next Article