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पेपर लीक को रोक नहीं पा रही सख्ती, साढ़े चार साल में 350 पकड़े... सजा अब तक किसी को नहीं

राजस्थान ही नहीं समूचे देश में पेपर लीक की घटनाओं ने न केवल युवा बेरोजगारों को निराश किया ही है, बल्कि सरकारों के नाक में भी दम कर रखा है।
10:41 AM Jul 06, 2023 IST | Anil Prajapat

(हिमांशु शर्मा) : जयपुर। राजस्थान ही नहीं समूचे देश में पेपर लीक की घटनाओं ने न केवल युवा बेरोजगारों को निराश किया ही है, बल्कि सरकारों के नाक में भी दम कर रखा है। हर राज्य सरकार इसकी रोकथाम के लिए सख्त कानून बना रही है। उत्तर प्रदेश में तो राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत केस दर्ज किया जाता है, फिर भी पेपर लीक पर अंकुश नहीं लगा पाया। अब राजस्थान की कांग्रेस सरकार भी ऐसे अपराधियों पर और सख्ती करने की तैयारी में हैं। 

वर्तमान सजा के प्रावधान को 10 साल से बढ़ाकर उम्रकैद तक करने के लिए एक विधेयक लाने का ऐलान कर चुकी है। यहां बता दें गत साढ़े चार साल में करीब 350 लोगों के खिलाफ करीब 18 प्रकरण दर्ज कर गिरफ्तार किए जा चुके हैं, लेकिन सजा किसी एक में भी नहीं हुई! पेपर लीक होने के मामले में पुलिस और एसओजी कार्रवाई में लगी है। 

अधिकतर आरोपी हो गए जमानत पर रिहा 

प्रदेश में विगत साढ़े चार साल 1 जनवरी 2019 से लेकर अब तक भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक के कुल 18 प्रकरण दर्ज हुए हैं। जिनमें 16 प्रकरणों में चालान संबंधित न्यायालय में पेश किए जा चुके हैं, जबकि 2 प्रकरणों में अनुसंधान जारी हैं। इन प्रकरणों में कुल करीब 350 व्यक्तियों की गिरफ्तारी की जा चुकी हैं। इनमें से ज्यादातर जमानत पर हैं। इनमें आरपीएससी के पूर्व चेयरमैन हबीब खान गौरान, रीट पेपर लीक प्रकरण में तत्कालीन बोर्ड अध्यक्ष प्रो. डीपी जारौली, बत्तीलाल मीणा सहित जैसे बड़े नाम शामिल हैं।

एक सरगना ढाका अब तक फरार

उदयपुर में बस में वरिष्ठ अध्यापक भर्ती परीक्षा लीक प्रकरण में पकड़ी गई नकल गैंग मामले में करीब 65 से अधिक आरोपियों को गिरफ्तार किया था। उनमें से अधिकतर आरोपियों को जमानत पर रिहा कर दिया था। वहीं सरकारी शिक्षक शेर सिंह के पकड़े जाने के बाद भी सुरेश ढाका जैसे मुख्य सरगना अभी तक फरार चल रहे हैंं।

क्या कहते हैं कानूनविद् 

राजस्थान हाईकोर्ट के सीनियर एडवोकेट एके जैन ने कहा कि कानून तो कई बने हुए हैं, लेकिन मामले की जांच निष्पक्ष और समय पर होनी चाहिए। हत्या में फांसी की सजा का प्रावधान है, रिश्वतखोरी में सख्त सजा है, लेकिन जांच एजेंसी की लचर व्यवस्था से अपराधी सख्त सजा से बच रहे हैं। फास्ट ट्रैक अदालत की तर्ज पर सुनवाई हो। 

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