होमइंडिया
राज्य | राजस्थानमध्यप्रदेशदिल्लीउत्तराखंडउत्तरप्रदेश
मनोरंजनटेक्नोलॉजीस्पोर्ट्स
बिज़नेस | पर्सनल फाइनेंसक्रिप्टोकरेंसीबिज़नेस आईडियाशेयर मार्केट
लाइफस्टाइलहेल्थकरियरवायरलधर्मदुनियाshorts

दलों की राजनीति में उलझा प्रदेश का धरतीपुत्र, राष्ट्रपति भवन में पड़ा है कानून, किसान झेल रहे कुर्की की मार

08:27 AM Jan 11, 2023 IST | Supriya Sarkaar

पंकज सोनी । जयपुर। प्रदेश में किसानों का कर्ज माफी बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन चुका है। कांग्रेस और भाजपा दोनों दल इस मुद्दे को अपने-अपने पक्ष में लगातार उछाल रहे हैं, लेकिन हकीकत यह है कि धरतीपुत्रों की कर्ज माफी महज एक राजनीतिक का मसला बन चुकी है। यहीं नहीं किसानोंं को कर्ज नहीं चुकाने की स्थिति में उनकी जमीन को कुर्की से बचाव का कवच देने वाला कानून पिछले एक साल से राष्ट्रपति भवन में पड़ा है। 

राज्य ने बैंकों के समय पर ऋण नहीं चुकाने वाले किसानों की पांच एकड़ तक की कृषि भूमि को कुर्क या उसका विक्रय नहीं किया जा सके, इसे लेकर सिविल प्रक्रिया संहिता (राजस्थान संशोधन) विधेयक को नवंबर 2020 को विधानसभा में पारित किया था। इससे पहले यह विधेयक एक साल तक राजभवन में रूका रहा। 

(Also Read- पीएम मोदी और शेखावत के गले की घंटी बन चुकी है ERCP – सीएम गहलोत)

इधर प्रदेश में जनवरी, 2019 से जनवरी 2022 तक कर्ज नहीं चुका पाने के कारण किसानों की जमीन कुर्की और नीलामी करने के 22 हजार 215 प्रकरण प्रकाश में आए हैं, जिसमें से 18 हजार 817 प्रकरणों मे नोटिस दिया जाकर जमीनें कुर्क कर दी गई है। हालांकि सूत्रों की मानें तो राज्य सरकार ने जिला कलेक्टर्स को किसानों की कुर्की रोकने के लिए निर्देश दिए हैं, लेकिन बैंकों पर इसका असर नहीं पड़ा।

राजेंद्र राठौड़, उपनेता प्रतिपक्ष- राज्य सरकार ने विधेयक पर किसी तरह की आपत्तियां आई है। उसे नजरअंदाज कर आनन-फानन में बिल पारित करवा दिया। जहां तक किसानों की कर्ज माफी की बात है, यह वादा कांग्रेस का है। उन्हें ही पूरा करना पड़ेगा। घोषणा से पहले भाजपा से पूछा था क्या?

महेश जोशी, सचेतक- बिल राष्ट्रपति भवन में क्यों रोका गया है। इसकी जानकारी नहीं है। जहां तक किसानों की कर्ज माफी का सवाल है हमने कर्ज माफी की है। केंद्रीयकृत बैंकों से उद्योगपतियों की तरह ऋण माफ करने चाहिए, केंद्र सहयोग करें।

राज्य सरकार देने को तैयार नहीं… और केंद्र सरकार छोड़ने को

राज्य सरकार की तरफ से केंद्र को ऋण में छूट को लेकर भेजे गए प्रस्ताव पर केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने अर्द्धशासकीय पत्र भेजकर यह कहा कि यदि राज्य सरकार उचित समझती है तो अन्य राज्यों की तरह ऋण की पूरी राशि अपनी ओर से वहन करने को स्वतंत्र है, लेकिन राज्य कर्ज की 6018.19 करोड़ राशि अपने खाते से देने को तैयार नहीं है। वहीं केंद्र छोड़ने को नहीं।

3 लाख 49 हजार 257 किसानों को ऋण माफी का इंतजार

प्रदेश में कांग्रेस सरकार के गठन के साथ ही 19 दिसंबर, 2018 को आदेश जारी करके किसानों के दो लाख तक के कर्ज माफ किए गए थे, लेकिन राष्ट्रीयकृत बैंक, अधिसूचित बैंक एवं क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक केंद्र सरकार के अधीन होने के कारण यहां से ऋण लेने वाले 3 लाख 49 हजार 257 किसानों को कर्ज माफी का लाभ नहीं मिल सका। 

(Also Read- राजस्थान पीसीसी के 47 ब्लॉक कमेटी के अध्यक्षों की हुई नियुक्ति)

Next Article