श्रीमद्भागवद् गीता : सरलता से मिली चीज की कद्र नहीं करते लोग,खो जाने के बाद समझ आता है मूल्य
श्रीमद्भागवद् गीता सनातन धर्म का सबसे पवित्र ग्रंथ माना जाता है। महाभारत के युद्ध के दौरान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जो उपदेश दिये थे ,उन का वर्णन श्रीमद्भागवद् गीता में है।इसे भगवान का गीत कहा जाता है। गीता को संपूर्ण दर्शन कहा जाता है। इसमें बताये गये अनमोल वचन मनुष्य को जीने की राह दिखाते हैं। गीता में कर्म,धर्म और प्रेम का महत्व बताया गया है।गीता के मर्म को समझने वाला व्यक्ति जीवन में कभी निराश नहीं होता है। गीता में श्रीकृष्ण ने बताया है कि जो लोग सही समय की प्रतीक्षा करते हैं वो मूर्ख हैं।
1-श्रीकृष्ण कहते हैं सही समय की प्रतीक्षा करना मूर्खता है। अपने आप को मूर्ख मत बनाइये। सही समय तभी आयेगा जब आप इसे सही बनाने का प्रयास करेगें।
2-गीता के अनुसार केवल कमजोर और डरपोक लोग ही चीजों को भाग्य के भरोसे छोड़ते हैं। मजबूत और साहसी लोग भाग्य या नियति पर भरोसा नहीं करते वो खुद पर भरोसा करते हैं।
3-श्रीकृष्ण कहते हैं मुसीबतें और परेशानियां बेहतरीन लोगों के हिस्से में आते हैं। क्योंकि वही लोग इसे सही तरीके से सुलझा सकते हैं।
4-जो चीज सरलता से मिल जाती है व्यक्ति उसकी कद्र नहीं करता,उसका मूल्य कम आंकता है। समय,संबंध और व्यक्ति के खो जाने के बाद उसका मूल्य समझ आता है।
5-माधव कहते हैं शरीर नश्वर है,आत्मा अमर है । फिर भी मनुष्य नश्वर शरीर का घमंड करता है।इस तथ्य को समझ कर ,सत्य को स्वीकार करना चाहिए।
6-व्यक्ति दुखी है या सुखी है,यह उसके विचारों पर निर्भर होता है। अगर आप प्रसन्न रहना चाहते हैं तो प्रसन्न ही रहेगें और यदि नकारात्मक सोच रखेगें तो दुखी रहेगें । विचार ही मनुष्य के मित्र और शत्रु हैं।