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किसका प्रदर्शन किस पर पड़ा 'भारी'?…पूनिया का आंदोलन रहा 'सफल' या राजस्थान के कोने-कोने में पहुंची वसुंधरा की 'शक्ति'

06:19 PM Mar 04, 2023 IST | Jyoti sharma

आज भाजपा के दो बड़े प्रदर्शन राजस्थान की राजनीति में चर्चा का विषय बने हुए हैं और सिर्फ राजस्थान में ही नहीं इन दोनों प्रदर्शन ने देश की राजनीति के केंद्र में राजस्थान को ही लाकर रख दिया है।

किसके कार्यक्रम में जुटी सबसे ज्यादा जनता

आज वसुंधरा राजे का सालासर में जन्मदिन समारोह और सतीश पूनिया के नेतृत्व में जयपुर में भारतीय जनता युवा मोर्चा का पेपर लीक को लेकर जबरदस्त प्रदर्शन हुआ। इन दोनों ही कार्यक्रम से पहले राजनीतिक विश्लेषक इन दोनों प्रदर्शन की तुलना कर रहे थे कि आखिर किसका प्रदर्शन सबसे ज्यादा भव्य होगा, जिसके कार्यक्रम में जितनी भीड़ जुटेगी, उससे भाजपा के ‘गुटों’ को संदेश जाएगा कि किसके साथ कितनी जनता और कितना समर्थन है, जो आने वाले विधानसभा चुनावों में उन्हें सीधे सीधे लाभ पहुंचाता हुआ दिखाई देगा।

पूनिया के प्रदर्शन में वाटर कैनन तक का हुआ इस्तेमाल

सतीश पूनिया के नेतृत्व में भाजपा के मुख्यालय से लेकर 22 गोदाम सर्किल पैदल मार्च कर प्रदर्शन किया गया। इस प्रदर्शन में सतीश पूनिया, राजेंद्र राठौड़ समेत कई बड़े नेता शामिल हुए और साथ ही भाजपा के सातों मोर्चा के कार्यकर्ता भी इसमें शामिल हुए। भाजपा नेताओं ने इस प्रदर्शन को जोरदार बनाने की कोई कसर नहीं छोड़ी। आलम यह था कि पुलिस को इन्हें खदेड़ने के लिए वाटर कैनन तक का इस्तेमाल करना पड़ा लेकिन आखिर में पुलिस में सतीश पूनिया, राजेंद्र राठौड़ समेत कई नेताओं, कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया।

राजस्थान के कोने-कोने से आए वसुंधरा के समर्थक

वहीं बात अगर वसुंधरा राजे की करें तो चूरू के सालासर में हुए वसुंधरा के जन्मदिन के भव्य समारोह में लाखों की तादाद में जनता और कार्यकर्ता शामिल हुए। पूनिया के प्रदर्शन से ज्यादा वसुंधरा के इस कार्यक्रम में दिग्गज नेता शामिल हुए। वसुंधरा ने इस कार्यक्रम में बगैर नाम लिए चेतावनी दे डाली जो दीपक मैंने कार्यकर्ताओं के अंदर जला दिया है, उसको कोई भी आंधी तूफान नहीं बुझा सकती। वसुंधरा का बयान अगर राजनीतिक नजरिए से देखा जाए तो साफ नजर आता है कि उन्होंने एक वाक्य से किसको चेतावनी दी है।

मुझे इतनी बार विधायक बनाया जनता के प्यार ने

वसुंधरा ने यह भी कहा कि पहली पहली बार कोई विधायक, सांसद अपने पद पर बैठते हैं तो उन्हें ये हो जाता है कि अरे मैं तो विधायक बन गया हूं या सांसद बन गया हूं, लेकिन जब चुनाव का साल आता है तब पता चलता है कि आगे अब क्या होगा। तब वही होता है जो हमने किया होता है, यहां पर कई लोग ऐसे हैं जो तीन-तीन चार-चार बार विधायक बने हुए हैं, सांसद बने हुए हैं, वह अच्छी तरह जानते हैं कि वह किसके दम पर जीत के आते हैं। वह आपके प्यार के दम पर जीत के आते हैं, जनता के विश्वास के दम पर जीत के आते हैं, अपने काम के आते हैं। मुझे इतनी बारी लगातार विधायक बनाया तो वह किसकी बदौलत, आप जनता की बदौलत, आप कार्यकर्ताओं की बदौलत।

तुम रक्षक काहू को डरना…

वसुंधरा ने इस कार्यक्रम में हनुमान चालीसा के चौपाई भी गाई, जिसमें उन्होंने कहा ‘तुम रक्षक काहू को डरना’, चौपाई के जरिए वसुंधरा राजे शायद अपने विरोधियों को यह जताने और बताने की कोशिश कर रही हैं कि उनके बारे में उनके राजनीतिक कैरियर को लेकर कोई कुछ भी कहे वह किसी से डरने और झुकने वाली नहीं है। अपने समय में वह अपनी शक्ति जरूर दिखाएंगी और इस समारोह के जरिए इस संबोधन के जरिए उन्होंने इस शक्ति को अपने विरोधियों तक ही नहीं बल्कि अपने प्रशंसकों, अपने समर्थकों तक भी पहुंचा दी है कि आखिर विधानसभा चुनाव की तस्वीर क्या होने वाली है, भाजपा किस तरफ जाएगी, क्योंकि जिसके पास ज्यादा शक्ति, ज्यादा समर्थन ज्यादा जनता और ज्यादा वोट बैंक होगा भाजपा उसे ही प्राथमिकता देगी।

आखिर किसके साथ खड़ी है जनता

हालांकि इन प्रदर्शनों की कोई तुलना नहीं की जा सकती लेकिन शक्ति प्रदर्शन को लेकर अगर बात की जाए तो दोनों में दो नेताओं ने अपनी शक्ति जनता को और विरोधियों को दिखाई है। इधर सतीश पूनिया ने अपने नेतृत्व में मुख्यमंत्री आवास तक की रैली निकालकर यह दिखा दिया है कि प्रदर्शन उन के दम पर कितना सफल हो सकता है, तो दूसरी तरफ वसुंधरा राजे ने बगैर किसी प्रदर्शन या लाग लपेट के पूरे राजस्थान को दिखा दिया है कि जनता किसके साथ है।

वसुंधरा राजे के समारोह की भव्यता को इस बात से ही आंका जा सकता है कि पूरे राजस्थान के कोने-कोने से उनके समर्थक, उनके प्रशंसक ट्रकों, गाड़ियों, बसों में भर-भरकर सालासर धाम पहुंचे हैं। आलम यह था कि 16-16 किलोमीटर तक दूर राजे के कार्यक्रम में पहुंचने के लिए तगड़ा जाम लगा हुआ था, जिसमें कई लोग घंटो तक फंसे रहे लेकिन इस जाम में भी उन्हें किसी तरह की दिक्कत नहीं हो रही थी, किसी तरह की समस्या नहीं आ रही थी क्योंकि वह सिर्फ और सिर्फ वसुंधरा राजे के कार्यक्रम में जाना चाहते थे, उन्हें देखना चाहते थे, उनका समर्थन करना चाहते थे क्योंकि वे वसुंधरा राजे को चाहते थे।

पुनिया-राठौड़ के गढ़ में वसुंधरा

सतीश पूनिया और राजेंद्र राठौड़ के गढ़ चूरू में वसुंधरा राजे ने जबरदस्त शक्ति प्रदर्शन कर यह दिखा दिया है कि उनके विरोधियों के घर में बैठकर वसुंधरा पूरे राजस्थान के कोने-कोने से जनता को जुटा कर उन्हें एकजुट कर सकती हैं, उन्हें ‘अपने’ नेता के साथ ला सकती हैं।

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