सिंगिंग से पहले आईटी इंडस्ट्री में काम करते थे Shankar Mahadevan, 'ब्रीथलेस' ने दिलाई थी दुनियाभर में पहचान
शंकर महादेवन (Shankar Mahadevan) का नाम आए और लोग ‘नूर-ए-खुदा’ और ‘ब्रीथलेस’ जैसे गानों को याद न करें ऐसा कैसे हो सकता है। शंकर महादेवन सुरों की दुनिया का वो नाम है जिसने कई इतिहास रचे हैं। उन्होंने रोमांटिक गानों से लेकर धार्मिक भजनों तक देशभर में तमाम हिट गाने दिये हैं। अब तक शंकर महादेवन ने 4 नेशनल अवार्ड समेत कई और अवार्ड्स को अपने नाम पर कर लिया है। इस महान गायन ने महज 5 साल की उम्र में अपने करियर की शुरुआत की थी। आज उनके जन्मदिन पर उनके जीवन से जुड़ी कुछ बाते जानते हैं।
म्यूजिक इंडस्ट्री से पहले आईटी इंडस्ट्री में थे शंकर महादेवन(Shankar Mahadevan)
शंकर महादेवन का जन्म मुंबई के चेंबूर में 3 मार्च 1967 को हुआ था। गायक ने अपने करियर की शुरुआत साल 1977 में एक तमिल गाना गाकर की थी। इसके बाद तो बस शंकर महादेवन ने सुरों का हाथ ऐसा थामा कि उस्ताद जाकिर हुसैन, उस्ताद अमजद अली खान, पंडित हरि प्रसाद चौरसिया, पंडित जसराज और पंडित शिव कुमार शर्मा जैसे दिग्गज भी शंकर की तारीफ करने से नहीं चूके। वहीं, किशोरी अमोनकर ने तो शंकर महादेवन को अपने घर बुलाया था और तारे जमीं पर फिल्म का गाना ‘मां’ गाने के लिए कहा था।
‘ब्रेथलेस’ ने दी थी पहचान
ऐसे तो शंकर महादेवन ने कई कमाल के गाने गाए हैं। लेकिन उनको असली पहचान सााल 1998 में आए गाने ‘ब्रेथलेस’ से मिली थी। इस गाने को उन्होंने 3 मिनट तक बिना सांस लिए गाया था। ये गाना अपने आप में एक रिकॉर्ड बन गया था। इस गाने के कामियाब होने के बाद उन्होंने अपने दो दोस्तों एहसान और लॉय के साथ मिलकर एक ग्रुप बनाया।
4 बार बन चुके हैं नेशनल अवॉर्ड विनर
साल 2011 में शंकर महादेवन ने ऑनलाइन अकैडमी शुरू की, जिसके माध्यम से वह दुनिया भर के छात्रों को संगीत की शिक्षा देते हैं। शंकर ने एआर रहमान के साथ तमिल फिल्म ‘कांदोकंदनीं-कांदोकंदनीं’ में
एक गाना गया था जिसके लिए उन्हें पहला नेशनल अवॉर्ड मिला था। आपको बता दें कि, सिंगर 4 बार नेशनल अवॉर्ड जीत चुके हैं। 2011 क्रिकेट वर्ल्ड कप का थीम सॉन्ग भी शंकर महादेवन ने अपने दोनों दोस्तों अहसान और लॉय के साथ मिलकर तैयार किया था।