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जयपुर के कलाकार के हाथों का कमाल, 90 साल पुराने पत्थर पर तराशी राम मंदिर के लिए मूर्ति

01:11 PM Jan 05, 2024 IST | Sanjay Raiswal

अयोध्या। उत्तरप्रदेश के अयोध्या (Ayodhya) में 22 जनवरी 2024 को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा (Ram Mandir Inauguration) की तैयारी जोर-शोर से चल रही है। राम लला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को होगी। वहीं पूजन प्रक्रिया 16 जनवरी से ही शुरू हो जाएगी। इसके लिए 2 मंडप, 9 हवन कुंड और 121 पुजारी होंगे।

श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या में 70 एकड़ भूमि में बने भव्य और नवनिर्मित राम मंदिर में 3 रामलला की मूर्तियां स्थापित होगी। प्राण प्रतिष्ठा के लिए श्रीराम की तीन मूर्तियों का निर्माण किया गया है। इनमें से एक का चयन कर उसे मंदिर में विराजित किया जाएगा।

3 मूर्तियों में से एक का निर्माण जयपुर के मूर्ति मौहल्ले में रहने वाले मूर्तिकार सत्यनारायण पांडेय ने किया है। सत्यनारायण पांडेय पिछले सात महीनों से अयोध्या में रहकर इस मूर्ति को तैयार कर रहे थे। मूर्तिकार सत्यनारायण पांडेय ने बताया कि रामलला की मूर्ति को मकराना से निकले एक रेयर सफेद संगमरमर के पत्थर से तैयार किया है। यह करीब 90 वर्ष पुराना पत्थर है और करीब 40 साल से उनके पास था।

सत्यनारायण के बेटे पुनीत पांडेय ने बताया कि हमनें कई बार इस संगमरमर पत्थर पर मूर्ति बनाने की कोशिश की, लेकिन हर बार नाकाम रहे। कई बार मशीन खराब हो जाती तो कभी दूसरी समस्या आ जाती। इसके बाद हमनें इस पत्थर को सुरक्षित रख लिया। अब लगता है रामलला की मूर्ति के लिए ही इस पत्थर का उपयोग होना था।

काली और सफेद प्रतिमा में से होगा सिलेक्शन…

पांडेय ने बताया- रामलला की मूर्ति बनाने के लिए देशभर से कलाकारों को मंदिर प्रबंधन ने बुलाया था, जिसमें से ट्रस्ट के अधिकारियों ने तीन कलाकारों को यह मूर्ति बनाने का जिम्मेदारी सौंपी थी। मंदिर प्रबंधन से मिले निर्देशों के आधार पर तीन अलग-अलग मूर्तिकार रामलला की 3 मूर्तियों का निर्माण कर रहे हैं। इनमें साउथ से गणेश बट्ट, अरुण योगीराज और जयपुर से सत्यनारायण पांडेय शामिल हैं। सत्यनारायण द्वारा बनाई जा रही प्रतिमा संगमरमर की है। वहीं अन्य दोनों मूर्तियां काले पत्थर की हैं।

मंदिर प्रबंधन करेगा अंतिम निर्णय…

राम मंदिर के वास्तु से लेकर वहां पर लगाई जा रहीं मूर्तियां और गर्भगृह में विराजित होने वाली मूर्तियों के साथ-साथ आचार्य गणेश्वर शास्त्री ने मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा की तारीख भी तय की थी। ऐसे में अब मंदिर ट्रस्ट जल्द ही तीनों मूर्तियों में से उस कृति का चयन करेगा, जिसे मंदिर में स्थापित किया जाएगा। बाकी दो मूर्तियों को मंदिर में अलग-अलग जगह लगाया जाएगा। गणेश्वर शास्त्री के निर्णय से ही यह साबित होगा कि गर्भगृह में तीनों मूर्तियां में से कौन सी मूर्ति लगाई जाएगी।

90 साल पहले निकाला था खदान से ये पत्थर…

पुनीत पांडेय ने बताया- उनके पास यह रेयर संगमरमर पत्थर पिछले 40 साल से रखा हुआ है, जो करीब 90 साल पुराना है। यह मकराना के पहाड़ कुआं खदान से निकाला गया था। हमनें कई बार इस पत्थर पर मूर्ति बनाने की कोशिश की, लेकिन विफल रहे। कई बार मशीन का काम रूक जाता तो कभी दूसरी समस्या आ जाती। इसके बाद इसे सुरक्षित रख लिया। अब इसी पत्थर पर पिताजी पिछले सात महीनों से अयोध्या में रहकर रामलला की मूर्ति बनाने में जुटे हुए थे। यह हमारे परिवार के लिए गर्व की बात है कि रामलला की मूर्ति पिताजी ने बनाई है। यह जयपुर और राजस्थान के लिए भी गौरव की बात है।

तीन पीढ़ियों से कर रहे यही काम, नामचीन हस्तियों ने सराहा…

सत्यनारायण पांडेय की तीन पीढ़ियां मूर्तियां बनाने का काम कर रही है। सत्यनारायण ने मूर्तिकला अपने पिता रामेश्वर लाल पांडेय से सीखी थी। इसके बाद अब उनकी इस कला को उनके बेटे पुनीत पांडेय और प्रशांत पांडेय आगे बढ़ा रहे हैं। परिवार की बनाई मूर्तियों को देशभर के प्रतिष्ठित मंदिरों में विराजित किया गया हैं, जिनमें इस्कॉन मंदिर, स्वामीनारायण मंदिर, अक्षयपात्र मंदिर प्रमुख है। इसके अलावा गुजरात और उत्तर प्रदेश के वृंदावन सहित कई स्थानों पर बने मंदिरों में भी उनके द्वारा बनाई मूर्तियां लगाई गई है। सत्यनारायण पांडेय द्वारा बनाई गई मूर्तियों को नीता अंबानी, लता मंगेश्कर, मुरारी बापू सहित कई नामचीन हस्तियों ने सराहा है।

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