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चैट GPT से पनप रहे ‘कॉपी कल्चर’ से निपटने को स्कूल-कॉलेज मुस्तैद

07:52 AM Apr 25, 2023 IST | Supriya Sarkaar
चैट gpt से पनप रहे ‘कॉपी कल्चर’ से निपटने को स्कूल कॉलेज मुस्तैद

जयपुर। इंटरनेट की दुनिया में सनसनी फैलाने वाले एआई टूल चैट जीपीटी के कारण शिक्षा के क्षेत्र में सामने आ रहे ‘कॉपी कल्चर’ से बचने के लिए शहर के स्कूल कॉलेजों ने हाथ पैर मारना शुरू कर दिया है। चैट जीपीटी का एक्सेस हाल ही बेंगलुरु की एक यूनिवर्सिटी ने बैन किया था, जिसकी वजह थी कि चैट जीपीटी की मदद से यूनिवर्सिटी के विद्यार्थी अपने असाइनमेंट्स को ‘कॉपी- पेस्ट’ कर रहे थे। इससे उनकी सीखने की प्रक्रिया प्रभावित हो रही थी। इससे पहले कई देशों में भी इस टूल को बैन करने की खबरें आई थी। कमोबेश यही समस्या धीरे-धीरे सभी शिक्षण संस्थानों में सामने आने लगी है। ऐसे में जयपुर शहर के स्कूल कॉलेजों ने इस टूल के उपयोग को नियंत्रित करना शुरू कर दिया है।

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रैक्टिकल टास्क से कर रहे कंट्रोल 

चैट जीपीटी के आने से पहले भी हमें ऐसी स्थितियों का सामना करना पड़ता था। स्कूल में हर तरह के विद्यार्थी होते हैं। ऐसे में ‘कॉपी कल्चर‘ को रोकना शुरू से ही चुनौती रहा है, पर चैट जीपीटी जैसे एआई टूल्स के ज्यादा प्रचलन में आने के बाद एआई के रेडीमेड कन्टेंट को एडिट करना भी आसान हो गया है, जिससे ये समस्या धीरे धीरे बढ़ रही है।

एमपीएस स्कूल के शिक्षक अभिषेक जैन का कहना है कि हम पहले से ही प्रैक्टिकल टीचिंग पर फाेकस कर रहे हैं, लेकिन कॉपी कल्चर को रोकने लिए अब प्रैक्टिकल्स पर ज्यादा जोर देना शुरू किया है। इससे कॉपी पेस्ट की गुंजाइश ना रहे। विद्यार्थियों को प्रैक्टिकल्स के माध्यम से कंसेप्ट समझाने और उन्हें प्रैक्टिकल टास्क ज्यादा देकर इस समस्या को बढ़ने से पहले ही हम कंट्रोल कर रहे हैं। कोई भी एआई टूल कन्टेंट तो बना सकता है, लेकिन प्रैक्टिकल प्रोजेक्ट नहीं बना सकता।

होमवर्क के बजाय स्कूल वर्क पर जोर 

एक अन्य स्कूल के शिक्षक राकेश शर्मा ने बताया कि इस तरह के टूल के गलत उपयोग को रोकने के लिए हमने होम वर्क से ज्यादा स्कूल वर्क पर जोर देना शुरू किया है। स्कूल में बच्चों को एक्सेस के लिए इंटरनेट नहीं मिलता। इसलिए कॉपी की गुंजाइश नहीं रहती। धीरे-धीरे स्कूल टाइम टेबल को इस तरह डिजाइन किया जा रहा है कि नियमित कक्षाओं के साथ ही रिवीजन क्लास या स्कूल वर्क क्लास की अलग से व्यवस्था की जा सके।

ऐसे दुरुपयोग संभव 

विद्यार्थी स्कूल-कॉलेज से मिलने वाले असाइनमेंट्स, थ्योरी प्रोजेक्ट्स, थीसिस वर्क आदि को चैट जीपीटी एआई टूल के माध्यम से जनरेट करके कॉपी कर सकते हैं। हालांकि अगर समझदारी पूर्ण तरीके से इस्तेमाल किया जाए तो इसके उपयोग से विषय को गहनता से समझने में मदद भी मिल सकती है।

क्या कर सकता है चैट जीपीटी 

चैट जीपीटी आम बोलचाल की भाषा में कन्टेंट जनरेट कर सकता है। यह किसी भी विषय पर इंटरनेट पर मौजूद कन्टें काे कम्पाइल कर आर्टिकल का रूप दे सकता है। साथ ही आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का इस्तेमाल कर उस कन्टेंट को यूजर के मन माफिक बना सकता है।

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