For the best experience, open
https://m.sachbedhadak.com
on your mobile browser.

Sawan First Somwar 2023 : धर्म-कर्म ही नहीं और भी कई संदेश देता है 'सावन', जानें-क्यों बेहद खास? 

एक नहीं कई संदेश देता है मनभावन सावन। धर्म-कर्म, साज- शृंगार से लेकर भावनाओं की बयार तक, एक सावन कई सीख देकर जाता है।
08:16 AM Jul 10, 2023 IST | Anil Prajapat
sawan first somwar 2023   धर्म कर्म ही नहीं और भी कई संदेश देता है  सावन   जानें क्यों बेहद खास  
Sawan First Somwar 2023

Sawan First Somwar 2023 : जयपुर। सावन का महीना साल का सबसे आकर्षक महीना होता है। यह कई मायनों में खास है, बारिश की रिमझिम जहां मन को बहुत सुहाती है तो वहीं प्रकृति इसी मौसम में हरियाली की चुनर ओढ़ती है। वाणी बोल बम के जयकारे लगाती है तो वहीं त्योहारों की मिठास मुंह में घुल जाती है। एक नहीं कई संदेश देता है मनभावन सावन। धर्म-कर्म, साज- शृंगार से लेकर भावनाओं की बयार तक, एक सावन कई सीख देकर जाता है।

Advertisement

पढ़ाता है अध्यात्म का पाठ 

सबसे पहले बात धर्म या अध्यात्म की। श्रावण अध्यात्म का पाठ पढ़ाता है। इस मास में भगवान शिव की पूजा-आराधना का विशेष विधान है। हिंदू पंचांग के अनुसार यह महीना वर्ष का पांचवां माह है और अंग्रेजी कै लेंडर के अनुसार सावन का महीना जुलाई-अगस्त में आता है। इस दौरान सावन सोमवार व्रत का सर्वाधिक महत्व बताया जाता है। दरअसल श्रावस मास भगवान भोलेनाथ को सबसे प्रिय है। इस माह में सोमवार का व्रत और सावन स्नान की परंपरा है। श्रावण मास में बेल पत्र से भगवान भोलेनाथ की पूजा करना और उन्हें जल चढ़ाना अति फलदायी माना गया है। शिव पुराण के अनुसार जो कोई व्यक्ति इस माह में सोमवार का व्रत करता है भगवान शिव उसकी समस्त मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं। सावन के महीने में लाखों श्रद्धालु ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए हरिद्वार, काशी, उज्जैन, नासिक समेत भारत के कई धार्मिक स्थलों पर जाते हैं।

समर्पण हो तो कांवड़ियों जैसा 

अब बात कांवड़ियों की। मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि जब देवताओं और असुरों के बीच समुद्र मंथन हो रहा था तब उस मंथन से 14 रत्न निकले। उन चौदह रत्नों में से एक हलाहल विष भी था, जिससे सृष्टि नष्ट होने का भय था। तब सृष्टि की रक्षा के लिए भगवान शिव ने उस विष को पी लिया और उसे अपने गले से नीचे नहीं उतरने दिया। विष के प्रभाव से महादेव का कं ठ नीला पड़ गया और इसी कारण उनका नाम नीलकंठ पड़ा। कहते हैं रावण शिव का सच्चा भक्त था, वह कांवड़ में गंगाजल लेकर आया और उसी जल से उसने शिवलिंग का अभिषेक किया और तब जाकर भगवान शिव को इस विष से मुक्ति मिली। श्रावण के पावन मास में शिव भक्तों के द्वारा कांवड़ यात्रा का आयोजन किया जाता है। इस दौरान लाखों शिव भक्त तीर्थ स्थलों से जल से भरी कांवड़ को अपने कंधों रखकर पैदल लाते हैं और बाद में वह शुद्ध जल शिव को चढ़ाया जाता है। अपने कं धों पर कांवड़ लिए नाचते गाते भोले बाबा को जल अभिषेक करने के लिए आगे बढ़ते हैं। कांवड़ियों का समर्पण देखते ही बनता है।

प्रकृति ओढ़ती है हरियाली की चादर 

सावन के महीने का प्रकृति से भी गहरा संबंध है क्योंकि इस माह में वर्षा ऋतु होने से संपूर्ण धरती बारिश से हरी-भरी हो जाती है। ग्रीष्म ऋतु के बाद इस माह में बारिश होने से मानव समुदाय को बड़ी राहत मिलती है। हरियाली की चादर मैदान और पहाड़ी इलाकों को स्वरूप ही बदल देती है। भूरे-भूरे रंग की नजर आने वाली जमीन हरी भरी हो जाती है। लगता है मानो किसी ने इसका श्रृंगार कर दिया हो। लोग प्राकृतिक स्थलों की ओर कु दरत की खूबसूरती देने के लिए चले जाते हैं। कल-कल करके बहते झरने, पेड़ों के झुरमुट, पक्षियों का कलरव यह सब सावन के मौसम को और भी सुंदर बना देते हैं।

अटूट बंधन को बनाए रखने का संदेश 

सामाजिकता के तौर पर भी श्रावण मास का महत्व कम नहीं है। यह मास अपनी जड़ों से जुड़े रहने व सामाजिक तौर पर अपने संबंधों को बनाए रखने का संदेश भी देता है। इसके अलावा श्रावण मास में कई पर्व भी मनाए जाते हैं। सावन मास के दौरान कई बड़े व्रत त्योहार पड़ते हैं। इस माह में जहां भगवान शिव को समर्पित सावन सोमवार, सावन शिवरात्रि, सावन प्रदोष व्रत के साथ-साथ मां पार्वती को समर्पित सावन के हर मंगलवार को मंगला गौरी व्रत भी पड़ते हैं। इसके साथ-साथ इस माह में हरियाली अमावस्या, नाग पंचमी, श्रावण पुत्रदा एकादशी के साथ-साथ रक्षा बंधन भी पड़ता है। रक्षाबंधन का त्योहार भाई बहन के प्यार और बंधन का प्रतीक है।

पाचन तंत्र को दें थोड़ी राहत 

सावन का प्रत्यक्ष और परोक्ष संबंध आहार-विचार से भी है। मान्यताओं के अनुसार सावन के पूरे महीने में सात्विक भोजन ही करना चाहिए। इस महीने में लहसुन, प्याज, मांस, मछली, अंडा और किसी भी तरह के मांसाहार से परहेज करना चाहिए। इसके अलावा शराब-सिगरेट और दूसरे नशे से भी दूर रहना चाहिए। वैसे, व्रत के दिन फलाहार करना सबसे अच्छा माना जाता है। लेकिन अगर भोजन बनाएं, तो इसे पूरी शुद्धता के साथ बनाएं। इसके अलावा कुछ लोग शिव पूजन के लिए पूरे सावन व्रत रखते हैं। ये लोग फलाहार कर सकते हैं या एक समय सात्विक भोजन कर सकते हैं। आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा के अनुसार, आषाढ़ और सावन का महीना बारिश का महीना कहलाता है। इस मौसम में हमारा पाचन तंत्र कमजोर हो जाता है और कई तरह की संक्रामक बीमारियां फै लने का भी डर रहता है। यह विशेष रूप से मानसून में अधिक कारगर होता है, जब पर्यावरण में वाटरबॉर्न और एयरबॉर्न बैक्टीरियल इंफे क्शन में वृद्धि हो जाती है। इसलिए इस अवधि के दौरान उपवास करने से न सिर्फ आपका शरीर डिटॉक्स होता है, बल्कि मन भी शांत होता है। इससे न सिर्फ हमारा मन तनाव मुक्त होता है, बल्कि शरीर भी डिटॉक्स होता है।

मन-विचार सब रहता है शांत 

सावन में वातावरण खुशनुमा होता है। आसमान से बरसता हुआ पानी जहां मन को शांत करता है, वहीं तनाव में भी कमी लाता है। इसका प्रभाव हमारे विचारों पर भी पड़ता है। सात्विक खाद्य पदार्थों का सेवन करने से आपको अपने मन, शरीर और आत्मा के बीच संतुलन प्राप्त करने में मदद मिलती है। मेडिकल साइंस भी मानता है कि अधिक तेल-मसाले वाला भोजन, अत्यधिक शराब का सेवन ब्लड प्रेशर को बढ़ा देता है। ब्लड प्रेशर बढ़ने पर व्यक्ति में क्रोध की प्रवृत्ति बढ़ सकती है। सात्विक भोजन पचने में आसान होता है और यह हमारे शरीर को भरपूर पोषण भी देता है। दसू री ओर, उपवास शरीर में उचित संतुलन बनाए रखने में सहायता करता है।

इस साल का सावन कई मायनों में खास

इस साल सावन का महीना कई मायनों से बेहद खास है। अधिक मास की वजह से इस बार सावन महीने की शुरुआत 04 जुलाई को हुई है और समापन 31 अगस्त 2023 को होगा। भोले शंकर के भक्त उन्हें पूरे 59 दिनों तक प्रसन्न करने के उपाय कर सकते हैं।इस बार सावन में पड़ने वाले सावन सोमवार के व्रतों की संख्या 8 होगी और ऐसे में, भक्त शिवजी की कृ पा प्राप्त करने के लिए 8 सावन सोमवार के व्रत रख सकेंगे। वैदिक पंचांग के अनुसार चंद्र वर्ष में 354 और सौर वर्ष में 365 दिन होते हैं। इन दोनों के बीच 11 दिनों का अंतर देखने को मिलता है और हर तीन साल के अंतराल पर पड़ने से यह अंतर 33 दिनों का हो जाता है। इसी प्रकार, प्रत्येक तीसरे साल में 33 दिनों का अलग अतिरिक्त महीना बन जाता है जिसे अधिकमास कहा जाता है और इसकी वजह से ही वर्ष 2023 में सावन दो महीनों का है।

ये खबर भी पढ़ें:-Sawan First Somwar 2023 : ‘बोल बम’ की गूंज, शिवालयों से सड़कों तक बह रही शिव भक्ति की बयार

.