संजीवनी घोटाले पर केंद्रीय मंत्री शेखावत ने तोड़ी चुप्पी, गहलोत को दे डाली खुले मंच पर बहस की चुनौती
Sanjeevani Scam : जोधपुर। राजस्थान में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले 900 करोड़ रुपए के संजीवनी घोटाले पर सियासत गरमाई हुई है। आए दिन केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एक-दूसरे पर संजीवनी घोटाले को लेकर हमला बोलते रहते है। इसी बीच अब केंद्रीय मंत्री शेखावत ने अब सीएम गहलोत को खुले मंच पर बहस की चुनौती दे डाली है। साथ ही शेखावत ने कहा गहलोत सबित करें कि मुझे किस तरह से दोषी ठहरा रहे हैं, वर्ना मैं उन पर लगे आरोप को सिद्ध करूंगा।
जैसलमेर जिले के पोकरण में गुरुवार शाम को मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए केंद्रीय मंत्री शेखावत ने संजीवनी घोटाले पर चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि जो बौखलाहट उनके बेटे को और उनके राजनीतिक अस्तित्व को पश्चिमी राजस्थान में जोधपुर के मतदाताओं ने दी है। आठों विधानसभा क्षेत्रों में जिस तरह से करारी हार का सामना को उनको देखना पड़ा। उसके चलते जो खीज, खिसियाहट और बौखलाहट है, वह बौखलाहट उनके बयानों से दिखाई देती है। वह बौखलाहट उनके बयानों से बाहर आती है।
उन्होंने कहा कि गहलोत के पास में सारी एजेंसियां है और उनका जितना दुरुपयोग वो कर सकते थे, उतना उन्होंने किया है। लेकिन, इसके बाद भी उनके वकीलों को कोर्ट में खड़े होकर ये स्वीकार करना पड़ा कि ना तो गजेंद्र सिंह का किसी एफआईआर में नाम है और ना ही किसी चार्जसीट में नाम है। जब ये पुलिस का दुरुपयोग कर रहे थे, तब मैंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। जिस पर हाईकोर्ट ने इनको कहा कि आप किसी भी तरह का कोई कदम नहीं उठाओगे।
राजस्थान में हो रहा एजेंसियों का दुरुपयोग
उन्होंने कहा कि देशभर में जाकर मुख्यमंत्री गहलोत कहते है कि मोदी सरकार केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है। लेकिन, एजेंसियों का दुरुपयोग तो राजस्थान में हो रहा है। गहलोत सरकार पर आरोप लगाते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मेरे खिलाफ ये जो कर रहे है वो अलग बात है। लेकिन, यहां तो बिना कारण के वकीलों को भी जेल में ठूंस दिया जाता है। एक वकील को तो बिना किसी कारण के 11 महीने तक जेल में रखा गया। सिर्फ उसका कसूर इतना था कि इनके भ्रष्टाचार को उजागर कराकर उसने कोर्ट से ऑर्डर करवा दिया था। एक पत्रकार ने कांग्रेस सरकार के खिलाफ टिप्पणी की तो पोक्सो में मामला दर्ज करवा दिया।
केंद्रीय मंत्री ने दी खुले मंच पर बहस की चुनौती
उन्होंने कहा कि राजस्थान में अराजकता की सरकार काम कर रही है। ये बौखलाहट है। इसी कारण वो इस प्रकार के आरोप लगा रहे है। मैं चुनौती देते हुए कहता हूं कि वो और उनके वकील हिंदुस्तान के किसी भी मंच पर खड़े हो जाए और मेरे साथ इस मुद्दे पर बहस करे। वो बहस करे कि मुझे किस तरह दोषी ठहरा रहे है, वरना मैं किरोड़ी मीणा ने जो आरोपी उन पर लगाए हैं, उन आरोपों को मंच पर खड़े होकर सिद्ध करूंगा कि गहलोत और उनके बेटे ने किस तरह का भ्रष्टाचार किया है। इन्होंने 100 रुपए के शेयर खरीदकर 40 हजार रुपए में मलेशिया की कंपनी को बेच दिए और करोड़ों रुपए के कालेधन को सफेद कर लिया। ऐसा काम वो करते है और आरोप मुझ पर लगाते है। अपनी गिरेबां में झांककर देखिए, कालिख के अलावा कुछ नहीं मिलेगा।
क्या है संजीवनी घोटाला?
संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी को राजस्थान सोसाइटी एक्ट के तहत 2008 में रजिस्टर्ड कराया गया था। इसके बाद 2010 में ये सोसाइटी मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव सोसाइटी के रूप में बदल गई। सोसाइटी को इसका लाइसेंस केंद्र से मिला। इसमें निवेश करने वाले लोगों को अच्छे कई लालच दिए गए। लालच में आकर 1 लाख से अधिक लोगों ने 900 करोड़ रुपए का निवेश किया। फिर सोसाइटी ने निवेशकों के पैसों को गलत तरीके से लोन पर दे दिया। इतना ही नहीं अन्य राज्यों में ब्रांच खोल कर फर्जी कंपनियों को लोन बांटे गए। संजीवनी घोटाले के मास्टरमाइंड विक्रम सिंह की पहले ही गिरफ्तारी हो चुकी है। इस घोटाले में विक्रम सिंह और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत का कनेक्शन भी सामने आया था। 900 करोड़ के संजीवनी घोटाले में आरोप लगने के बाद केंद्रीय मंत्री गजेंद्र शेखावत ने एसओजी में दर्ज एफआईआर को हाईकोर्ट में चुनौती दी। दायर याचिका में मांग की गई कि संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी राजस्थान और गुजरात में हैं। दोनों ही राज्यों में घोटाले के मुकदमें दर्ज है। गुजरात के मामले पहले ही सीबीआई को भेज दिए गए हैं। ऐसे में अब राजस्थान के मामले भी सीबीआई को सौंपे जाएं। हालांकि, अभी तक इस मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई प्रक्रियाधीन है।