होमइंडिया
राज्य | राजस्थानमध्यप्रदेशदिल्लीउत्तराखंडउत्तरप्रदेश
मनोरंजनटेक्नोलॉजीस्पोर्ट्स
बिज़नेस | पर्सनल फाइनेंसक्रिप्टोकरेंसीबिज़नेस आईडियाशेयर मार्केट
लाइफस्टाइलहेल्थकरियरवायरलधर्मदुनियाshorts

सम्मेद शिखरजी पर केंद्र ने मांग मानी, झारखंड सरकार को इको टूरिज्म गतिविधि पर रोक लगाने के निर्देश

08:06 PM Jan 05, 2023 IST | Sanjay Raiswal

नई दिल्ली। झारखंड के पारसनाथ में स्थित जैन समुदाय का पवित्र तीर्थ स्थल सम्मेद शिखर पर केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला किया है। केंद्र सरकार ने जैन तीर्थ स्थल सम्मेद शिखर पर पर्यटन और इको टूरिज्म एक्टिविटी पर रोक लगा दी गई है। केंद्र के मुताबिक, यह अब पर्यटन क्षेत्र नहीं होगा। केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना में सभी पर्यटन और इको टूरिज्म गतिविधि पर पर रोक लगाने के निर्देश दिए गए हैं। केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने ट्विटर के जरिए इसकी जानकारी दी है।

केंद्र सरकार ने गुरुवार को तीन साल पहले जारी किए गए अपने आदेश को वापस ले लिया है। इसी के साथ केंद्र सरकार ने निगरानी समिति भी बनाई है। यह समिति इको सेंसिटिव जोन की निगरानी करेगी। राज्य सरकार से कहा गया है कि वह इस समिति में शामिल होने के लिए जैन समुदाय से दो सदस्यों और स्थानीय जनजातीय समूह से एक सदस्य को स्थायी सदस्य के रूप में आमंत्रित करे।

वहीं भारत सरकार के पर्यावरण मंत्रालय की तरफ से गुरुवार पांच जनवरी को जारी दो पेज की चिट्ठी के दूसरे पेज पर लिखा गया है, ”इको सेंसेटिव जोन अधिसूचना के खंड-3 के प्रावधानों के कार्यान्वयन पर तत्काल रोक लगाई जाती है, जिसमें अन्य सभी पर्यटन और इको-टूरिज्म गतिविधियां शामिल हैं। राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए तत्काल सभी आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया जाता है।”

सरकार को पवित्र स्थल पर शराब, संगीत पर तत्काल रोक लगाने के निर्देश

केंद्र सरकार की तरफ से कहा गया है कि सम्मेद शिखरजी पर्वत क्षेत्र जैन धर्म का विश्व का सबसे पवित्र और पूजनीय तीर्थ स्थान है। ये मंत्रालय जैन समुदाय के साथ-साथ समूचे देश के लिए इसकी पवित्रता और महत्व को स्वीकार करता है और इसे बनाए रखने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराता है।

केंद्र ने राज्य सरकार को निर्देश दिए गए हैं कि वे पारसनाथ वन्यजीव अभयारण्य की प्रबंधन योजना, जो पूरे पारसनाथ पर्वत क्षेत्र की रक्षा करता है, के खंड 7.6.1 के प्रावधानों को सख्ती से लागू करने के लिए तत्काल सभी आवश्यक कदम उठाए। जिनके अनुसार पारसनाथ पर्वत क्षेत्र पर शराब, ड्रग्स और अन्य नशीले पदार्थों की बिक्री करना, तेज संगीत बजाना या लाउडस्पीकर का उपयोग करना, धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के पवित्र स्थल जैसे पवित्र स्मारक, झीलें, चट्टानें, गुफाएं और मंदिर, हानिकारक वनस्पतियों या जीवों, पर्यावरण प्रदूषण के कारण, जंगलों, जल निकायों, पौधों, जानवरों के लिए हानिकारक कार्य करना या ऐसे स्थलों की प्राकृतिक शांति को भंग करना, पालतू जानवरों के साथ आना और पारसनाथ पर्वत क्षेत्र पर अनधिकृत कैंपिंग और ट्रेकिंग आदि की अनुमति नहीं है। पर्यटन, कला, संस्कृति, खेल और युवा मामले विभाग, झारखंड सरकार के संदर्भ में राज्य सरकार द्वारा पारसनाथ पर्वत क्षेत्र पर शराब और मांसाहारी खाद्य वस्तुओं के विक्रय और उपभोग पर प्रतिबंध को भी कड़ाई से लागू किया जाए।

फैसले के खिलाफ आंदोलन कर रहा था जैन समुदाय

बता दें कि सम्मेद शिखर को पर्यटन क्षेत्र घोषित किए जाने के खिलाफ पिछले कुछ दिनों से देश भर में जैन समुदाय आंदोलन कर रहा है। इसके खिलाफ कई जैन मुनियों ने आमरण अनशन भी शुरू कर दिया था। इसमें जैन मुनि सुज्ञेयसागर महाराज ने मंगलवार को जयपुर में प्राण भी त्याग दिए थे।

जैनियों का पवित्र तीर्थ है सम्मेद शिखरजी

बता दें कि सम्मेद शिखरजी जैनियों का पवित्र तीर्थ है। जैन समुदाय से जुड़े लोग सम्मेद शिखरजी के कण-कण को पवित्र मानते हैं। झारखंड के गिरिडीह जिले में पारसनाथ पहाड़ी पर स्थित श्री सम्मेद शिखरजी को पार्श्वनाथ पर्वत भी कहा जाता है। ये जगह लोगों की आस्था से जुड़ी हुई है। बड़ी संख्या में हिंदू भी इसे आस्था का बड़ा केंद्र मानते हैं। जैन समुदाय के लोग सम्मेद शिखरजी के दर्शन करते हैं और 27 किमी के क्षेत्र में फैले मंदिरों में पूजा करते हैं। यहां पहुंचने वाले लोग पूजा-पाठ के बाद ही कुछ खाते-पीते हैं।

जानिए क्या है सम्मेद शिखर का महत्व

झारखंड का हिमालय माने जाने वाले इस स्थान पर जैनियों का पवित्र तीर्थ शिखरजी स्थापित है। सम्मेद शिखर क्षेत्र में जैन धर्म के 24 में से 20 तीर्थंकरों ने मोक्ष की प्राप्ति की। यहां पर 23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ ने भी निर्वाण प्राप्त किया था। पवित्र पर्वत के शिखर तक श्रद्धालु जंगलों, पहाड़ों के दुर्गम रास्तों से गुजरते हुए नौ किमी की यात्रा तय कर पैदल या डोली से शिखर पर पहुंचते हैं।

पूरे देश में जैन समाज कर रहा था विरोध

केंद्र और झारखंड सरकार द्वारा सम्मेद शिखर को तीर्थ स्थल के साथ पर्यटन स्थल घोषित कर दिया था। जिसको लेकर सम्मेद शिखर में विराजित मुनिश्री प्रमाण सागरजी ने कहा कि सम्मेद शिखर इको टूरिज्म नहीं, इको तीर्थ होना चाहिए। सरकार पूरी परिक्रमा के क्षेत्र और इसके 5 किमी के दायरे के क्षेत्र को पवित्र स्थल घोषित करे, ताकि इसकी पवित्रता बनी रहे। जैन समाज को संदेह है कि पर्यटन स्थल बनने के बाद यहां मांस-मदिरा आदि बिकने लगेगी, यह समाज की भावना-मान्यता के खिलाफ है।

Next Article