रिसर्च स्कॉलरों पर नियमों की मार… फेलोशिप पर लटक गई तलवार !
Jaipur News: राज्य सरकार से अनुदान प्राप्त विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों के रिसर्च सेंटर्स से शोध कार्य कर रहे सभी नेट/स्लेट उत्तीर्ण व बिना अन्य फेलोशिप शोधार्थियों को, जो कि अन्य कोई फेलोशिप प्राप्त नहीं कर रहे हैं, उनके लिए रिसर्च को बढ़ावा देने तथा शोधार्थियों को आर्थिक संबल देने के लिए पूर्ववर्ती सरकार ने बजट घोषणा 2023-24 में की गई थी, जिसके लिए 62 करोड़ रुपए की वित्तीय स्वीकृति भी जारी की गई थी।
लेकिन, इस फेलोशिप के लिए एक ऐसा नियम बना दिया गया है, जिसके कारण आधे से अधिक शोधार्थी फेलोशिप पात्रता से बाहर हो रहे हैं और जो नाममात्र के शोधार्थी दायरे में आ रहे हैं, उनको भी केवल 4 से 5 महीने की फेलोशिप अधिकतम मिलेगी। अब स्कॉलर्स इस नियम में बदलाव कराने के लिए उच्च शिक्षा मंत्री से लेकर सभी अधिकारियों के पास गुहार लगा रहे हैं।
फेलोशिप के लिए मात्र 700 फार्म
2200 शोधार्थियों को प्रति शैक्षणिक सत्र 20 हजार फैलोशिप देने का उल्लेख है, लेकिन 16 अगस्त-2023 को कॉलेज आयुक्तालय ने आवेदन मांगे, तो आवेदकों की संख्या लगभग 600 से 700 की जानकारी मिली, जो कि 2200 की तुलना में बहुत कम है। फेलोशिप के लिए कुल आवेदकों की संख्या करीब 700 के लगभग बताई जा रही है।
4 नियम 4(b) के कारण एक फेलोशिप के लिए पात्र नहीं माने जा रहे हैं, अता इस नियम की हटाया जाए एवं सरकार शोधार्थियों की समस्याओं का समाधान प्राथमिकता से किया जाए।
राम प्रकाश भारी, पूर्व छात्रसंघ अध्याक्ष एवं रिसर्च स्कॉलर राजनीति विज्ञान विभाग, राजस्थान विश्वविद्यालय
4 सरकार फेलोशिप नियम विसंगति को दूर करें एवं नियमानुसार आवेदन तिथि से 2 वर्ष की फेलोशिप तुरंत जारी करें। साथ की ICSSR डॉक्टरण फेलोशिप नियमों का अनुसरण किया जाना चाहिए।
रविता सिंह रिसर्च स्कॉलर, राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर