RPSC Paper leak : बाबूलाल कटारा के बेटे और उसके दोस्त को SOG ने किया गिरफ्तार
RPSC Paper leak : वरिष्ठ शिक्षक भर्ती पेपर लीक मामले में आरपीएससी मेंबर बाबूलाल कटारा की गिरफ्तारी के बाद उसके बेटे और उसके दोस्त को भी गिरफ्तार कर लिया गया है। इसे एसओजी की बड़ी कार्रवाई मानी जा रही है। अब इनकी गिरफ्तारी के बाद ही जांच करने की कोशिश की जाएगी कि क्या इन दोनों की मिलीभगत पेपर लीक करवाने को लेकर थी या नहीं।
कहीं भी पोस्टेड नहीं है दीपेश, गौतम है सरकारी टीचर
एसओजी ने बाबूलाल कटारा के बेटे डॉ दीपेश कटारा और उसका दोस्त गौतम कटारा को गिरफ्तार कर उनके तीन दोस्तों से भी पूछताछ कर रही है। एसओजी ने बाबूलाल कटारा के बेटे डॉक्टर दीपेश को उसके घर से इसके अलावा उसके दोस्त गौतम कटारा को जो सरकारी टीचर है, उसे पकड़ा।
बता दें कि दीपेश की अभी कहीं पर पोस्टिंग नहीं है। उसका दोस्त गौतम कटारा शीशोद के सरकारी स्कूल में अध्यापक है। एसओजी अब बाबूलाल कटारा के बेटे और उसके दोस्त और गिरफ्तार दूसरे लोगों से पूछताछ कर रही है लेकिन पूछताछ में क्या सवाल जवाब किए गए हैं और अपराधियों ने क्या खुलासे किए हैं। इसके बारे में एसओजी ने अभी जानकारी नहीं दी है।
बाबूलाल कटारा अपने घर लेकर गए थे प्रशनपत्र
बता दें कि अभी तक एसओजी ने वरिष्ठ अध्यापक भर्ती मामले में आरपीएससी मेंबर बाबूलाल कटारा उसके भांजे विजय कटारा, ड्राइवर गोपाल सिंह को गिरफ्तार किया था। जिन्हें अजमेर लाया जाएगा। बाबूलाल कटारा पर आरोप है कि पेपर लीक की शुरुआत बाबू लाल कटारा ने ही की। क्योंकि प्रश्न पत्रों का कामकाज बाबूलाल कटारा को दिया गया था। इसके साथ ही वह क्वेश्चन पेपर के छह सेट अपने घर भी लेकर गए थे। उसने अपने भांजे विजय कटारा से हर सेट के सवाल लिखवा कर बेचे थे। बाबूलाल कटारा को अभी पद से निलंबित नहीं किया है इसकी कार्यवाही चल रही है।
अध्यक्ष आयोग के सदस्यों से कराने लगे के सीक्रेट काम
RPSC में पिछले कुछ समय से आयोग अध्यक्ष क्वेश्चन पेपर संबंधित सीक्रेट काम भी अपने अलावा आयोग के सदस्यों से कराने लगे थे। इसी के तहत बाबूलाल कटारा को भी प्रश्नपत्र से संबंधित काम सौंपे गए थे।
दरअसल बाबू लाल कटारा 15 अक्टूबर 2020 से RPSC के मेंबर हैं। इनका कार्यकाल 14 अक्टूबर 2026 तक है। जानकारी है कि आयोग के अध्यक्ष ने जिन अलग-अलग सदस्यों को अलग-अलग परीक्षाओं के काम दिए थे, उनमें से वरिष्ठ मेंबर जो आयोग में नहीं है, उनको भी इसकी जिम्मेदारी दी गई थी। इसलिए इस बात पर गौर किया जा सकता है कि इस समय जो आयोग के अध्यक्ष हैं, उन्होंने भी अलग-अलग परीक्षाओं के लिए अलग-अलग सदस्यों को पेपरों की जिम्मेदारी दी है।