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रोल मॉडल: करीना और रितु ने पेश की मिसाल, परिवार चराता है बकरियां, बेटियां बनेंगी डॉक्टर साब

मन में कुछ करने का दृढ विश्वास हो, अपने चुनौतियों से भरे ‘आज’ को जीत सपनों का ‘कल’ बनाने का जुनून हो तो कोई ऐसा लक्ष्य नहीं जो पाया ना जा सके। ये साबित किया है जयपुर के एक छोटे से गांव में रहने वाली दो बहनों ने।
09:11 AM Jun 20, 2023 IST | BHUP SINGH

जयपुर/कोटा। मन में कुछ करने का दृढ विश्वास हो, अपने चुनौतियों से भरे ‘आज’ को जीत सपनों का ‘कल’ बनाने का जुनून हो तो कोई ऐसा लक्ष्य नहीं जो पाया ना जा सके। ये साबित किया है जयपुर के एक छोटे से गांव में रहने वाली दो बहनों ने। दो चरवाहे भाईयों की बेटी रितु और करीना यादव ने अपने जीवन की तमाम परिस्थितयों को जीत कर बेहद मुश्किल माना जाने वाला नीटयूजी क्लीयर किया है और अब डॉक्टर बनने के लिए मडिे कल कॉलेज में एडमिशन लेने जा रही हैं। एक ऐसा परिवार जिसमें से किसी ने आज तक गांव से बाहर निकल कुछ बड़ा करने के बारे में नहीं सोचा, जिसके किसी सदस्य के सपने मजदूरी कर पेट पालने की सीमा से आगे नहीं बढ़े, उस परिवार की इन बेटियों ने ये सफलता पाकर विपरीत परिस्थितियों से जूझ रहे हर स्टूडेंट के लिए मिसाल पेश कर दी है।

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गरीबी और बीमारी से जूझ रहे परिवार

जयपुर के पास जमवारामगढ़ तहसील के गांव नांगल तुलसीदास दो भाइयों नन्छू राम यादव और हनुमान सहाय यादव का परिवार रहता है। रितु के पिता हनुमान सहाय अपनी 8-10 बकरियां पालकर गुजारा करते हैं। परिवार के लोग रोजाना बकरियां चराने जाते हैँ, दध बेच ू ते हैं और बकरियों के बच्चे बेचकर परिवार चला रहे हैं। करीना के पिता नन्छूराम एवं पत्नी गीता निरक्षर हैं और वे भी बकरियां व गाय-भैंस पालकर व उनका दध बेचकर ज ू ीवनयापन करते हैं। दोनों भाइयों की पत्नियां अपने घरों के आसपास मौजूद खेतों में काम करने जाती हैं। कमजाेर आिर्थक हालात के साथ ही इन परिवारों में बीमारियों का नासूर भी पल रहा है। नन्छूराम को लंग्स कैं सर है और हनुमान सहाय आंख की गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं।

ऐसे लिखी गई सफलता की इबारत

रितु और करीना ने अपनी 8वीं तक की पढ़ाई सरकारी स्कूल से की। दोनों का प्रदर्शन अच्छा रहा तो रितु को उसके ननिहाल ने सहारा दिया और अपने यहां बुलाकर निजी स्कूल में एडमिशन करा दिया। करीना ने अपने घर पर ही रहकर पढ़ाई की। रितु ने 12वीं कक्षा 97 फीसदी अंकों से तो करीना ने 83 प्रतिशत अंकों से पास की। इसके बाद नीट की जानकारी तो मिली लेकिन कोई मार्गदर्शन या मदद नहीं मिली। ऐसे दौर में इनके ताऊ ठाकरसी यादव ने इनकी प्रतिभा को पहचाना और जयपुर के एक कोचिंग इंस्टिट्यूट में एडमिशन कराया। साथ ही इनका पढ़ाई का खर्च भी वहन किया। दरअसल ठाकरसी खुद रिटायर्ड शिक्षक हैं, ऐसे में वे बच्चों की प्रतिभा को समझ पाए और उनकी मदद कर पाए।

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शुरुआती असफलताओं को हराया

रितु ने 2021 में 12वीं कक्षा पास करने के बाद सेल्फ स्टडी कर 2022 में नीट का पहला अटैम्प्ट दिया था लेकिन सफल नहीं हो सकी। करीना ने भी इससे पहले तीन अटैम्प्ट्स दिए पर असफल रही। असफलता के बावजूद दोनों ने हिम्मत नहीं हारी और रितु ने दूसरे व करीना ने चौथे अटैम्प्ट में नीट क्लीयर कर लिया। करीना ने 680 अंक प्राप्त कर एआईआर 1621 हासिल की है वहीं रितु को 645 अंक मिले हैं व उसकी एआईआर 8179 है।

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