बगावत, सियासत या बर्खास्तगी की चाहत! पायलट ने एक बार फिर लांघी अनुशासन की लक्ष्मण रेखा
Sachin Pilot : जयपुर। सचिन पायलट ने मंगलवार को एक बार फिर अनुशासन की लक्ष्मण रेखा को लांघा। उन्होंने अपनी सरकार के मुख्यमंत्री के खिलाफ बयानबाजी कर एक तरीके से आलाकमान को उकसाने का काम किया, ताकि पार्टी बर्खास्त कर दे। सूत्रों का कहना है कि दिल्ली से पार्टी ने उन्हें प्रेस कॉन्फ्रेंस करने से मना किया था, लेकिन उन्होंने अपनी पार्टी की एक नहीं सुनी। इससे पहले 11 अप्रैल को भी सचिन पायलट ने आलाकमान की हिदायतों को अनसुना कर अपनी सरकार के खिलाफ धरना दिया था। इसे आलाकमान ने खासा गंभीरता से ले कार्रवाई की बात की थी। हालांकि अभी कार्रवाई पर निर्णय लंबित था िक सचिन ने फिर से सीमा लांघ दी।
ऐसा किसी सियासतदां ने नहीं किया
सचिन ने तीसरी बार अनुशासनहीनता वाला ऐसा कदम उठाया है, जो आज तक किसी राजनीतिज्ञ ने नहीं उठाया। साल 2020 में सबसे पहले उन्होंने डेढ़ दर्जन विधायकों के साथ मिल अपनी ही सरकार गिराने की कोशिश की। वह भी तब, जब वह राजस्थान कांग्रेस के मुखिया के पद पर विराजमान थे। इसके चलते पार्टी ने उन्हें तुरंत प्रदेश अध्यक्ष पद से बर्खास्त किया। पहली बार किसी राजनीतिक दल को ऐसा कदम उठाना पड़ा था। उसके बाद से वह लगातार सरकार को अस्थिर करने में लगे थे, लेकिन पार्टी अनदेखी कर काम चला रही थी। अब चुनाव साल में पार्टी को अनदेखी महंगी पड़ रही है। वह भी तब जब मुख्यमंत्री गहलोत की योजनाओं और फै सलों के चलते सरकार रिपीट होने के पूरे आसार बने हुए हैं। आपसी लड़ाई को लेकर पार्टी को अब कड़ा कदम उठाना ही पड़ेगा।
सचिन पायलट सरकार के खिलाफ निकालेंगे जन संघर्ष यात्रा
पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने अपनी ही सरकार के खिलाफ 11 मई को पेपर लीक, रोजगार, युवाओं के मुद्दों और अन्य मामलों को लेकर अजमेर से जयपुर तक जन संघर्ष यात्रा निकालने का ऐलान किया। पायलट ने मंगलवार को कहा कि यह यात्रा लोगों के हित में, करप्शन के खिलाफ और नौजवानों के संरक्षण के लिए आवाज बुलंद करेगी। उन्होंने कहा कि यात्रा में लोगों के समर्थन के बाद ही आगे का फैसला लिया जाएगा। पार्टी छोड़ने के मामले पर सचिन पायलट ने कहा कि कुछ लोग पार्टी को कमजोर करना चाहते हैं। वह चाहते हैं कि पार्टी में फूट पड़े, तभी विधायकों को बदनाम किया जा रहा है, लेकिन हम ऐसा नहीं होने देंगे।
खेलना चाहते हैं सहानुभूति कार्ड
पार्टी अभी तक कार्रवाई से इसलिए बच रही है कि सचिन सहानुभूति का कार्ड खेल अपने को शहीद बताएंगे, लेकिन आज सचिन ने सभी सीमाएं लांघ लीं। अपनी सरकार के मुख्यमंत्री पर सीधा हमला अनुशासनहीनता के दायरे में माना जाता है। वह भी तब जब पूरी पार्टी चुनाव को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अगुवाई में राहत व बचत महंगाई कैं प लगा माहौल बनाने में लगी है। ऐसे समय पर अपने मुख्यमंत्री पर हमला पार्टी अब शायद सहन करे। पार्टी सूत्रों का कहना है आलाकमान देर सवेर कोई ना कोई एक्शन लेगा। राहुल गांधी ने भी पूरे मामले को संज्ञान में लिया है।