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कभी हां…कभी ना करते-करते भाजपाई हुए रविंद्र भाटी, छात्र राजनीति से चमके, चुनाव में आजमा सकते हैं किस्मत

लंबे इंतजार के बाद रवींद्र सिंह भाटी ने कमल का दामन थाम लिया है। माना जा रहा है कि वो शिव या सरदारपुरा सीट से चुनाव लड़ सकते है।
01:16 PM Oct 28, 2023 IST | Anil Prajapat
कभी हां…कभी ना करते करते भाजपाई हुए रविंद्र भाटी  छात्र राजनीति से चमके  चुनाव में आजमा सकते हैं किस्मत

Ravindra Singh Bhati: राजस्थान में 25 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी का कुनबा लगतार बढ़ता जा रहा है। जयपुर में रविवार को पूर्व विधायक चंद्रशेखर बैद, पूर्व विधायक नंदलाल पूनिया, जयपुर की पूर्व मेयर ज्योति खंडेलवाल, झुंझुनूं से हरिसिंह सहारण, कांग्रेस नेता सांवरमल महरिया, केसर सिंह शेखावत, भीमसिंह पिका, जयपाल सिंह सहित युवा नेता रविंद्र सिंह भाटी ने बीजेपी ज्वाइन की।

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बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी, राजेंद्र राठौड़ और प्रभारी अरुण सिंह ने इन सभी नेताओं को बीजेपी की सदस्यता ग्रहण करवाई लेकिन, सबसे खास बात ये है कि लंबे इंतजार के बाद रवींद्र सिंह भाटी ने कमल का दामन थाम लिया है। माना जा रहा है कि वो शिव विधानसभा सीट से चुनाव लड़ सकते है। हम बताने जा रहे हैं आपको राजस्थान की राजनीति में उभरते इस युवा नेता के राजनीतिक सफर की कहानी के बारे में…

वैसे तो राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत, केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, विधायक हरीश चौधरी, डॉ जालम सिंह रावलोत, बाबू सिंह राठौड़, राजेन्द्र राठौड़, महेश जोशी, कालीचरण सराफ, अशोक लाहोटी जैसे कई नेता हैं, जिन्होंने स्टूडेंट पॉलिटिक्स से संघर्ष कर पैठ बनाई और राजस्थान की राजनीति में चमके।

Ravindra Singh Bhati
Ravindra Singh Bhati

लेकिन, रविंद्र सिंह भाटी ऐसे नेता हैं, जिन्होंने जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर के 57 साल के छात्रसंघ चुनावी इतिहास में साल 2019 में पहली बार निर्दलीय जीतकर परचम लहराया था। वो एबीवीपी से छात्रसंघ अध्यक्ष का चुनाव लड़ना चाहते थे। टिकट नहीं मिला तो निर्दलीय लड़कर रिकॉर्ड जीत हासिल की थी और राजस्थान में युवा राजनीति का बड़ा चेहरा बनकर उभरे।

साल 2016 में रखा छात्र राजनीति में कदम

राजस्थानी भाषा में पोस्ट ग्रेजुएट रविंद्र सिंह भाटी ने साल 2016 में छात्र राजनीति में कदम रखा। वो जय नारायण विवि के अध्यक्ष कुणाल सिंह भाटी के साथ धरना-प्रदर्शन में शामिल होकर छात्र हितों के लिए आवाज उठाने लगे। वे कुणालसिंह भाटी के साथ कई प्रदर्शनों में शामिल हुए और युवाओं की नजरों में आ गए। कुछ ही दिनों में वो युवाओं के चहेते बन गए। आज वे राजस्थान में युवाओं की आवाज के रूप में अपनी पहचान बना चुके हैं।

साल 2019 के छात्रसंघ चुनाव में रचा था इतिहास

साल 2019 में रविंद्र भाटी ने छात्रसंघ अध्यक्ष का चुनाव लड़ने का फैसला किया। लेकिन, एबीवीपी से टिकट नहीं मिला तो निर्दलीय ही चुनाव मैदान में उतर गए। इस दौरान खास बात ये रही कि जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर के 57 साल के छात्रसंघ चुनावी इतिहास में पहली बार कोई निर्दलीय चुनाव जीतकर छात्रसंघ अध्यक्ष बना था।

उन्होंने 1294 वोटों से ऐतिहासिक जीत हासिल की थी। इसके बाद वो राजनीतिक पार्टियों की नजरों में आ गए। वो छात्र राजनीति तक ही समीति नहीं रहे और प्रदेश के प्रमुख मुद्दों को लेकर भी अपनी आवाज बुंलद की। आंदोलन और आक्रामक रवैया रखने वाले भाटी अब युवाओं में पॉपुलर नाम हैं।

बाड़मेर में जन्मे भाटी ने उदयपुर-जोधपुर में की पढ़ाई

रवींद्र सिंह भाटी का जन्म बाड़मेर जिले के गड़रारोड पंचायत समिति के दुधोड़ा गांव में राजपूत परिवार में हुआ था। उनके पिता शैतान सिंह भाटी शिक्षक है और मां अशोक कंवर गृहिणी हैं। उनकी पत्नी का नाम धनिष्ठा कंवर है। रवींद्र भाटी ने शुरूआती पढ़ाई बाड़मेर की। उन्होंने उदयपुर के मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय से विधि में स्नातक किया। इसके बाद जोधपुर के जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय से एलएलबी किया।

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