राष्ट्रीय सेवा संगम : मोहन भागवत बोले- जिन्होंने आजादी की लड़ाई लड़ी,उन्हें विदेशी ताकतों ने अपराधी घोषित किया, आज वे घूमंतू की जिंदगी जी रहे
जयपुर। आज से जयपुर में राष्ट्रीय सेवा संगम शुरू हो गया है। राष्ट्रीय सेवा भारती की ओर से यह कार्यक्रम किया जा रहा है जो 3 दिन तक चलेगा। इस कार्यक्रम का उद्घाटन RSS के सरसंघचालक मोहन भागवत ने किया। उन्होंने कार्यक्रम को संबोधित भी किया। इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि हमारे देश में जब से संघ की स्थापना हुई है। तब से सेवा उनके मन में है। जहां-जहां समाज में जरूरत पड़ती है, वहां हम स्वयंसेवक का काम करते हैं।
हिंदू समाज के संन्यासी जो काम करते..हमारी सेवा कुछ भी नहीं
भागवत ने कहा कि यहां सभी लोग उत्साह से काम करने आते हैं। संघ के स्वयंसेवक जो सेवा करते हैं उसके देश में छवि बनती है। ऐसा नहीं है कि सेवा करने वाले सर स्वयंसेवक हैं। हमारे देश में सेवा का मंत्र पहले से ही है। मोहन भागवत ने कहा कि एक बार चेन्नई में हिंदू सेवा फेयर का आयोजन किया गया था। यह देखने के लिए कि हिंदू समाज के संन्यासी आखिर कर क्या रहे हैं लेकिन मैं कह दूं जो सेवा वह करते हैं उनकी सेवा हमारी सेवा से कई गुना है।
घर में जब कोई गुजर जाता है तो कई दिनों तक घर की गाय, कुत्ता खाना तक नहीं खाते। इसे ही करुणा, संवेदना का भाव कहते हैं। मोहन भागवत ने कहा कि सेवा जब एक भाव से होती है तो उसे समरसता का भाव कहा जाता है। हम सभी समाज के अंग हैं एक दूसरे के पूरक हैं। हमारे सामने जो इस समय हालात है वह दुर्भाग्यपूर्ण है लेकिन हमें अपनी अपनी जगह पर अपना काम करना चाहिए और हम काम कर रहे हैं।
शरीर से समझे समाज का महत्व
भागवत ने कहा कि हम सभी शरीर से अलग-अलग अंग है लेकिन प्राणों में सब में एक ही हैं। किसी का शरीर दुबला है, किसी का पतला है, कोई पीड़ित है। अगर कोई उसे सही नहीं कर सकता तो हम कहेंगे वो पैरालाइज है। उसी तरह से हम समाज के लिए भी एकजुट होकर काम करना होगा। अगर समाज का कोई अंग दुबला-पतला रह जाए पिछड़ा रह जाए, पीड़ित रह जाए तो नीचे नहीं रहने दूंगा। इसी सोच के साथ हमें आगे काम करना होगा।
हमें उनकी सेवा करनी होगी सेवा स्वस्थ समाज को बनाती है, सेवा करते हैं तो हमें अपने अंदर संतुष्टि मिलती है, खुशी मिलती है कि हां हमने समाज के लिए कुछ किया है।
निस्वार्थ सेवा का ढिंढोरा नहीं पीटा जाता
मोहन भागवत ने कहा कि जो सेवा हम करते हैं वह पूरी तरह पूरी तरह निस्वार्थ होती है। निस्वार्थ भावना से की गई सेवा ही सेवा होती है जो गुप्त रखी जाती है। इसका ढिंढोरा नहीं पीटा जाता। जो लोग अलग-अलग क्षेत्रों में सेवा कर रहे हैं। उन सब को मिलकर सेवा संगम करना चाहिए। मिलना-जुलना चाहिए, विचारों का आदान प्रदान करना चाहिए। किसी के दुख में दुखी होने से काम नहीं चलता उसके लिए हमें कुछ करना पड़ता है। मैं अकेला सुखी हूं और बाकी दुखी रहे वह मुझसे ना देखा जाएगा ना मुझसे रहा जाएगा।
जिन्होंने आजादी की लड़ाई लड़ी उन्हें अपराधी घोषित किया
मोहन भागवत ने कहा कि हमारे समाज में कई ऐसे घुमंतू लोग हैं। जिन्होंने देश की आजादी में अपना योगदान दिया, आजादी की लड़ाई लड़ी, वह गुलामी के आगे झुके नहीं। आजादी के लिए लड़ते रहे, वह आज भी कहीं ना कहीं घूमते रहते हैं। उनके पास ना सरकार की तरफ से दिया गया कोई कार्ड है। न वोटर आईडी है, ना आधार है, ना राशन कार्ड है, उन्हें विदेशी शासकों ने अपराधी तक घोषित कर दिया है। जब संघ की नजर उन पर पड़ी तो उन्होंने वहां पर भी सेवा शुरू कर दी। उनके लिए काम करना शुरू कर दिया। क्योंकि वह आजादी की लड़ाई में अपना योगदान देकर आए हैं। उनसे बड़ा योगदान किसी का नहीं हो सकता।
3 दिवसीय कार्यक्रम में 3000 से ज्यादा लोग शामिल
बता दें कि राष्ट्रीय सेवा संगम में देशभर से 3000 से ज्यादा संगठन के प्रतिनिधि मौजूद हैं। यहां बिजनेस टायकून अजय पिरामल , सुभाष चंद्रा व दूसरे कारोबारी के अलावा संत समाज के लोग, बीजेपी नेता राजेंद्र राठौड़, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी, सांसद रामचरण बोहरा, सुखबीर सिंह जौनपुरिया, दीया कुमारी, घनश्याम तिवाड़ी, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया, अरुण चतुर्वेदी भी शामिल हैं। कार्यक्रम में सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत, अजय पीरामल समेत मंच पर बैठे अतिथियों ने सेवा साधना पत्रिका का विमोचन भी किया।
गौरतलब है कि राष्ट्रीय सेवा भारती की ओर से राष्ट्रीय सेवा संगम हर 5 साल में आयोजित होता है इस बार या जयपुर में हुआ है। सेवा भारती वंचित अभावग्रस्त पिछड़े पीड़ित लोगों की सेवा करने वाली एक संस्था है वह संस्थाओं को प्रोत्साहन देती है और उन्हें सहयोग करती है।