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11 बैलगाड़ी, 10 दिन व 1200 KM का सफर…रामलला की पहली आरती के लिए जोधपुर से अयोध्या पहुंचा 600kg घी

Ram Lalla Pran Pratishtha : राजस्थान के जोधपुर से 11 बैलगाड़ियों में रवाना किए गए 600 किलो घी के 108 कलश 10 दिन में 1200 किमी की दूरी तय कर गुरुवार को धर्म नगरी अयोध्या पहुंचे।
02:31 PM Dec 08, 2023 IST | Anil Prajapat
11 बैलगाड़ी  10 दिन व 1200 km का सफर…रामलला की पहली आरती के लिए जोधपुर से अयोध्या पहुंचा 600kg घी

Ram Lalla Pran Pratishtha : जयपुर। राजस्थान के जोधपुर से 11 बैलगाड़ियों में रवाना किए गए 600 किलो घी के 108 कलश 10 दिन में 1200 किमी की दूरी तय कर गुरुवार को धर्म नगरी अयोध्या पहुंचे। इसके अलावार इन रथों के साथ 108 छोटे शिवलिंग भी लाए गए है। जोधपुर की महर्षि संदीपन बनाड़ गोशाला से यह घी अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में अखंड ज्योत के लिए भेजा गया है। घी के 108 कलशों को आज सरयू नदी में स्नान कराया गया।

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जोधपुर के बनाड़ स्थित महर्षि संदीपनी धर्म गोशाला के संचालक संदीपनी महाराज गुरुवार को जब घी लेकर अयोध्या पहुंचे तो श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष गोविंद देव गिरी महाराज व महासचिव चंपत राय ने कलशों की आरती उतार कर स्वागत किया। इस अवसर पर अनिल मिश्र, सोहन सोलंकी, विनायक देश पांडे सहित विहिप के नेता भी मौजूद रहे।

घी के कलशों अयोध्या में नगर परिक्रमा कल

जोधपुर से लाए गए घी के कलशों को शनिवार को श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को सौंप दिया जाएगा। इससे पहले सुबह अयोध्या में घी के कलशों को बैलगाड़ियों में रख नगर परिक्रमा कराई जाएगी। इसके बाद घी का अभिषेक होगा और फिर इसे मंदिर ट्रस्ट को सौंपा जाएगा।

9 साल पहले लिया जो संकल्प…वो अब होगा पूरा

महर्षि संदीपन महाराज ने बताया कि उन्होंने 9 साल पहले संकल्प लिया था कि अयोध्या में जब भी राम मंदिर बनेगा, उसके लिए शुद्ध देसी गाय का घी वो अपने यहां से लेकर जाएंगे। भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के दौरान जो आरती की जाएगी, उसके लिए खास तौर से गाय (जीजी) के घी को उपयोग में लिया जाएगा।

उन्होंने बताया कि साल 2014 में एक ट्रक में भरकर गायों को जोधपुर से गोकशी के लिए ले जाया जा रहा था। इस ट्रक में 60 गाएं थी। इन गायों को छुड़वा कर आसपास की गोशालाओं में ले गए, लेकिन सभी ने रखने से मना कर दिया। आखिर में उन्होंने फैसला किया कि इन गायों को खुद ही पालेंगे। उन्होंने बताया कि इस दौरान राम मंदिर के बनने की उम्मीदें बनने लगी तो इन 60 गायों के अलावा अन्य गायों को एकत्रित करना शुरू कर दिया।

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