For the best experience, open
https://m.sachbedhadak.com
on your mobile browser.

Raksha Bandhan 2023 : 30 अगस्त को पूरे दिन रहेगी भ्रदा, जानिए राखी बांधने का शुभ मुहूर्त और समय

RakshaBandhan 2023: 30 अगस्त को सुबह से शुरू हो जाएगा भ्रदाकाल। दो मनाई जाएगी रक्षाबंधन। जानिए अपने भाईयों को राखी बांधने का शुभ मुहूर्त और समय।
02:39 PM Aug 26, 2023 IST | BHUP SINGH
raksha bandhan 2023   30 अगस्त को पूरे दिन रहेगी भ्रदा  जानिए राखी बांधने का शुभ मुहूर्त और समय

Raksha Bandhan 2023 : रक्षाबधंन का त्योहार हर साल श्रावण शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर भाई-बहिन के प्रेम और सदभाव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन बहिनें अपने भाईयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और भाई अपनी प्यारी बहनों को गिफ्ट्स देने के साथ जिंदगीभर उनकी रक्षा करने का वादा करते हैं। लेकिन राखी बांधने के लिए सबसे जरूरी है शुभ मुहूर्त और भ्रदारहित काल में राखी बांधने से भाई को कार्य सिद्धी और विजय प्राप्त होती है।

Advertisement

रक्षाबंधन 2023, शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, 30 अगस्त को सुबह 10 बजकर 58 मिनट से पूर्णिमा तिथि लगने के साथ ही भ्रदा लग जाएगी जो रात को 09 बजकर 01 मिनट तक रहेगी। वहीं दूसरी तरफ श्रावण पूर्णिमा 31 अगस्त सुबह 07 बजकर 07 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। 30 अगस्त को राखी बांधने का शुभ मुहूर्त रात 9 बजकर 01 मिनट से लेकर 31 अगस्त को सुबह 07 बजकर 05 मिनट तक है।

यह खबर भी पढ़ें:-Raksha Bandhan 2023 : अगर आपको भी विदेश भेजनी है राखी और गिफ्ट्स, यहां मिलेगी फास्ट डिलीवरी

कहां बांधे भाई को राखी

राखी बांधने के लिए शुभ मुहूर्त और भ्रदासहित समय के साथ ही घर में किस जगह राखी बांधनी चाहिए ये भी बहुत मायने रखता है। वास्तु के अनुसार घर का मुख्य द्वार वह प्रमुख स्थान है जहां से सकारात्मक ऊर्जा आपके घर के भीतर प्रवेश करती है, जो आपकी और भाई की समृद्धि के लिए मददगार हो सकती है। रक्षाबंधन के दिन मुख्य द्वार पर ताजे फूलों और पत्तियों से बनी बंधनवार लगाएं ओर रंगोली से घर को सजाएं। पूजा के लिए एक थाली लेकर उसके स्वास्तक बनाकर उसमें चंदन, रोली, अक्षत, राखी, मिठाई और कुछ ताजा फूलों के बीच एक घी का दीया रखें।

दीया जलाकर सबसे पहले अपने ईष्टदेव को तिलक लगाकर राखी बांधें और आरती उतारकर मिठाई का भो लगाएं। इसके बाद पूर्व या उत्तर दिशा की और मुंह करके बैठाएं। इसके बाद भाई के सिर पर वस्त्र या रूमाल रखें। अब भाई के माथे पर रोली-चंदन और अक्षत का टिका लगाकर उसके हाथ में नारियल दें। इसके बाद 'येन बद्धो बलि राजा, दानवेंद्रो महाबल: तेन त्वाम् प्रतिबद्धनामि रखे माचल माचल:' इस मंत्र का जप करते हुए दाहिनी कलाई पर राखी बांधें।

यह खबर भी पढ़ें:-Raksha Bandhan 2023 : 2 सदी बाद रक्षाबंधन पर बन रहा ये शुभ संयोग, इन 3 राशियों की खुल जाएगी

राखी बांधने के बाद भाई की आरती उताकर मिठाई खिलाएं और उसके उत्तम स्वास्थ्य और उज्जवल भविष्य के लिए भगवान से प्रार्थना करें। इस दिन देवताओं, ऋषियों और पितरों का तर्पण करने से परिवार में सुख शांति और समृद्धि बढ़ती है। लोग इस दिन नदियों, तीर्थों, जलाशयों आदि में पंचगव्य से स्नान और दान-पुन्य करके आप ईष्ट कार्य सिद्ध कर सकते हैं।

कब और कैसे शुरू हुई राखी बांधने की परंपरा

पौराणिक कथा के अनुसार जब भगवान विष्णु ने वामन अवतार के रूप में राक्षस राज बलि से तीन पग में उनका सारा राज्य मांग लिया था और उन्हें पाताल लोक में निवास करने को कहा था। तब राजा बलि ने भगवान विष्णु को अपने मेहमान के रूप में पाताल लोक चलने का कहा। जिसे विष्णुजी मना नहीं कर सके। लेकिन जब लंबे समय तक श्री हरि अपने धाम नहीं लौटे तो लक्ष्मीजी को चिंता होने लगी। तब नारद मुनि ने उन्हें राजा बलि को अपना भाई बनाने की सलाह दी।

अपने पति को वापस लाने के लिए माता लक्ष्मी गरीब स्त्री का रूप धारण कर राजा बलि के पास पहुंच गई और उन्हें अपना भाई बनाकर राखी बांध दी। इसके बदले उन्होंने भगवान विष्णु को पाताल लोक से ले जाने का वचन मांग लिया। उस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा थी और इसके बाद से राखी का पर्व मनाया जाने लगा है।

.