वसुंधरा राजे के जन्मदिन पर शक्ति प्रदर्शन को चुनावी शंखनाद मानने से राजेंद्र राठौड़ का इनकार, कहा- इस तरह जन्मदिन मनाना कोई बेजा बात नहीं
आगामी 4 मार्च को प्रदेश की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे अपना जन्मदिन मना रही हैं। हालांकि उनका जन्मदिन 8 मार्च को पड़ता है, लेकिन इस बार वे 4 दिन पहले ही इसे सेलिब्रेट कर रही हैं और उनके समर्थक नेता इस दिन को खास तरीके से मनाने की तैयारी कर रहे हैं। कई राजनीतिक विश्लेषक इसे राजे के शक्ति प्रदर्शन के तौर पर भी देख रहे हैं। इधर राजे के जन्मदिन पर राजेंद्र राठौड़ ने बयान दिया है।
जन्मदिन मनाना कोई बेजा बात नहीं
राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि वसुंधरा राजे प्रदेश की मुख्यमंत्री रही हैं, वो राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं, उनके समर्थक इस तरह से अगर जन्मदिन मनाते हैं तो कोई बेजा बात नहीं है। हर नेता के समर्थक होते हैं, वसुंधरा राजे के भी हैं। इसे चुनावी शंखनाद के तौर पर देखने के सवाल पर राठौड़ ने कहा कि चुनावी शंखनाद तो पहले ही बज गया। भाजपा की जनाक्रोश यात्रा से ये चुनावी शंखनाज पहले ही बज चुका है।
जनाक्रोश यात्रा से ही हो गया था शंखनाद
भाजपा ने पूरे राजस्थान की 200 विधानसभाओं में रैलियों का आयोजन किया, लोगों तक कांग्रेस की कारगुजारियों को पहुंचाया है। इस बजट सत्र के बाद प्रत्येक जिलों के अंदर बड़े पड़ाव डालेंगे, बड़े घेराव करेंगे। इसलिए शंखनाद तो पूर्व में ही हो चुका लेकिन सभाओं और रेलियों को चुनावों से कर देखा जायेगा तो अतिश्योक्ति नहीं होगी।
अपने विरोधियों को ताकत दिखाएगी राजे !
बता दें कि 4 मार्च को वसुंधरा राजे के जन्मदिन पर चुरू के सालासर में एक भव्य समारोह आयोजित होगा। इस मौके पर सालासर में एक बड़ी जनसभा भी आयोजित की जाएगी, जिसमें कम से कम एक से डेढ़ लाख लोगों की भीड़ जुटने की उम्मीद जताई जा रही है। राजेंद्र राठौड़ का बयान इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि चुरू से वे विधायक हैं और प्रदेश अध्य़क्ष सतीश पूनिया का यह गृह जिला है। ये दोनों ही नेता राजे के विरोधी माने जाते हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि वसुंधरा राजे ने अपना जन्मदिन मनाने के लिए चुरू को इसलिए चुना ताकि वे अपने धुर विरोधियों को अपनी ताकत से रूबरू करा सकें।