Jaipur Blast के पीड़ितों से नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने की मुलाकात, कहा- न्यायालय तक भी जाएगी भाजपा
जयपुर। साल 2008 में हुए शहर में हुए सीरियल बम ब्लास्ट (Jaipur Blast) मामले की पीड़ित लोगों से आज नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने उनके घर जाकर मुलाकात की। उन्होंने हादसे के बाद से उनके जीवन में आ रही समस्याओं और हाल ही में राजस्थान हाईकोर्ट के दिए गए फैसले को लेकर बातचीत की।
कड़ी से कड़ी सजा दिलाने का दिया आश्वासन
राजेंद्र राठौड़ (Rajendra Rathore) ने पीड़ित लोगों से उनका हालचाल जाना। उनकी जिंदगी में आ रही कठिनाइयों के बारे में उन्होंने भी खुलकर राजेंद्र राठौड़ को बताया। राठौड़ ने पीड़ितों को भरोसा दिलाया कि इस मुद्दे (Jaipur Blast) पर जिन दोषी आरोपियों को राजस्थान हाईकोर्ट में बरी किया है उन्हें कड़ी से कड़ी सजा जरूर दिलाई जाएगी। इसके लिए वे कोर्ट तक जाने में पीछे नहीं हटेंगे। आरोपियों के बरी होने के खिलाफ भाजपा पीड़ितों के साथ खड़ी है।
सीपी जोशी ने भी Jaipur Blast के पीड़ितों से की थी मुलाकात
बता दें कि कल देर शाम भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी भी दंगा पीड़ितों (Jaipur Blast) भी के आवास पर पहुंचे थे, उन्होंने यहां पीड़ितों से मुलाकात की और दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाने का आश्वासन भी दिया। सीपी जोशी ने कहा था कि राजस्थान सरकार के दोहरे रवैए से खासी निराशा इन पीड़ित परिवारों में साफ देखी जा सकती है। राजस्थान में पहली बार यह हुआ है कि इतने बड़े हादसे के दोषी सरकारी कारगुजारी से बरी हो गए।
केस की कमजोर पैरवी के चलते AAG की सेवा समाप्त
गौरतलब है कि प्रदेश सरकार रिहा किए गए आरोपियों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करेगी। राज्य सरकार दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाने के लिए इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जा रही है। राजस्थान हाईकोर्ट में इस केस की कमजोर पैरवी करने के लिए AAG यानी अतिरिक्त महाधिवक्ता राजेन्द्र यादव की सेवाएं खत्म कर दी हैं।
साल 2008 में जयपुर में हुए थे बम धमाके…
बता दें कि 13 मई, 2008 को जयपुर में हुए सीरियल बम ब्लास्ट (Jaipur Blast) में 71 लोगों की मौत होने के साथ ही 185 लोग घायल हुए थे। बम ब्लास्ट मामले में सैर्फुरहमान, मोहम्मद सलमान, सरवर आजमी और सैफ को जयपुर जिला विशेष न्यायालय ने 20 दिसंबर, 2019 को फांसी की सजा सुनाई थी। जिसके खिलाफ चारों ने उच्च न्यायालय में अपील की थी। उच्च न्यायालय ने 29 मार्च को फांसी की सजा पलटते हुए चारों को पुख्ता सबूत नहीं होने पर बरी कर दिया।