सस्ती बिजली के लिए राजस्थान अपनाएगा महाराष्ट्र मॉडल, किसानों को मिलेगा फायदा
जयपुर। सस्ती बिजली उत्पादन के लिए सौर ऊर्जा को बढ़ावा देकर किसानों को दिन में ही बिजली आपूर्ति करने और विद्युत वितरण तंत्र में सुधार के लिए राजस्थान अब महाराष्ट्र मॉडल को अपनाएगा। प्रदेश के ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर ने रविवार को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से मुंबई में मुलाकात की।
इस दौरान सस्ती बिजली उत्पादन के मॉडल को लेकर दोनों नेताओं के बीच लंबी चर्चा हुई। महाराष्ट्र में ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देने के लिए अब तक परंपरागत ऊर्जा के स्रोतों से चल रहे सिंचाई पंपों को सोलर पंपों में बदला जा रहा है। सौर ऊर्जा संचालित पंपों का उपयोग बढ़ाने की महाराष्ट्र सरकार की इस मुहिम से किसानों को सिंचाई कार्य के लिए दिन में भी बिजली मिल रही है।
इससे प्रदूषण को कम करने में भी मदद मिली है। इतना ही नहीं किसान सोलर पैनल के माध्यम से उत्पादित अतिरिक्त बिजली को सरकारी या निजी बिजली कंपनी को बेचकर लाभ भी कमा रहे हैं। शिंदे ने ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर को बताया कि महाराष्ट्र कृषि को सौर ऊर्जा में शिफ्ट करने की पहल करने वाला देश का अग्रणी राज्य है। मीटिंग में महाराष्ट्र सरकार की प्रमुख शासन सचिव (ऊर्जा) आभा शुक्ला भी मौजूद रहीं।
ऊर्जा विभाग के अधिकारियों की टीम जाएगी महाराष्ट्र…
ऊर्जा विभाग के अधिकारियों की टीम जल्द ही महाराष्ट्र का दौरा करेगी। टीम वहां नीतिगत बदलावों तथा इनके माध्यम से आए सफल परिणामों का अध्ययन करेगी। इसके बाद राजस्थान की भौगोलिक परिस्थितियों के अनुरूप इन्हें यहां लागू करने के संबंध में रणनीति तैयार की जाएगी।
केंद्रीय मंत्री ने दिया था सुझाव…
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और नागर ने पिछले दिनों दिल्ली में केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह से मुलाकात की थी। इस दौरान सिंह ने ऊर्जा के पारंपरिक स्रोतों पर निर्भरता को कम करने की दिशा में महाराष्ट्र सरकार के मॉडल को अपनाने का सुझाव दिया था।
शिंदे ने यूं दिखाया रास्ता…
राज्य में सोलर एनर्जी के क्षेत्र में निवेशकों (बिडर) के लिए सरकारी भूमि की उपलब्धता को सुनिश्चित किया गया है। पीएम कु सुम योजना के माध्यम से महाराष्ट्र में सिवायचक, बंजर, सरकारी कार्यालयों तथा कृषि भूमि का एक लैंड बैंक तैयार किया गया। इससे सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट के लिए भूमि की उपलब्धता पहले से ही सुनिश्चित होने, अनापत्तियां लेने तथा ऑनलाइन टेंडर की प्रक्रिया को सुगम बनाने जैसे कई नीतिगत बदलाव किए गए। इनका नतीजा यह रहा कि वहां सौर ऊर्जा के 4 से 5 हजार मेगावाट के नए प्रोजेक्टों के लिए कम दरों पर बोली प्राप्त करने में सफलता मिलने की उम्मीद है।