राजस्थान यूनिवर्सिटी : बीच में ही रुकी सिंडिकेट बैठक, छुट्टी पर रजिस्ट्रार, प्रोफेसर्स और संविदाकर्मियों का जमकर प्रदर्शन
राजस्थान यूनिवर्सिटी में सिंडिकेट की बैठक को लेकर आज इतना हंगामा हो गया कि बैठक बीच में ही रोक दी गई। वजह यह थी कि रजिस्ट्रार नीलिमा तक्षक 10 दिन की लंबी छुट्टी पर चल रही हैं। ऐसे में उनकी गैरमौजूदगी में रजिस्ट्रार का कार्यभार वित्तीय सलाहकार को दिया गया। लेकिन सलाहकार ने मीटिंग की तैयारी न होने से बैठक के लिए ही मना कर दिया। जिस पर सिंडिकेट सदस्यों ने भारी नाराजगी जताई। वे चलती बैठक से उठकर चले गए। विधायक अमीन कागजी और गोपाल मीणा भी आक्रोशित नजर आए।
यूजीसी के प्रावधानों को छोड़कर मनमाना तरीका अपना रहा प्रशासन
सिंडिकेट सदस्यों ने मीडिया से बातचीत में कहा कि जब पहले से ही सिंडिकेट सदस्यों की मीटिंग तय थी तो कुलपति ने ऐन वक्त पर रजिस्ट्रार को अपने कक्ष में बुलाकर किसी महिला स्टाफ की दगैरमौजूदगी में बैठक के मिनट्स में फेरबदल करा लिया और उन्हें छुट्टी पर भेज दिया। विश्वविद्यालय यूजीसी के प्रवाधानों को छोड़कर मनमाना तरीका अपना रहा है। पिछली सिंडिकेट बैठक में यह तय हो चुका था कि उसके बाद भी रजिस्ट्रार से कुलपति ने बैठक के मिन्ट्स में फेरबदल किया और पहले से हो चुके निर्णय को पलट दिया।
खतरे में प्रोफेसर्स की वरिष्ठता
बता दें कि इस बैठक का जमकर विरोध हो रहा है। जानकारी के मुताबिक जब FO यानी वित्तीय सलाहकार ने मीटिंग के लिए मना कर दिया तो सिंडिकेट के 4 सदस्य बैठक छोड़कर चले गए। सिंडिकेट बैठक का विरोध में संविदाकर्मी और तमाम शिक्षक बैठे हैं। उन्होंने ठेका प्रथा बंद करो…की जमकर नारेबाजी की।
शिक्षक संघ के अध्यक्ष ने बताया कि हमारी वरिष्ठता खतरे में हैं। क्योंकि उसका आधार मेरिट को हटा कर डेट ऑफ ज्वाइनिंग को बता दिया है। लेकिन आज से 10 साल पहले जब हमारी भर्ती हुई थी तब इसका आधार मेरिट को बनाया गया था। ऐसे में हमारी वरिष्ठता दांव पर लगी हुई हैं। जिसके विरोध में आज शिक्षक यहां आए हुए हैं और इस सिंडिकेट बैठक का विरोध कर रहे हैं।
कुलपति सचिवालय के बाहर जमकर प्रदर्शन
इधर कुलपति सचिवालय के बाहर प्रोफेसर और संविदाकर्मी जमकर प्रदर्शन कर रहे हैं। संविदा पर कार्यरत कर्मचारी कुलपति और विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं और प्रशासन से अपनी मांगों को मानने के लिए कह रहे हैं। प्रोफेसर्स का कहना है कि विश्वविद्यालय प्रशासन सारे कार्य अपनी मनमानी से कर रहा है। अगर शिक्षकों और प्रोफेसर्स की बात नहीं मानी गई तो वे इस सिंडिकेट बैठक को नहीं होने देंगे।
( इनपुट- श्रवण भाटी)