राजस्थान में आज भी 2 घंटे बंद रहेंगे 6,700 पेट्रोल पंप, मांगे नहीं मानी तो 2 अक्टूबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल
Rajasthan Petrol Pumps Strike : जयपुर। राजस्थान पेट्रोलियम डीलर्स ने फिर से अनिश्चितकालीन हड़ताल की चेतावनी दी है। गुरुवार की तरह ही आज भी प्रदेशभर में दो घंटे पेट्रोल पंप बंद रहेंगे। इससे पहले गुरुवार को रात 8 से 10 बजे तक राजधानी जयपुर समेत प्रदेश के 6700 पेट्रोल पंपों पर लाइटें और बिक्री बंद करके विरोध जताया था। साथ ही दिन में जगह-जगह ज्ञापन भी दिए गए थे।
डीलर्स का कहना है कि आज भी रात 8 से 10 बजे तक प्रदेश के 6700 पेट्रोल पंप बंद रहेंगे। यदि राजस्थान सरकार हमारी मांगों पर सुनवाई नहीं करती है तो 1 अक्टूबर से सुबह 6 से शाम 6 बजे तक सांकेतिक हड़ताल करेंगे। हड़ताल के बाद भी हमारी मांगों पर कोई संज्ञान नहीं लिया गया तो 2 अक्टूबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाएंगे।
डीलर्स का कहना है कि वर्तमान में वैट की वजह से 270 पेट्रोल पंप बंद हो गए हैं। दो हजार पंप बंद होने की कगार पर ही है। राज्य सरकार की ओर से 30 सितंबर को ऑयल मार्केटिंग कंपनियों के साथ और 3 अक्टूबर को राजस्थान पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन के साथ बैठक की जाएगी। ऑयल कंपनियों के प्रतिनिधियों, राजस्थान पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन व संबंधित समस्त हितधारकों के साथ चर्चा करने के उपरांत 10 दिवस में रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी।
कमेटी को 10 दिन में देनी थी रिपो
सरकार और पेट्रोल डीलर्स एसोसिएशन के बीच 15 सितंबर को वार्ता हुई जो सफल रही। इसके बाद एसोसिएशन की ओर से हड़ताल खत्म कर दी गई। एसोसिएशन की मांगों को लेकर सरकार की ओर से कमेटी का गठन किया गया, जो दस दिन में सरकार को एक रिपोर्ट सौंपने वाली थी। इधर, हड़ताल को लेकर आमजन का कहना था कि सरकार और डीलर्स की वजह से उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ा है।
इनका कहना है…
पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन के संदीप भगेरिया ने कहा कि सरकार के साथ वार्ता हुई थी, जिसमें हमारी मांगों को मानने का आश्वासन दिया गया था, मगर सरकार की ओर से कोई उचित प्रतिक्रिया नहीं आने के कारण हमारे पास वापस से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने के अलावा कोई रास्ता नहीं है। हमारी प्रमुख मांग है कि वैट को घटाया जाए।
वहीं, पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन के राजेंद्र सिंह भाटी ने बताया कि सरकार जब सुन ही नहीं रही तो हमारे पास वापस से हड़ताल ही एक विकल्प है। सरकार ने कमेटी जरूर बनाई थी, मगर उसकी एक भी बैठक नहीं हुई। इसी का नतीजा है कि दस दिन के आश्वासन के बाद भी हमारी मांगों पर कोई सहमति नहीं बन पाई।