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राजस्थान: भाईचारे और सद्भाव का संदेश देने की तैयारी, 15 सितंबर को बूंदी में निकलेगी शौर्य जागरण यात्रा

राजस्थान में विधान सभा चुनावों का बिगुल बज चुका है। सभी राजनीतिक दलों ने चुनावी बिसात बिछानी शुरू कर दी है। रैलियो, सभाओं और तमाम तरह के जनसंपर्क कार्यक्रम जारी हैं।
10:08 PM Sep 13, 2023 IST | Kunal Bhatnagar
राजस्थान  भाईचारे और सद्भाव का संदेश देने की तैयारी  15 सितंबर को बूंदी में निकलेगी शौर्य जागरण यात्रा

Bundi News: राजस्थान में विधान सभा चुनावों का बिगुल बज चुका है। सभी राजनीतिक दलों ने चुनावी बिसात बिछानी शुरू कर दी है। रैलियो, सभाओं और तमाम तरह के जनसंपर्क कार्यक्रम जारी हैं। ऐसे में राजस्थान के बूंदी में भी आगामी 15 सितम्बर को शौर्य जागरण यात्रा निकाली जानी है.

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विश्व हिन्दू परिषद के नेता अक्षय हाड़ा ने जानकारी देते हुए बताया कि समाजिक भाईचारे और आपसी सद्भाव का संदेश देने के लिए यह यात्रा निकाली जाएगी। जी- 20 के सफल आयोजन से देश की प्रतिष्ठा बढ़ी है और हम उसी को उत्साहपूर्वक व्यक्त करना चाहते हैं।

बारां-कोटा तक जाएगा बड़ा संदेश!

बता दें बीते वर्ष एक धर्मगुरु द्वारा पांच जून 2022 को बूंदी में विवादित बयान दिए जाने के बाद तनाव की स्थिति पैदा हो गई थी। उस समय भी अक्षय हाड़ा 'शांति यात्रा' निकालकर चर्चा में आये थे। बूंदी के चौथ माता जी  मंदिर में 110 मीटर लम्बी चुंदडी बूंदी का भ्रमण कर चढ़ाई गई थी।

इसमें महिलाओं, पुरुषों और बच्चों ने भाग लिया था। बकौल अक्षय, "अब एक बार फिर से बूंदी में शौर्य जागरण यात्रा निकाल कर शांति का सन्देश देने की तैयारी है. यहां से बारां और कोटा तक एक बड़ा संदेश देने की तैयारी है।

बूंदी का ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व

बता दें कि बूंदी का ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व भी रहा है। बूंदी अरावली पर्वत श्रंखलाओं के मध्य हाड़ौती अंचल में स्थित राजस्थान का एक शहर है। ऐसी मान्यता है कि राजा राव देवा हाड़ा ने पुराने शहर को समाप्त कर बूंदी की स्थापना की थी।

राजा देवा के उपरान्त राजा बरसिंह ने 1354 में पहाड़ी पर तारागढ़ नामक दुर्ग का निर्माण करवाया। साथ ही, दुर्ग में महल और कुंड-बावड़ियों का भी निर्माण हुआ। 14वीं से 17वीं शताब्दी के मध्य तलहटी पर एक भव्य महल का निर्माण हुआ।

विशेष चित्रकला शैली के लिए मशहूर है बूंदी

सन् 1620 में महल में प्रवेश के लिए एक भव्य पोल (दरवाज़ा) का निर्माण कराया गया, जिसे दो हाथी की प्रतिमूर्तियों से सजाया गया था, जिसे आज भी 'हाथीपोल' कहते हैं। राजमहल में अनेक महल, दिवान-ए-आम, और दिवान-ए-खास भी बनवाए गए। बूंदी को उसकी विशेष चित्रकला शैली के लिए भी जाना जाता है।

इसे महाराव राजा 'श्रीजी' उम्मेद सिंह ने बनवाया था, जो अपनी दुर्लभ चित्रशैली के लिए विश्वभर में मशहूर हैं। बूंदी के विषयों में शिकार, सवारी, रामलीला, विचरण करते हुए हाथी, शेर, हिरण, गगनचारी पक्षी, पेड़ों पर फुदकते शाखामृग, आदि शामिल हैं।

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