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'जनभावनाओं के साथ हो रहा खिलवाड़' राजेंद्र राठौड़ बोले- नए जिले बन गए सरकार के गले की फांस

राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि सरकार के नए जिलों की घोषणा अब उनके ही गले की फांस बन गई है.
05:52 PM Jun 26, 2023 IST | Avdhesh
नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़

जयपुर: राजस्थान में नए जिलों को लेकर अभी तक घमासान बना हुआ है जहां फुलेरा-सांभर की जनता दूदू जिले में नहीं जाने की मांग पर सड़कों पर उतर आई. वहीं सोमवार को सीएम ने मामले के समाधान के लिए जयपुर के विधायकों के साथ बैठक की और जयपुर देहात के नाम से एक और नया जिला बनाने को लेकर चर्चा की गई. अब इस मामले पर राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने गहलोत सरकार पर हमला बोलते हुए मुख्यमंत्री के 19 नए जिलों के ऐलान को सत्ता में वापस लौटने का पैंतरा बताया है.

राठौड़ ने कहा कि सीएम द्वारा 17 मार्च 2023 को सदन में राजस्थान विनियोग (संख्या 2) विधेयक, 2023 और राजस्थान वित्त विधेयक 2023 पर चर्चा के दौरान रामलुभाया कमेटी की रिपोर्ट के आए बिना प्रदेश में 19 जिलों के गठन और 3 संभाग की घोषणा की गई जो अब सरकार के गले की ही फांस बन गई है.

उन्होंने कहा कि नए जिलों को लेकर प्रदेश में लगातार आंदोलन चल रहे हैं और अब हिंसक हो गए हैं लेकिन कांग्रेस सरकार चुनाव के चलते जनभावनाओं के साथ खिलवाड़ कर रही है. राठौड़ ने कहा कि सांभर-फुलेरा को जिला बनाने की मांग को लेकर हजारों लोग आंदोलनरत है जिन पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले दागे जिसमें 24 लोग घायल हो गए हैं.

वहीं सुजानगढ़, भीनमाल, सूरतगढ़, भिवाड़ी, लाडनूं, देवली व अनूपगढ़ को अलग जिला बनाने तथा घोषित जिलों डीडवाना-कुचामन, बहरोड-कोटपूतली में जिला मुख्यालयों के चयन और जयपुर व जोधपुर को एक जिले से दो भागों में बांटने को लेकर जगह-जगह आंदोलन चल रहे हैं.

3 महीने से नहीं आया नोटिफिकेशन

राठौड़ ने कहा कि राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम 1956 की धारा-16 के तहत जनता से राय एवं सुझाव लेकर ही नोटिफिकेशन जारी कर नए जिलों का गठन किया जा सकत है और नए जिलों की घोषणा को 3 महीने से अधिक समय बीत चुका है और 1 अप्रैल 2023 को विधिवत रूप से नये जिले अस्तित्व में आ जाने चाहिए थे लेकिन अभी तक सरकार ने कलेक्टर की बजाय महज विशेषाधिकारी लगाये हैं.

उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य है कि कांग्रेस सरकार ने नये जिलों के लिए ना तो अभी तक कोई नोटिफिकेशन जारी किया है और ना ही जनता से कोई राय/सुझाव/आपत्तियां मांगी हैं. वहीं जिलों के गठन की घोषणा के बाद से ही घोषित जिलों में आपाधापी में भू-माफिया गैंग सक्रिय हो गई है जिससे अराजकता का वातावरण बन रहा है.

राठौड़ ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने आनन-फानन में रामलुभाया कमेटी की रिपोर्ट के इंतजार के बिना व बिना कोई विधिक प्रक्रिया अपनाएं और बिना किसी प्रशासनिक सुदृढ़ता के नये जिलों/संभागों की घोषणा करके महज राजनीतिक उद्देश्यों की पूर्ति मात्र करने का ढोंग किया है.

नए जिलों पर असमंजस की स्थिति बरकरार

राठौड़ ने कहा कि प्रदेश में 19 जिलों व 3 संभागों के लिए गठन के लिए सरकार ने महज 2 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया है जबकि इतने बजट की आवश्यकता तो अकेले एक नए जिले को होगी और सरकार के कार्यकाल में चुनाव आचार संहिता लगने में महज 3 महीने बचे हैं और सरकार द्वारा नियुक्त ओएसडी सीमांकन के कार्य से कोसों दूर है क्योंकि अभी तक उन्हें स्वयं के कार्यालय ढूंढने में ही मशक्कत करनी पड़ रही है.

उन्होंने कहाकि सरकार ने जिन जिलों की घोषणा की थी, उसमें जयपुर एवं जोधपुर को दो अलग अलग जिलों में बांटने को लेकर अभी भी असमंजस की स्थिति बरकरार है. इसी प्रकार कुचामन व डीडवाना जिला की दूरी महज 45 किमी है. कोटपूतली-बहरोड में से जिला हेडक्वार्टर कौनसा रहेगा, इसको लेकर भी असमंजस की स्थिति है. राठौड़ ने आरोप लगाया कि सरकार ने बिना किसी कमेटी की रिपोर्ट के, बिना जन सुझाव मांगें सिर्फ राजनीतिक हितों की पूर्ति के लिए नए जिलों की घोषणा दर घोषणा कर डाली जो न्यायसंगत नहीं है.

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