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भरतपुर में जाट आंदोलन शुरू, आरक्षण को लेकर लोगों रेलवे स्टेशन के पास डाला डेरा, पुलिस ने मोर्चा संभाला

01:37 PM Jan 17, 2024 IST | Sanjay Raiswal
भरतपुर में जाट आंदोलन शुरू  आरक्षण को लेकर लोगों रेलवे स्टेशन के पास डाला डेरा  पुलिस ने मोर्चा संभाला

भरतपुर। राजस्थान में एक बार फिर आरक्षण को लेकर आंदोलन शुरू हो गया है। केंद्र में ओबीसी आरक्षण देने की मांग को लेकर आज राजस्थान के भरतपुर-धौलपुर जिलों के जाट समाज ने महापड़ाव शुरू कर दिया है। जाट समाज के लोगों ने भरतपुर के उच्चैन तहसील के गांव जयचौली रेलवे स्टेशन के पास टैंट गाड़ कर बैठ गए हैं। जाट समाज के लोगों का इस महापड़ाव पर आना शुरू हो गया है। आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक नेम सिंह फौजदार महापड़ाव पर मौजूद हैं। संघर्ष समिति के संरक्षक पूर्व मंत्री विश्वेंद्र सिंह भी महापड़ाव स्थल पर आ सकते हैं।

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आरक्षण संघर्ष समिति के पदाधिकारी ने ऐलान किया है कि आंदोलन गांधीवादी तरीके से किया जाएगा, लेकिन सरकार ने इसे गंभीरता से नहीं इस बार जाट समाज आर-पार की लड़ाई लड़ेगा।

आरक्षण की मांग को लेकर जाट समाज ने जयचौली गांव के सरकारी स्कूल के पास महापड़ाव डाला है। यहां से जयचौली का रेलवे स्टेशन 500 मीटर की दूरी पर है। महापड़ाव में अभी समाज के लोगों का आना जारी है। आंदोलन की चेतावनी को देखते हुए मंगलवार को आईजी रुपिंदर सिंह, कलेक्टर लोक बंधु और पुलिस अधीक्षक मृदुल कच्छावा ने जयचौली पहुंचकर व्यवस्थाओं का जायजा लिया। जिसके बाद गांव में काफी पुलिस की व्यवस्था चाक चौबंद है। गांव में जगह-जगह पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं।

10 दिन पहले किया था महापड़ाव का ऐलान…

भरतपुर-धौलपुर जाट आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक नेम सिंह फौजदार ने केंद्र सरकार को 10 दिन का समय दिया। नेम सिंह फौजदार ने 7 जनवरी को हुंकार सभा में कहा था की, भरतपुर-धौलपुर के जाटों को आरक्षण नहीं दिया तो 17 जनवरी को जयचोली (भरतपुर) गांव के पास दिल्ली-मुंबई रेलवे ट्रैक पर महापड़ाव डाला जाएगा। अगर सरकार नहीं मानी तो दूसरा पड़ाव बेडम गांव (भरतपुर) और तीसरा रारह (भरतपुर) में होगा। दूसरे और तीसरे पड़ाव की तारीख अभी तय नहीं है। पहले रेल रोकेंगे। इसके बाद रोड जाम करेंगे।

जाट नेता बोले, इस बार पीछे नहीं हटेंगे…

नेम सिंह ने कहा कि इसके लिए गांव-गांव जाकर लोगों को संगठित किया है। यह हमारे बच्चों के भविष्य की लड़ाई है। हमने टीमें गठित कर ली हैं। भोजन और अन्य जिम्मेदारियां टीमों को सौंप दी गई हैं। आंदोलन का मुख्य उद्देश्य है, अभी नहीं तो कभी नहीं। इस बार हम तब पीछे हटेंगे, जब आरक्षण मिल जाएगा। उन्होंने कहा कि डबल इंजन की सरकार ज्यादातर राज्यों में है, लेकिन हमारे लिए भरतपुर में ट्रिपल इंजन की सरकार है। नेम सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री भी हमारे जिले से हैं। हम उम्मीद रखते हैं कि वो केंद्रीय नेतृत्व से वार्ता कर इस समस्या का समाधान कराए।

2015 में केंद्र से खत्म किया था आरक्षण…

गौरतलब है कि भरतपुर और धौलपुर जिले के जाटों को केंद्र में आरक्षण दिए जाने की मांग 1998 से चली आ रही है। साल 2013 में केंद्र की मनमोहन सरकार ने भरतपुर और धौलपुर जिलों के साथ अन्य 9 राज्यों के जाटों को केंद्र में ओबीसी का आरक्षण दिया था, लेकिन साल 2014 में केंद्र में भाजपा की सरकार बनी तो सुप्रीम कोर्ट का सहारा लेकर 10 अगस्त 2015 को भरतपुर- धौलपुर के जाटों का केंद्र और राज्य में ओबीसी आरक्षण खत्म कर दिया गया। अब फिर से दोनों जिलों के जाटों को केंद्र में आरक्षण की मांग उठी है।

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