सरकारी डॉक्टर को चुनाव लड़ने की मिली इजाजत, हाईकोर्ट ने कहा- हार जाओ तो ड्यूटी पर फिर आ जाना!
जोधपुर/डुंगरपुर। राजस्थान में विधानसभा चुनाव में कुछ ही दिन बाकी है। इस बीच डूंगरपुर विधानसभा सीट से एक सरकारी डॉक्टर चुनाव लड़ रहे है। राजस्थान हाईकोर्ट ने एक सरकारी डॉक्टर को चुनाव लड़ने की अनुमति दी है। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, कोर्ट ने सरकारी डॉक्टर से कहा- चुनाव हार जाओ तो फिर से ड्यूटी जॉइन कर सकते हैं।
बता दें कि डॉ. दीपक घोघरा (43) भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) के टिकट पर डूंगरपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। वे बीटीपी के प्रदेशाध्यक्ष वेलाराम घोघरा के बेटे हैं।
डॉ. दीपक घोघरा ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। 20 अक्टूबर को हाईकोर्ट के जस्टिस पुष्पेंद्र सिंह भाटी ने आदेश दिया था कि याचिकाकर्ता को विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए मेडिकल ऑफिसर के पद से रिलीव कर दिया जाए। यह भी ध्यान रखें कि यदि वे चुनाव हार जाते हैं तो उन्हें फिर से मेडिकल ऑफिसर के पद पर जॉइन करने की अनुमति भी दी जाए।
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राजनीति में पढ़े लिखे लोगों का आना बहुत जरूरी…
डूंगरपुर से चुनाव लड़ रहे दीपक घोघरा ने पीटीआई से कहा- हाईकोर्ट का यह एक ऐतिहासिक आदेश है। मैं 10 साल से डूंगरपुर में कार्यरत हूं। स्थानीय लोग मुझे बहुत अच्छे से पहचानते हैं। पढ़े-लिखे लोगों का राजनीति में आना बहुत जरूरी है। जब मैंने राजनीति में आने का फैसला किया तो लोगों ने इसका स्वागत किया। यहां लोगों से मेरा व्यक्तिगत कनेक्शन है। इसलिए मुझे पूरा विश्वास है कि मैं इस सीट पर जीत दर्ज करूंगा। डॉ. दीपक डूंगरपुर सीट पर भाजपा के बंसीलाल कटारा और कांग्रेस के गणेश घोघरा के खिलाफ मैदान में उतरे हैं। गणेश घोघरा इस सीट से सिटिंग एमएलए हैं।
बता दें कि देश में अब तक आम धारणा यह है कि यदि कोई सरकारी कर्मचारी को चुनाव लड़ना है तो उसे नौकरी से छोड़नी होगी या वीआरएस लेना होगा। इसके बाद ही वो चुनाव लड़ सकता है। चुनाव जीतने या हारने के बाद वो दोबारा नौकरी नहीं कर सकता है। ऐसे में डॉ. दीपक घोघरा का संभवत: प्रदेश में यह पहला मामला है।
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