Rajasthan Elections : अगर आपका वोट चोरी हो जाए तो कैसे करें हासिल, जानें वोटिंग डे से पहले इन सवालों के जवाब
जयपुर। राजस्थान में कल यानी 25 नवंबर को विधानसभा चुनाव है। राजस्थान की कुल 200 विधानसभा सीटों में से 199 पर मतदान होगा। 2023 के विधानसभा चुनाव में 199 सीटों के लिए 1862 उम्मीदवार किस्मत आजमा रहे हैं। राजस्थान में इस बार 5.26 करोड़ से ज्यादा मतदाता सरकार का चुनाव करेंगे।
विधानसभा चुनाव में इस बार युवा ही सरकार बनाएंगे। क्योंकि इस बार युवा वोटर्स करीब 2.73 करोड़ हैं। वहीं इस बार 22 लाख 71 हजार 647 नव मतदाता इस चुनाव में पहली बार मताधिकार का प्रयोग करेंगे। ऐसे में कई वोटर्स के मन में सवाल है कि पोलिंग बूथ में क्या-क्या होता है। जिनका वोटर आईडी गुम हो गया है, उनके पास चुनाव देने के लिए क्या-क्या विकल्प है। वहीं अगर आप वोट डालने पहुंचे और पता चले कि आपका वोट पहले ही किसी ने डाल दिया है तो क्या करें? ऐसे में हम आपको वोटिंग डे से पहले कई जरूरी सवालों के जवाब बताएंगे, जिनके बारे में बहुत कम लोग जानते होंगे।
मैं वोट डाल सकता हूं या नहीं? ऐसे करें जांच…
आप वोट तभी दे सकते हैं, जब आपका नाम वोटर लिस्ट में हो। अगर आप पहली बार मताधिकार का प्रयोग कर रहे है तो आपके मन सवाला होगा कि आखिर मैं वोट डाल सकता हूं या नहीं? अगर हां, तो मेरा बूथ कौन सा है? सबसे पहले आप वेबसाइट electoralsearch.in पर लॉग इन करें। यहां EPIC यानी वोटर आईडी नंबर और मोबाइल नंबर डालकर अपना वोटर लिस्ट में नाम और पोलिंग बूथ जान सकते हैं। फोन पर एसटी कोड के साथ वोटर हेल्पलाइन 1950 पर कॉल करें। यहां मांगी गई जानकारी दें। आपको वोटर लिस्ट और बूथ की जानकारी मिल जाएगी। इसके बाद दूसरा ऑप्शन SMS भी है। सबसे पहले आप अपने मोबाइल फोन के एसएमएस बॉक्स पर जाएं। इसके बाद स्पेस टाइप करें और 1950 पर मैसेज भेजें। EPIC मतलब इलेक्टर्स फोटो आइडेंटिटी कार्ड है, मतलब आपका वोटर आईडी नंबर।
वहीं मोबाइल ऐप वोटर हेल्पलाइन ऐप्लिकेशन डाउनलोड करें। ये एक मल्टीपरपज ऐप है। इसमें आप वोटर लिस्ट में नाम, रजिस्ट्रेशन, नतीजे, उम्मीदवारों की जानकारी, इलेक्शन प्रोग्राम, शिकायत और वोटिंग मशीन के बारे में सब कुछ जान सकते हैं।
क्या पर्सनल कार या बाइक से डालने जा सकते हैं वोट?
अगर आप पर्सनल कार या बाइक से वोट डालने जाना चाहते है तो आप जा सकते है। लेकिन, आपको ये ख्याल रखना है कि एक साथ 4 से ज्यादा लोग न हों। क्योंकि निषेधाज्ञा के चलते 4 से ज्यादा लोगों के इकट्ठे रहने पर रोक होती है। बूथ के 100 या 200 मीटर के दायरे में बैरिकेडिंग होती है। उसके अंदर वाहन ले जाने की मनाही होती है।
कैसे पता चलेगा कि मेरा वोट उसी कैंडिडेट को गया…
इसके लिए भी चुनाव आयोग ने एक मशीन रखी है। इसे VVPAT कहते हैं। ये ही कन्फर्म करेगी कि आपका वोट सही पड़ा है या नहीं। वोट डालने के बाद EVM के पास में ही एक वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल यानी VVPAT मशीन दिखाई देगी। इसमें ट्रांसपेरेंट विंडो में एक पर्ची दिखाई देगी। सीलबंद VVPAT बॉक्स में गिरने से पहले, कैंडिडेट के सीरियल नंबर, नाम और चुनाव चिह्न वाली पर्ची सात सेकेंड तक दिखाई देगी। इस पर्ची में उसी उम्मीदवार की जानकारी होगी जिसे आपने वोट दिया है। इसके बाद ये पर्ची सात सेकेंड बाद अपने आप बॉक्स में गिर जाएगी। ये पर्ची आपको दिखाई देगी, लेकिन आपको दी नहीं जाएगी।
आपने जिसे वोट दिया और VVPAT ने किसी और की दिखाई पर्ची…
अगर आपने जिसे वोट दिया और VVPAT ने किसी और की पर्ची दिखाई तो वोटर लिखित में शिकायत दर्ज कराएगा। इसके बाद पीठासीन अधिकारी एक टेस्ट वोट करेगा। यदि वोटर का दावा सही पाया जाता है तो वोटिंग रोक दी जाएगी और रिटर्निंग ऑफिसर को सूचना देगा। इसके बाद रिटर्निंग ऑफिसर जो कहेगा, उस आदेश का पालन करेगा। यदि वोटर का दावा गलत पाया जाता है तो उसके खिलाफ जांच के बाद कार्रवाई होगी।
वोटिंग के लिए कौन सा आईडी कार्ड वैलिड होगा…
वोट करने के लिए आप कोई भी सत्यापित ID कार्ड ले जा सकते हैं। ध्यान रखें कि कैंडिडेट या उसके एजेंट आपकी फोटो वाली पर्ची देते हैं। उसे पहचान के दस्तावेज के रूप में स्वीकार नहीं किया जाता है। नीचे जो दस्तावेज हैं, उनमें से कोई भी ले जा सकते हैं।
वोटिंग के लिए इनमें से कोई एक दस्तावेज होना चाहिए। इनमें वोटर आईडी कार्ड, आधार कार्ड, पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, केंद्र या राज्य सरकार का जारी फोटो पहचान पत्र, बैंक या डाकघर की पासबुक, पैन कार्ड, एनपीआर के तहत भारत के रजिस्ट्रार जनरल की ओर से जारी स्मार्ट कार्ड, मनरेगा जॉब कार्ड, श्रम मंत्रालय का स्वास्थ्य बीमा स्मार्ट कार्ड, फोटो वाला पेंशन का दस्तावेज, सांसदों / विधायकों / एमएलसी को जारी किए आधिकारिक पहचान पत्र होना आवश्यक है।
यदि किसी ने आपका वोट पहले ही डाल दिया है तो क्या करें…
अगर हमारा वोट कोई और डाल दे, तो इसे धारा 49(पी) के तहत वोट का चोरी होना कहा जाता है। चुनाव आयोग ने साल 1961 में इस धारा को संशोधित कर शामिल किया था। इसके तहत वोट करने के असल हक़दार को दोबारा वोट करने का अधिकार दिया जा सकता है। यही वोट टेंडर वोट कहलाता है। वैसे तो इसकी आशंका बेहद कम है। लेकिन, फिर भी अगर किसी ने आपका वोट डाल दिया है और आप पीठासीन अधिकारी को दस्तावेजों से साबित कर देते हैं कि आप ही सही वोटर हैं तो आपके लिए टेंडर वोटिंग की व्यवस्था की जाएगी। आप EVM से वोट नहीं कर सकते। आपको एक बैलेट यानी पेपर दिया जाएगा जिस पर सारे उम्मीदवारों के चिह्न और नाम होंगे।
आप अपने पसंद का उम्मीदवार चुनकर लिफाफे रखकर उसे देंगे। पीठासीन अधिकारी उसे रख लेंगे। इसमें बाकी सारी प्रक्रिया वैसी ही होगी, जैसे EVM के समय होती, मसलन नाम चेक करना, अमिट स्याही लगाना।
पोलिंग बूथ पर गड़बड़ी पर कहां करें शिकायत…
अगर पोलिंग बूथ पर आपको कोई एक्टिविटी नियमों के खिलाफ दिखती है तो आप इसकी सूचना पीठासीन अधिकारी, निर्वाचन आयोग की हेल्पलाइन नंबर 1950 पर कर सकते हैं, लेकिन यहां आपको पहचान बतानी पड़ सकती है। अगर आप अपनी पहचान छिपाना चाहते हैं और तुरंत कार्रवाई चाहते हैं तो आपको सी-विजिल ऐप पर शिकायत करनी होगी। आप मौके से 20 मीटर की दूरी से इस ऐप के जरिए फोटो या वीडियो लेकर शिकायत कर सकते हैं। इलेक्शन कमीशन के वादे के अनुसार इस शिकायत पर 100 मिनट में एक्शन होगा और ये भी कन्फर्म होगा कि आपकी शिकायत पर कार्रवाई हो चुकी है।