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तारानगर और आमेर में बीजेपी को बड़ा झटका, राठौड़ और पूनिया हारे, CM की रेस में थे दोनों ही नेता

राजस्थान विधानसभा चुनाव के नतीजों में बीजेपी को पूर्ण बहुमत मिलता दिख रहा है। लेकिन, जयपुर के आमेर में और चूरू के तारानगर में बीजेपी को बड़ा झटका लगा है।
03:23 PM Dec 03, 2023 IST | Anil Prajapat
rajendra singh rathore, satish poonia

rajasthan election result 2023 : जयपुर। राजस्थान विधानसभा चुनाव के नतीजों में बीजेपी को पूर्ण बहुमत मिलता दिख रहा है। लेकिन, जयपुर के आमेर में और चूरू के तारानगर में बीजेपी को बड़ा झटका लगा है। इन दोनों ही सीटों पर बीजेपी के दो दिग्गज नेताओं को हार का सामना करना पड़ा है। तारानगर में नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ और आमेर में सतीश पूनिया की हार हुई है। खास बात ये है कि ये दोनों ही नेता सीएम की रेस में थे।

शुरूआती रूझान में जयपुर जिले की आमेर विधानसभा सीट पर कांग्रेस के प्रशांत शर्मा और बीजेपी के सतीश पूनिया के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिल रही थी। लेकिन, जैसे-जैसे वोटों की गणना आगे बढ़ी पूनिया पिछड़ते चले और कांग्रेस के प्रशांत शर्मा विजयी हुए। वहीं, चूरू जिले की तारानगर सीट से कांग्रेस उम्मीदवार नरेंद्र बुड़ानिया ने जीत हासिल की और बीजेपी के दिग्गज नेता राजेंद्र सिंह राठौड़ चुनाव हार गए।

कौन है राजेंद्र राठौड़?

प्रदेश के सबसे दिग्गज नेताओं में शुमार नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ लगातार सात बार विधायक चुने गए थे। लेकिन, 8वां चुनाव हार गए है। वे मुख्यमंत्री पद की दौड़ में थे। वे राजे सरकार में मंत्री रहे थे। उन्होंने पहला चुनाव साल 1980 में जनता दल के टिकट पर तारानगर सीट से लड़ा था, लेकिन हार गए। दूसरे चुनाव में भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। साल 1990 में तीसरी बार जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़कर वो विधायक बने थे। इसके बाद राठौड़ ने 6 बार चूरू विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और हर बार जीत दर्ज की। हालांकि, अब हार का सामना करना पड़ा है।

कौन हैं सतीश पूनिया?

सतीश पूनिया ने पहली बार साल 2000 में सादुलपुर से उपचुनाव लड़ा था और हार गए थे। फिर 13 साल बाद उन्होंने आमेर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन जीत नहीं पाए। सतीश पूनिया साल 2018 के विधानसभा चुनाव में पहली बार आमेर विधानसभा सीट से चुनाव जीतकर विधायक बने थे। विधायक बनने के 82 दिनों के बाद उन्हें पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष का भारी-भरकम पद दिया गया था। हालांकि, इसी साल 8 मार्च को वसुंधरा राजे के बर्थडे के दिन पूनिया ने जयपुर में प्रदर्शन का ऐलान करते हुए विधायकों को हाजिर होने के आदेश दिया था। लेकिन, कुछ दिनों बाद ही बीजेपी नेतृत्व ने उन्हें प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटा दिया था। पूनिया 1989 में राजस्थान विश्वविद्यालय में छात्रसंघ महासचिव रह चुके है। RSS बैकग्राउंड होने के चलते पूनिया पूनिया 4 बार भाजपा के प्रदेश महामंत्री रह चुके हैं। वे लगातार 14 साल तक वे इस पद पर रहे हैं।

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