Rajasthan Election : लाडपुरा सीट पर रोचक हुआ मुकाबला, नहीं माने BJP के बागी भवानी सिंह राजावत
Rajasthan Election : कोटा जिले की 17 विधानसभा सीटों में से अधिकांश पर कांग्रेस और बीजेपी में सीधा मुकाबला है। नाम वापसी को लेकर कांग्रेस और बीजेपी ने अपने अधिकांश बागियों को मना लिया है। हालांकि कोटा जिले की लाडपुरा विधानसभा पर बीजेपी अपने पूर्व संसदीय सचिव और तीन बार विधायक रह चुके भवानी सिंह राजावत (Bhawani Singh Rajawat) को मनाने में नाकाम रही, जिसके चलते उन्होंने अपना नाम वापस नहीं लिया। भवानी सिंह राजावत लाडपुरा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे।
भवानी सिंह राजावत लाडपुरा से तीन बार विधायक रह चुके हैं। साल 2018 में उनका टिकट काट कर राज परिवार से कल्पना देवी को प्रत्याशी बनाया गया था। उस समय राजस्थान में बीजेपी की सरकार थी और वह विधायक थे।
टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर नामांकन दाखिल किया था, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के समझाने पर वह मान गए थे और चुनाव लड़ने के अपने फैसले को उन्होंने वापस ले लिया था। उस चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी को जीत हासिल हुई थी। इस बार उन्होंने बीजेपी आलाकमान की बात न मानकर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनावी मैदान में उतर पार्टी की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।
लाडपुरा सीट पर रोचक हुआ मुकाबला
दूसरी तरफ भवानी सिंह राजावत यहां से तीन बार विधायक रह चुके हैं। भवानी सिंह राजावत के चौथे टर्म में बीजेपी ने उनकी जगह पर कल्पना देवी को प्रत्याशी बनाया था। भवानी सिंह राजावत इस बार भी बीजेपी आलाकमान से टिकट की मांग कर रहे थे, लेकिन पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया। जिसके बाद उन्हें बतौर निर्दलीय उम्मीदवार नामांकन दाखिल किया है।
उम्मीद जताई जा रही थी कि वह अपना नामांकन वापस ले लेंगे, लेकिन राजावत ने ऐसा न करके सभी को चौंका दिया। उनके चुनावी मैदान में बने रहने से इस सीट पर मुकाबला रोचक हो गया है। दूसरी कांग्रेस की तरफ से टिकट के प्रबल दावेदार माने जा रहे शिवराज गुंजल ने भी नईमुद्दीन गुड्डू को प्रत्याशी बनाए जाने पर खुल कर विरोध शुरू कर दिया है। बीजेपी और कांग्रेस में नेताओं की बगावत सुर से सियासी समीकरण बदलते नजर आ रहे हैं, ये हार जीत का कारण भी बन सकते हैं।
कांग्रेस ने नहीं बदली नीति
लाडपुरा विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने एक ही परिवार को तीन बार टिकट दिया और तीनों बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इस बार माना जा रहा था कि नईमुद्दीन गुड्डू को कांग्रेस से टिकट नहीं मिलेगा, कांग्रेस यहां सेकिसी नए चेहरे को मौका देगी। हालांकि इस बार ऐसा नहीं हुआ और कांग्रेस कयासों के उलट एक ही परिवार से तीसरी बार नईमुद्दीन गुड्डू को टिकट देकर मैदान में उतारा है। इससे पहले एक बार उनकी पत्नी भी कांग्रेस के टिकट पर मैदान में उतर चुकी हैं। लेकिन तीन बार इस परिवार के उम्मीदवार को हार मिली है।
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