For the best experience, open
https://m.sachbedhadak.com
on your mobile browser.

Rajasthan: शव रखकर प्रदर्शन करने पर होगी 5 साल सजा, धरने के लिए नहीं कर सकते मृत शरीर का इस्तेमाल

राजस्थान मृतक शरीर का सम्मान बिल राजस्थान विधानसभा में पारित कर दिया गया है.
06:26 PM Jul 20, 2023 IST | Avdhesh
rajasthan  शव रखकर प्रदर्शन करने पर होगी 5 साल सजा  धरने के लिए नहीं कर सकते मृत शरीर का इस्तेमाल

जयपुर: राजस्थान में अब शव रखकर विरोध प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ सरकार एक्शन लेगी. गुरुवार को राजस्थान विधानसभा में राजस्थान सरकार ने शवों के सम्मान वाला एक बिल लेकर आई जिसे विधानसभा में बहस के बाद पारित कर दिया गया. इस बिल शव के साथ विरोध प्रदर्शन करने और समय पर अंतिम संस्कार नहीं करने पर सजा और जुर्माने के कई प्रावधान किए गए हैं.

Advertisement

वहीं राजस्थान मृतक शरीर का सम्मान बिल के मुताबिक परिजन को मृतक का समय पर अंतिम संस्कार करना होगा. वहीं बिल पर बहस के दौरान बीजेपी ने इसकी तुलना आपातकाल के मीसा कानून से की. बिल के मुताबिक अगर कोई नेता या गैर परिजन किसी शव का इस्तेमाल विरोध प्रदर्शन के लिए करेगा तो उसे 5 साल तक सजा का प्रावधान रखा गया है.

बिल पर बहस के दौरान संसदीय कार्यमंत्री शांति कुमार धारीवाल ने कहा कि राजस्थान मृत शरीर का सम्मान विधेयक -2023 मृत शरीरों की गरिमा को सुनिश्चित करते हुए इनके धरना-प्रदर्शन में किए जाने वाले दुरूपयोग पर प्रभावी रोक लगाएगा. वहीं इस विधेयक से लावारिस शवों की डीएनए एवं जेनेटिक प्रोफाइलिंग कर डाटा संरक्षित भी किया जाएगा ताकि भविष्य में उनकी पहचान की जा सके.

डेड बॉडी नहीं लेने परिजनों को भी सजा

बिल में बताया गया है कि किसी शव को अगर उसके परिजन नहीं लेते हैं तो उन्हें 1 साल तक की सजा और जुर्माना देना होगा. इसके साथ ही बिल में प्रावधान किया गया है कि मृतक का उसके परिजनों को समय पर अंतिम संस्कार करना होगा. वहीं किसी भी शव का इस्तेमाल विरोध प्रदर्शन में नहीं किया जा सकेगा.

इसके अलावा किसी थानाधिकारी या अफसर को अगर यह लगता है कि शव का गलत तरीके से इस्तेमाल किया जा रहा है और परिजन या नेता विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं तो वह उस दौरान कार्रवाई कर सकता है. वहीं शव की सूचना एसडीएम को भी देनी होगी.

अब शव की बनी रहेगी गरिमा

वहीं संसदीय कार्यमंत्री ने विधानसभा में कहा कि मृत शवों को रखकर धरना-प्रदर्शन की प्रवृत्ति दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है जहां 2014 से 2018 तक इस तरह की 82 एवं 2019 से अब तक 306 घटनाएं हुई हैं ऐसे में वर्तमान में ऐसी घटनाओं पर प्रभावी रूप से रोक लगाने के लिए यह कानून लाया गया है.

.