गहलोत-पायलट सुलह की इनसाइट स्टोरी, पायलट को आलाकमान का भरोसा…जल्द मिलेगी नई जिम्मेदारी!
जयपुर: राजस्थान विधानसभा चुनावों से चंद महीने पहले कांग्रेसी खेमे से एक सुखद तस्वीर एक बार फिर सामने आई है जहां पिछले 4 सालों से चल रही अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच की सियासी तकरार खत्म होती दिखाई दे रही है. सोमवार को दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के घर दोनों नेताओं के साथ राहुल गांधी और केसी वेणुगोपाल की घंटों बैठक चली जिसके बाद आलाकमान की ओर से कहा गया कि राजस्थान में कांग्रेस एकजुट है और दोनों ही नेता मिलकर 2023 में बीजेपी के खिलाफ विधानसभा चुनाव लडेंगे. हालांकि हाईकमान की ओर से सुलह के फॉर्मूले या प्रस्ताव के बारे में जानकारी नहीं दी गई है.
वहीं दोनों ही नेताओं ने चुप्पी साधते हुए समझौते के आधार के बारे में कोई बयान नहीं दिया. बताया जा रहा है कि गहलोत-पायलट के बीच सियासी सुलह में राहुल गांधी ने अहम भूमिका निभाई है जहां बैठक में राहुल ने सचिन पायलट और उनके नेताओं को पूरे मान-सम्मान का भरोसा दिया और जल्द ही नई जिम्मेदारी का भी आश्वासन दिया गया.
बता दें कि दोनों नेताओं के बीच किस प्रस्ताव पर सुलह हुई है इस बारे में वेणुगोपाल ने कहा कि दोनों ने ही इसे आलाकमान पर छोड़ दिया है और हाईकमान जल्द ही फैसला लेगा. उन्होंने कहा कि हमने बैठक के बाद फैसला किया है कि दोनों नेता एक साथ चुनाव में जाने पर सहमत हुए हैं और यह बीजेपी के खिलाफ एक संयुक्त लड़ाई होगी और हम चुनावों में जीत हासिल करेंगे.
आलाकमान ने दिखाया गहलोत पर भरोसा
बता दें कि कांग्रेस की घंटों चली बैठक के दौरान आलाकमान की ओर से फिर एक बार साफ कर दिया गया है कि पार्टी सीएम गहलोत और उनकी योजनाओं पर चुनाव लड़ने जा रही है. मालूम हो कि इससे पहले पायलट के एक दिन के अनशन के दौरान भी दिल्ली की ओर से स्पष्ट किया गया था कि 2023 का चुनाव गहलोत की योजनाओं पर ही लड़ा जाएगा. इसके साथ ही कर्नाटक चुनावों के दौरान भी कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में गहलोत की योजनाओं को शामिल कर साफ संकेत दिए थे.
इसके साथ ही बताया जा रहा है कि राहुल गांधी ने बैठक के दौरान पायलट को पार्टी के लिए विधानसभा और लोकसभा चुनाव में काम करने के लिए कहने के साथ ही उनका और उनके समर्थक नेताओं का मान-सम्मान करने का पूरा भरोसा दिया है. इसके अलावा पायलट की 3 मांगों पर भी उचित गौर करने आश्वासन दिया गया है. बताया जा रहा है कि अब पायलट और उनके गुट के नेता किसी पार्टी विरोधी बयान से किनारा करेंगे और आने वाले दिनों में जल्द ही पायलट की नई जिम्मेदारी तय की जा सकती है.
सुलह के फॉर्मूले पर सस्पेंस बरकरार!
कांग्रेस हाईकमान की ओर से दोनों नेताओं के बीच सुलह का दावा किया गया है लेकिन सुलह का आधार क्या रहा इसके बारे में जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है. वहीं इस बैठक से पहले सीएम गहलोत ने मीडिया से बात करते हुए कहा था कि पार्टी में ऐसी कोई परंपरा नहीं है कि किसी नेता को खुश करने के लिए कोई पद की पेशकश की जाए.
उन्होंने कहा कि मैंने ऐसा पहले नहीं सुना…कांग्रेस में ऐसी कोई परंपरा नहीं है जहां कोई नेता कुछ मांगे और पार्टी आलाकमान वह पद देने की पेशकश करे, हमने इस तरह के फॉर्मूले के बारे में कभी नहीं सुना है. वहीं पार्टी हल्कों में कई दिनों से चर्चा थी कि पायलट को फिर से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाया जा सकता है लेकिन गहलोत ने इस तरह की खबरों को खारिज करते हुए कहा कि यह केवल मीडिया की देन है और हो सकता है कि कुछ नेता ऐसी खबरें प्लांट करवा रहे हो.