'बदनामी का ये प्रयास…नहीं सहेगा राजस्थान' बीजेपी के प्रदर्शन पर CM अशोक गहलोत का पलटवार
Jaipur News: राजधानी जयपुर में मंगलवार को 'नहीं सहेगा राजस्थान' अभियान के तहत बीजेपी ने एक बड़ा प्रदर्शन किया जहां राज्य बीजेपी संगठन के नेता, सांसद और विधायक कार्यकर्ताओं के साथ पार्टी ऑफिस पर सभा करने के बाद सचिवालय कूच करने निकले. हालांकि सचिवालय पहुंचने से पहले ही पुलिस और बीजेपी कार्यकर्ता स्टेच्यू सर्किल पर आमने सामने हो गए और पुलिस ने वॉटर कैनन चलाकर उन्हें वहां खदेड़ा.
अब बीजेपी के इस विरोध प्रदर्शन पर सीएम अशोक गहलोत ने तीखा हमला बोला है. गहलोत ने कहा कि राजस्थान में महिलाओं की पूरी सुनवाई होती है और पुलिस अपराध के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर रही है.
सीएम ने कहा कि सिर्फ मणिपुर एवं बीजेपी शासित राज्यों की असफलताओं से ध्यान हटाने के लिए केन्द्र व राज्य के बीजेपी नेता राजस्थान को बदनाम करने के लिए झूठे आरोप लगा रहे हैं. उन्होंने कहा कि राजस्थान ये बदनामी का प्रयास नहीं सहेगा और राजस्थानियों को गलत तरीके से बदनाम कर नीचा दिखाने के बीजेपी के कुप्रयास का प्रदेशवासी समय आने पर जवाब देंगे.
सीएम गहलोत ने गिना दिए आंकड़ें
गहलोत ने कहा कि वो सच जो बीजेपी को कड़वा लगेगा क्योंकि NCRB के आंकड़ों के मुताबिक प्रति लाख जनसंख्या पर महिलाओं के विरुद्ध अपराधों में देश में भाजपा शासित असम, केन्द्र शासित पुलिस वाला राज्य दिल्ली, हरियाणा टॉप 5 राज्यों में हैं, महिलाओं के साथ दुष्कर्म के सर्वाधिक मामले भाजपा शासित मध्य प्रदेश में हैं.
उन्होंने कहा कि हत्या, महिलाओं के विरुद्ध अपराध एवं अपहरण में भाजपा शासित उत्तर प्रदेश देश में सबसे आगे है, नाबालिगों से बलात्कार यानी पॉक्सो एक्ट के मामले में मध्य प्रदेश देश में पहले स्थान पर है जबकि राजस्थान 12वें स्थान पर है. वहीं NCRB रिपोर्ट में 2019 की तुलना में 2021 में राजस्थान में महिलाओं के विरुद्ध अपराध कम हुए हैं जबकि भाजपा शासित मध्य प्रदेश, हरियाणा, गुजरात, हिमाचल प्रदेश में अपराध बढ़े.
कुप्रयासों से ध्यान भटका रही है बीजेपी
वहीं गहलोत ने आगे कहा कि मणिपुर में महिलाओं के साथ जिस तरह की घटनाएं हुई हैं वो पूरी दुनिया ने देखी है और जोधपुर में बलात्कार के मामलों में ABVP के पदाधिकारी और कार्यकर्ता आरोपी निकले थे. गहलोत ने कहा कि राजस्थान में FIR के अनिवार्य पंजीकरण की नीति के बावजूद 2021 में 2019 की तुलना में करीब 5% अपराध कम दर्ज हुए हैं जबकि एमपी, हरियाणा, गुजरात, उत्तराखंड समेत 17 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों में अपराध अधिक दर्ज हुए हैं.