होमइंडिया
राज्य | राजस्थानमध्यप्रदेशदिल्लीउत्तराखंडउत्तरप्रदेश
मनोरंजनटेक्नोलॉजीस्पोर्ट्स
बिज़नेस | पर्सनल फाइनेंसक्रिप्टोकरेंसीबिज़नेस आईडियाशेयर मार्केट
लाइफस्टाइलहेल्थकरियरवायरलधर्मदुनियाshorts

Rajasthan Politics : प्रदेश के सियासी भूचाल के बीच मायावती हुई एक्टिव, प्रदेश बसपा की बैठक में लिए ये अहम फैसले

10:14 AM Sep 27, 2022 IST | Jyoti sharma

Rajasthan Politics : राजस्थान की राजनीति इस समय पूरे देश की राजनीति के केंद्र में है। राजस्थान कांग्रेस में मची कलह के बीच ऐसे अवसर को दूसरी पार्टियां भुनाने का कोई मौका नहीं छोड़ रही है। इसी बीच बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने राजस्थान को लेकर अहम फैसले लिए है। दरअसल बीते सोमवार की शाम को प्रदेश बसपा की पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और मायावती के भतीजे आकाश आनंद के नेतृत्व में एक बैठक हुई। जिसमें कई अहम फैसले लिए गए।

दो जोन में बांटे गए प्रदेश के जिलों की जिम्मेदारी

इस बैठक में फैसला लिया गया है कि जिसमें पार्टी को मजबूती देने के उद्देश्य से और मायावती के आदेश के मुताबिक राजस्थान को दो ज़ोन में बांटा गया है। इन जोन की जिम्मेदारियां पदाधिकारियों को बांटी गई हैं। पहले ज़ोन में 16 जिले रखे गए हैं दूसरे ज़ोन में 17 जिले रखे गए हैं। पहले ज़ोन की ज़िम्मेदारी राम गौतम और प्रदेश अध्यक्ष भगवान सिंह बाबा को दी गई है।

वहीं दूसरे ज़ोन की ज़िम्मेदारी पूर्व सांसद अशोक सिद्धार्थ और सुरेश आर्य के अलावा प्रदेश उपाध्यक्ष सीताराम मेघवाल को दी गई है। आकाश आनंद ने बनाया प्रेम बारूपाल देवी सिंह मीणा, विजय कुमार बैरवा और रामजीवन एडवोकेट को राजस्थान प्रदेश का कोऑर्डिनेटर नियुक्त किया गया है।

पार्टी से निकाले गए नेताओँ को वापस लाने का फैसला

बैठक में आकाश आनंद ने कहा कि बसपा एक पार्टी नहीं बल्कि एक परिवार है और कभी परिवार के सदस्यों से गलती हो जाए तो उसे दिल से नहीं लगाया जाता। अपनी गलती स्वीकार करने और मायावती जी से माफी मांगने के बाद पार्टी से निकाले गए सभी 12 कार्यकर्ताओं को पार्टी में वापस लेने का निर्णय लिया गया है। दूसरी तरफ बैठक में यह तय किया गया कि आने वाले विधानसभा चुनाव 2023 में हर हाल में राजस्थान में बीएसपी को बैलेंस ऑफ पावर बनाकर सरकार बनानी है। सभी जिला प्रभारी जिलाध्यक्षों से मिले आश्वासन से उम्मीद जगी है कि इस बार राजस्थान से अच्छा रिजल्ट मिलेगा।

बसपा की इस बैठक से यह तो साफ हो गया है कि आने वाले विधानसभा चुनाव में बसपा अपने पूरे दमखम के साथ भाजपा-कांग्रेस को टक्कर देने के लिए मैदान में उतरने वाली है।

यह भी पढ़ें- अध्यक्ष पद की रेस से बाहर होंगे गहलोत! ये हैं बड़े कारण

Next Article