कॉन्फिडेंट, जोश से लबरेज और हमलावर अंदाज…फिर फ्रंटफुट पर वसुंधरा राजे! शाह के दौरे से तेज अटकलें
जयपुर: राजस्थान में विधानसभा चुनावों को लेकर बीजेपी और कांग्रेस दोनों नेता जोर आजमाइश कर रहे हैं जहां सीएम अशोक गहलोत अपने काम पर सत्ता वापसी की उम्मीद कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर बीजेपी खेमे में कई नेता अपने-अपने स्तर पर जोर लगा रहे हैं. इस बीच पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की भूमिका को लेकर काफी समय से संशय बरकरार है जहां हाल में अमित शाह के उदयपुर दौरे के बाद अटकलबाजी तेज हो गई है. दरअसल शाह ने खुद से पहले राजे का भाषण करवाया और मंच पर काफी तवज्जो दी जिसके बाद माना जा रहा है कि शाह ने चुनावों से पहले बीजेपी नेताओं को संदेश देने की कोशिश की है.
वहीं शाह ने वसुंधरा सरकार की भी जमकर तारीफ की. ऐसे में अब वसुंधरा राजे के सियासी भविष्य को लेकर कई तरह की चर्चाएं फिर शुरू हो गई है. हालांकि बीजेपी आलाकमान की ओर से अभी तक राजे की भूमिका को लेकर सस्पेंस दूर नहीं किया गया है.
वसुंधरा राजे को लेकर तेज अटकलें!
बता दें कि हाल में उदयपुर दौरे पर आए अमित शाह ने अपने भाषण से पहले राजे को बुलाया और इसके बाद खुद के संबोधन में राजे सरकार की जमकर तारीफ की. इसके अलावा राजे और शाह मंच पर काफी देर तक एक दूसरे से बातचीत करते हुए दिखाई दिए और भाषण देने जाने से पहले शाह ने राजे का अभिवादन भी किया.
राजनीतिक जानकार कहते हैं कि शाह के दौरे से पहले और बाद में राजे लगातार कॉन्फिडेंट दिखाई दे रही है और उन्होंने मेवाड़ और हाड़ौती में दौरे तेज कर दिए हैं. इसके अलावा राजे चुनावों को लेकर गहलोत सरकार पर जमकर हमलावर है और अपनी योजनाओं को जनता के बीच गिना रही है.
राजे को लेकर सस्पेंस होगा खत्म!
बता दें कि बीजेपी आलाकमान की ओर से काफी समय से राजे को लेकर सस्पेंस बनाया हुआ है लेकिन राजे को एकदम से दरकिनार नहीं किया जा सकता है इसका संदेश भी केंद्रीय नेताओं ने कई बार दिया है. वहीं हाल में शाह के दौरे से भी यह साफ हो गया कि अगले विधानसभा चुनाव में राजे की भूमिका अहम रहने वाली है और राजे के जरिए आलाकमान ने एक बार फिर एकजुटता का संदेश दिया है.
गौरतलब है कि वसुंधरा राजे राजस्थान की 2 बार मुख्यमंत्री रह चुकी हैं और आज भी राजे के एक आह्वान पर भीड़ आती है. इसके अलावा 2 चुनावों में परचम लहराने वाली राजे की विधानसभाओं में अच्छी पकड़ हैं और उनके समर्थकों का अपना एक बेस है. वहीं राजे समर्थकों की कई टीमें जमीन पर लगातार काम करती रहती है और जातिगत समीकरणों को साधते हुए भी राजे प्रदेश का एक स्वीकार्य चेहरा है.
वहीं हाल में कर्नाटक चुनावों में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा जहां बीजेपी ने येदियुरप्पा जैसे पुराने नेता को साइडलाइन किया जिसका खामियाजा पार्टी को चुनावों में भुगतना पड़ा था ऐसे में माना जा रहा है कि बीजेपी आलाकमान कर्नाटक वाली गलती राजस्थान में दोहराने से बचना चाहता है.